निर्वाचन विभाग द्वारा बीएलओ को मिलने वाले मानदेय मे बड़ा घोटाला
आंगनवाड़ी बीएलओ मानदेय
उत्तरप्रदेश शासन द्वारा प्रदेश मे बीएलओ के माध्यम से मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए अलग अलग विभागो के कर्मचारी को बीएलओ बनाया गया है जिसमे शिक्षक, शिक्षामित्र,अनुदेशकों समेत आंगनवाड़ी वर्कर बूथ लेबल ऑफिसर का कार्य करते है।
वर्तमान मे इन बीएलओ द्वारा घर-घर जाकर व रविवार को मतदेय स्थल पर शिविर लगाकर आधार एकत्रीकरण व मतदाता सूची में वोटरों के नाम बढ़ाने, घटाने, सुधारने को लेकर मतदाताओ से फार्म लिए जा रहे है। साथ ही ये कार्य ऑनलाइन भी किये जा रहे है। वोटर हेल्प एप पर मतदाता अपना ऑनलाइन पंजीकरण कर सकते है।
बांदा जिले मे विधानसभा मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान व स्वैच्छिक आधार एकत्रीकरण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस कार्य के लिए जिले मे 1057 बीएलओ और 310 सुपरवाइजरों की ड्यूटी लगाई गयी है। बीएलओ को पूरे वर्ष चुनावी कार्य करने पड़ते है। मतदान वाले दिन इन बीएलओ को मतदान स्थल पर बैठना पड़ता है।
निर्वाचन विभाग द्वारा इस कार्य के लिए बीएलओ को हर माह निर्धारित 14 सौ रुपये मानदेय दिया जाता है। लेकिन जिले मे नियुक्त बीएलओ को मात्र पांच सौ रुपये ही मिल रहे है। मिली जानकारी के अनुसार बाकी नौ सौ रुपये का उच्च अधिकारियों द्वारा गबन किया जा रहा है। जिसका कुल हर माह साढ़े 13 लाख 56 हजार रुपये का आंकड़ा बन रहा है।
नियमानुसार निर्वाचन आयोग द्वारा बीएलओ को मानदेय के रूप में 1400 रुपये दिया जाता है। जिसमे चार सौ रुपये आनलाइन फीडिंग आदि के लिए दिये जाते है। लेकिन इस अल्प मानदेय मे भी अधिकारी मानदेय का गबन कर रहे है। इस सम्बंध मे तीन दिन पूर्व सभी बीएलओ ने जिला निर्वाचन अधिकारी को ज्ञापन दिया था।
चूंकि बीएलओ का कार्य एक सरकारी कार्य है लेकिन निर्वाचन विभाग इस कार्य के लिए स्थायी कर्मियों कर्मियों की नियुक्ति नहीं करता है। प्रदेश मे जब भी कोई चुनाव का कार्य या मतदाता सूची के सम्बंध मे कोई कार्य होता है तो इसके लिए संविदा और स्थायी कर्मियों को बीएलओ के कार्य के लिए संबन्धित विभाग को आदेश जारी कर कार्यो मे लेता है।