जल मिशन की ट्रेनिंग का व्हाट्सएप मेसेज भेजा, न बैठने को कुर्सी दी न पीने को पानी
आंगनवाड़ी न्यूज
प्रदेश के मुख्यमंत्री विधानसभा मे कहते है कि हमने आंगनवाड़ी वर्करो को सम्मान दिया, हमारी सरकार ने आंगनवाड़ी वर्करो को अलग पहचान दी है। प्रदेश की राज्यपाल जिले मे जाकर आंगनवाड़ी वर्करो को सम्मानित करती है इन वर्करो को यशोदा माँ का दर्जा दिया जा रहा है वही दूसरी और जिले मे अधिकारियों द्वारा आंगनवाड़ी वर्करो को कितना बेज्जत किया जाता है इसकी कोई कल्पना भी नहीं की जा सकती।
सिद्धार्थ नगर जिले के खेसरहा ब्लॉक सभागार में अधिकारियों द्वारा मंगलवार को आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को जल शक्ति मिशन के प्रशिक्षण के लिए बुलाया गया था। इस प्रशिक्षण के लिए कोई लिखित आदेश नहीं दिया गया केवल व्हाट्सएप पर मेसेज भेजकर खानपूर्ति कर दी गयी।
सोमवार की शाम को आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के मोबाइल पर विभागीय व्हाट्सएप ग्रुप पर मैसेज आने शुरू हो गए कि मंगलवार को जल जीवन मिशन के अंतर्गत प्रशिक्षण होना है। इसके लिए आप सभी को ब्लॉक सभागार में उपस्थित होना अनिवार्य है।
अक्सर किसी भी प्रशिक्षण या कोई अन्य आयोजन के लिए आंगनवाड़ी वर्करो को बुलाने के लिए विभाग द्वारा कोई आदेश जारी नहीं किया जाता है। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के मोबाइल पर विभागीय वाट्सअप ग्रुप पर मैसेज भेजकर औपचारिकता निभाई जाती है।
वाट्सअप ग्रुप पर मैसेज पढ़कर एक बड़ी संख्या में आंगनबाड़ी कार्यकत्री ब्लॉक पर इक्कठा हो गई। लेकिन विभाग द्वारा इन आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को प्रशिक्षण में बैठने के लिए न तो पर्याप्त कुर्सी मंगाई गयी थी और न ही पीने के लिए पानी की व्यवस्था की गयी।
इस भीषण गर्मी में सभागार में बिजली की भी आपूर्ति नहीं हुई थी। जिसके कारण आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को ब्लॉक परिसर में कुर्सी की कमी की वजह से पेड़ों के नीचे बैठने के लिए मजबूर होना पड़ा।
आखिरकार इस प्रशिक्षण मे हुई अव्यवस्था से आंगनबाड़ी कार्यकत्री नाराज होने लगी और इन्होने प्रशिक्षण का बहिष्कार करना शुरू कर दिया। प्रशिक्षण मे आए जल जीवन मिशन के कर्मियों ने किसी तरह आंगनवाड़ी वर्करो को समझा बुझा कर आधा अधूरा प्रशिक्षण कराया।
इस सम्बंध मे आंगनवाड़ी वर्करो का कहना है कि किसी भी प्रशिक्षण के लिए सरकार द्वारा अलग से मद आता है जिसमे खाने पीने से लेकर बेठ्ने की उचित व्यवस्था कराई जाती है लेकिन विभागीय अधिकारी सारा पैसा खा जाते है आंगनवाड़ी को कुछ नहीं दिया जाता।