वाराणसी जिले मे आंगनवाड़ी द्वारा कुंवारी लड़कियों का नाम पोर्टल पर गर्भवती की सूची मे डालने की जांच शुरू कर दी गयी है इस मामले मे आंगनबाड़ी कार्यकत्री को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। लेकिन आंगनवाड़ी सुमनलता ने एक सादे कागज पर जिला कार्यक्रम अधिकारी को अपना इस्तीफा लिखकर दे दिया है।
ग्राम पंचायत रमना के मलहिया के ग्राम प्रधान द्वारा आंगनवाड़ी द्वारा फर्जी तरीके से गांव की लड़कियों के नाम पोर्टल पर फीड कर राशन गबन की शिकायत डीएम से की गयी थी। इस शिकायत के आधार पर बाल विकास विभाग ने शुरुआती जांच में माना है कि पोर्टल पर फीडिंग के दौरान आंगनवाड़ी की गलती से लड़कियों का डेटा फीड हो गया था।
डीपीओ द्वारा बाल विकास परियोजना अधिकारी काशी विद्यापीठ से इस मामले की जांच कराई तो आरोप सही पाए गए। जांच अधिकारी ने उन 18 लड़कियों के बयान लिए है और इसकी जांच कर डीएम को रिपोर्ट भेज दी है। जिन लड़कियो के नाम पोर्टल पर फीड थे। लेकिन अब उन लड़कियो के नाम पोर्टल से हटा दिये गए है।
आंगनवाड़ी केन्द्रो पर पंजीकृत बच्चो और महिलाओ को सरकारी योजना का लाभ देने के लिए विभागीय पोषण ट्रेकर पोर्टल पर उनके नाम सहित अन्य जानकारी फीड करनी पड़ती है जिसके लिए लाभार्थी से आधार कार्ड मांगा जाता है। एक आधार नंबर को फीड करने के बाद लाभार्थी भारत के किसी भी राज्य मे उस योजना का लाभ नहीं ले सकता। जिस केंद्र पर उसका ब्योरा दर्ज है उसी केंद्र पर योजना का लाभ मिल सकता है।
डीपीओ का भी कहना है कि आंगनबाड़ी सुमनलता की गलती से लड़कियों के नाम गर्भधात्री की श्रेणी मे दर्ज हो गए हैं। आंगनवाड़ी द्वारा राशन गबन की शिकायत की भी जांच भी की गई है। आंगनवाड़ी का एक साल का रजिस्टर की जांच की गयी तो इन लड़कियों का नाम उसमें नहीं पाया गया। इससे क्लियर हो गया है कि इन लड़कियों के नाम से आंगनवाड़ी द्वारा कोई भी राशन विभाग से नहीं लिया गया है।
ग्राम प्रधान और लड़कियो की शिकायत के आधार पर जब जिला कार्यक्रम अधिकारी डीके सिंह ने आंगनबाड़ी कार्यकत्री सुमनलता को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा तो आंगनबाड़ी सुमनलता ने जिला कार्यक्रम अधिकारी को इस्तीफा भेजा दिया।
इस इस्तीफे मे आंगनवाड़ी का कहना है कि मैं गांववालों के उत्पीड़न की वजह से मानसिक अवसाद में हूं। राशन गबन के आरोप के कारण मे खुद की और अपने परिवार की इज्जत खराब नहीं कर सकती इसीलिए मे इन गांव वालों के साथ काम करने में असमर्थ हूं। इससे पहले भी मे ग्रामीणों के उत्पीड़न से परेशान थी लेकिन अब और काम नहीं कर सकती हु।