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मिड डे मिल वितरण का अधिकार शिक्षकों से हटाकर एन जी ओ को दिया,छठ पर बाहर से आने वालों की निगरानी करेंगी आंगनवाड़ी

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बिहार सरकार ने प्री प्राईमरी का रोड मैप शिक्षा मंत्रालय को सौपा

अब प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों के 3 से 6 साल तक के नौनिहाल को शिक्षक खेल-खेल में अंक गणित पढ़ाएंगे। स्थानीय भाषा में पढ़ाई पर जोर दिया जायेगा । आंगनबाड़ी केंद्र के सबसे नजदीक के प्राथमिक स्कूल के एक शिक्षक यहां आकर बच्चों को पढ़ाएंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आधार पर बिहार सरकार ने 3 से 9 साल तक के प्री स्कूल से कक्षा 3 तक के बच्चों के लिए पढ़ाई का रोडमैप शिक्षा मंत्रालय को सौंप दिया है। पिछले दिनों बिहार शिक्षा परियोजना परिषद (बीईपी) ने दिल्ली में कार्यशाला में रोडमैप का प्रजेंटेशन दिया। बीईपी के एसपीडी श्रीकांत शास्त्री ने बताया कि रोडमैप में बच्चों पर किताब का बोझ नहीं लादने पर जोर है। आसान तरीके से बच्चे लिखना, पढ़ना, जोड़ना और घटाना सीख जाएं। हिन्दी और अंग्रेजी की वर्णमाला और अक्षर जोड़कर शब्द बनाना सिखाया जाएगा।

3 से 6 साल तक के बच्चों के लिए शिक्षा के रोडमैप को वाटिका नाम दिया गया है। हर साल मार्च में प्रवेश उत्सव का आयोजन होगा। इस दौरान आंगनबाड़ी केंद्रों में 6 साल के बच्चों का सरकारी स्कूलों में कक्षा एक में नामांकन कराया जाएगा। एक भी बच्चा नामांकन से नहीं छूटे, इसका ध्यान रखना है। बच्चों को शिक्षक रोचक और छोटी कहानियां सुनाएंगे। बच्चे किताब के कारण मानसिक दवाब में नहीं रहें, इसका ध्यान रखा गया है।

बच्चों को पढ़ाने का मकसद उन्हें तनावरहित माहौल देना योग्यता के अनुसार मौका, किताब (टैक्स्ट बुक) को महज पढ़ाई का एक उपकरण मात्र माना गया है। लर्निंग आउटकम को बेहतर करने के लिए रोडमैप में प्रावधान किया गया है। एक भी बच्चा स्कूल से बाहर नहीं रहे, इसका खास ख्याल रखा गया है। बच्चों को उनकी प्रतिभा के अनुसार आगे बढ़ने का मौका भी इस रोड मैप के आधार पर मिलेगा। जिस बच्चे में खेल में आगे बढ़ने की ललक और क्षमता है, उन्हें उस दिशा में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। कोई बच्चा संगीत और नृत्य या अन्य कला में बेहतर कर रहे हैं, तो उन्हें इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। बच्चों कोपढ़ाने का मकसद उन्हें तनावरहित माहौल देना है। बाल मन में पढ़ाई का किसी प्रकार का डर नहीं हो, इसका रोडमैप में ध्यान रखा गया है।

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छठ पर आने वाले बाहरी लोगो की निगरानी करेंगी आंगनवाडी

छठ महापर्व के दौरान बाहर से ग्रामीण इलाकों में आनेवाले लोगों की जांच करने का जिम्मा जीविका, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दिया गया है।आंगनवाडी वर्करो को देखना है कि बाहर से कौन लोग आए हैं, और उनके पास कोविड टेस्ट की 72 घंटे पहले की रिपोर्ट है या नहीं। साथ ही उन्होंने वैक्सीन ली है या नहीं इसकी जांच भी की जाएगी। त्योहारों के दौरान बाहर से अपने घर आनेवाले लोग कोरोना संक्रमण न फैलाएं इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से पहले से सभी सिविल सर्जनों को इस संबंध में निर्देश दिए गए हैं। राज्य के बस अड्डों, हवाई अड्डे के साथ रेलवे स्टेशनों पर बाहर से आने वालों की कोविड टेस्ट और वैक्सीनेशन रिपोर्ट की जांच की व्यवस्था की गई है वहीं अब गांवों में भी लोगों की जांच की जाएगी। जीविका व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को कहा गया है कि वे यह पता करें कि उनके प्रखंड में कौन लोग आए हैं। उन्होंने वैक्सीन की पहली डोज ली है या दूसरी डोज ली है। जिन लोगों के पास कोविड टेस्ट की रिपोर्ट नहीं होगी या जिन्होंने वैक्सीनेशन नहीं कराया होगा उनकी जांच की जाएगी। आरटीपीसीआर -टेस्ट कराया जाएगा इसके अलावा उन्हें वैक्सीन भी लगाई जाएगी। महापर्व में बाहर से बड़ी संख्या में लोग अपने घर वापस आते हैं।

मिड डे मील वितरण का अधिकार शिक्षको से हटाकर एन जी ओ को दिया

शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि अधिकारी स्कूलों में निरीक्षण के लिए जाएं, तो क्लास रूम में जाकर बच्चों को भी पढ़ाएं और समस्या समझ दूर करने का प्रयास करें। मध्याह्न भोजन योजना में नई व्यवस्था लागू की गई है। इसका नाम भी अब पीएम पोषण योजना हो गया है। अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने कहा कि आपदा प्रबंधन समूह की अनुमति के बाद जल्द ही स्कूलों में बच्चों को पका भोजन फिर से मिलने लगेगा। शिक्षकों को मध्याह्न भोजन के किसी भी कार्य से अलग रखने के लिए इसकी जिम्मेदारी स्वयंसेवी संस्थानों को दी जा रही है। उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों से फिर कहा कि स्कूल आने वाले 66 प्रतिशत बच्चे मध्याह्न भोजन करते हैं, जबकि कोरोना काल में स्कूल बंद रहने पर 88 प्रतिशत बच्चे अनाज लेते हैं। यह अंतर क्यों है, इसे ठीक करने की जरूरत है। माना जा रहा है कि 15 नवंबर के बाद स्कूलों में बच्चों को पका भोजन मिल सकता है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि स्कूलों में बच्चों पौष्टिक भोजन मिले, लेकिन गुणवत्तापूर्ण बेहतर शिक्षा भी मिले। और बच्चो की पढ़ाई भी प्रभावित नहीं हो।

शिक्षामंत्री ने कहा कि एमडीएम निरीक्षण में इसमें शामिल शिक्षकों को दोषी ठहरा कर सजा देने के बदले ज्यादा जरूरी सुधार करना है। स्कूलों में पढ़ाई का माहौल बेहतर हो, इसके लिए बदलाव करें। रविवार को वे अभिलेख भवन में मध्याह्न भोजन निदेशालय द्वारा आयोजित पीएम पोषण योजना के तहत एसएनए से संबंधित दो दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। एमडीएम निदेशक सतीश चंद्र झा ने कहा कि पीएम पोषण योजना बेहतर तरीके से संचालित हो, इसके लिए अधिकारी समय पर मॉनीटरिंग करें। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि इस योजना में बदलाव किया जा रहा है। एसएनए जिला और विद्यालय स्तर पर राशि की अधिकतम सीमा निर्धारित कर पीएफएमएस पोर्टल के माध्यम से योजना का संचालन किया जाएगा। और यह योजना कैशलेस है।

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