आंगनवाडी सहायिका बनी समूह की कोषाध्यक्ष पोल खुलने पर दिया इस्तीफा ,आठ वर्ष पुराने बजट पर कोई ठेकेदार आंगनवाडी भवन बनाने को तैयार नही
आदेश
रायबरेली जिले में ग्रामीण अभियन्त्रण विभाग को 16 आंगनवाड़ी केन्द्र के निर्माण की जिम्मेदारी दी गयी थी लेकिन ग्रामीण अभियन्त्रण विभाग के अधिकारी ठेकेदारों से मिन्नतें कर रहे हैं लेकिन ठेकदार इस पुराने बजट पर निर्माण कार्य को करने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। इन आंगनवाडी केन्द्रों को बनाने का बजट वही पुराना वर्ष 2014 में दिया जा रहा था। जबकि वर्तमान समय में भवन निर्माण सामग्रियों का रेट बहुत ज्यादा बढ चुके है जबसे इन आंगनवाड़ी केन्द्रों का निर्माण कार्य शुरू हुआ है तभी से इनको बनाने के नाम पर सरकार कुल 7.53 हजार रूपए का बजट देती आई है। और इन केन्द्रों के निर्माण के लिए बजट आज भी पुराना ही मिल रहा है। जिसके कारण बाल विकास विभाग को इन आंगनवाड़ी केन्द्रों के निर्माण के लिए ठेकेदार ढूंढे़ नहीं मिल रहे हैं।
आंगनवाडी केन्द्रों के निर्माण के लिए कुल धनराशी 7.53 लाख में मनरेगा से 4 लाख 46 हजार रूपए व बाल विकास पुष्टाहार से 2 लाख रूपए और ग्राम पंचायत से 1 लाख 6 हजार रूपए मिलते हैं इसके अलावा विभाग को निर्माण कार्य के बिल पर भुगतान करने पर जीएसटी अलग से जमा करनी पड़ती है। देखा जाए तो वर्तमान समय में लोहे का रेट 9000 कुन्तल और सीमेंट 375 बोरी मिल रहा है। साथ ही मौरम और रोड़ी के भी दाम आसमान छु चुके हैं। कुल बजट की धनराशि से पांच कमरे और एक हैण्ड पम्प के साथ ही बाथरूम और सोकपिट को भी बनाना पड़ता है। नए बनाए जाने वाले सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों को स्कूल परिसर के भीतर ही बनाया जाएगा।
आंगनवाडी केन्द्रों के निर्माण के लिए विभागद्वारा टेन्डर भी भी जारी किया जा चूका हैं। लेकिन इन केन्द्रों के निर्माण के लिए अभी तक किसी भी ठेकेदार ने निविदा नहीं खरीदा है। अवगत हो कि यह सभी आंगनवाडी केन्द्र वित्तीय वर्ष 21-22 में स्वीकृत हुए हैं। इन आंगनवाड़ी केन्द्रों में से तीन केन्द्रों का निर्माण ऊंचाहार ब्लाक में और दो खीरों ब्लाक में एवं अन्य सभी ब्लाकों में एक एक केन्द्र बनाए जाएंगे। जिलाधिकारी ने आदेश दिया है कि तीनो विभाग आपस में सामंजस्य स्थापित करके जल्द से जल्द निर्माण कार्य को प्रारम्भ कराएं।
जनपद के क्षेत्रों में बनेंगे आंगनवाडी केंद्र
ब्लॉक | ग्राम पंचायत | निर्माण स्थल |
ऊंचाहार | पट्टीरहस कैथवल | प्राथमिक विद्यालय पूरे ननकू |
ऊंचाहार | कंदरांवा | प्राथमिक विद्यालय प्रह्लादपुर |
ऊंचाहार | कंदरांवा | प्राथमिक विद्यालय लोदीपुर |
डलमऊ | आम्बा | प्राथमिक विद्यालय आम्बा |
सरेनी | बरवलिया | प्राथमिक विद्यालय बरवलिया |
राही | प्रेमराजपुर | प्राथमिक विद्यालय प्रेमराजपुर |
सलोन | राजापुर चकबीबी | प्रा. वि. राजापुर चकबीबी |
अमांवा | थुलवांसा | प्राथमिक विद्यालय थुलवांसा |
दीनशाहगौरा | चरूहारवीक | प्राथमिक विद्यालय चरूहारवीक |
खीरों | रमुवापुर दुबई | प्राथमिक विद्यालय बखतखेड़ा |
जगतपुर | मनिहरशर्की | प्राथमिक विद्यालय गढ़ीमनिहर |
बछरांवा | टोडरपुर | प्राथमिक विद्यालय टोडरपुर |
डीह | बिरनांवा | प्राथमिक विद्यालय मान्धाता |
सतांव | जगजीवनपुर | प्राथमिक विद्यालय अमरिया |
खीरों | डोण्डेपुर | प्राथमिक विद्यालय लल्लाखेड़ा |
हरचन्दपुर | बरगदहा | प्राथमिक विद्यालय बरगदहा |
आंगनवाडी सहायिका बनी समूह की कोषाध्यक्ष पोल खुलने पर दिया इस्तीफा
कन्नोज के छिबरामऊ में आंगनवाड़ी सहायिका बिना किसी पूर्व सुचना दिए बाल विकास विभाग में कार्यरत होते हुए रास्ट्रीय आजीविका मिशन के स्वयं सहायता समूह से भी जुड़ गई। और यहां भी सहायिका ने समूह से जुड़ी महिलाओं व बीपीएम को अपने आंगनवाड़ी सहायिका के पद पर कार्य करने की भनक तक नहीं लगने दी। इस तरह यह आंगनवाडी सहायिका पिछले काफी समय से दो दायित्वों का निर्वाह करते हुए लाभ ले रही थी ।
यहां तक कि उसे समूह से जुड़े सदस्यों से आईडी कार्ड के नाम पर 100 रुपए लेकर उन्हें फर्जी कार्ड थमा दिए। यहां तक उस कार्ड में बीपीएम के फर्जी हस्ताक्षर तक किए गए।जब इस मामले का फर्जीवाड़ा का उजागर हुआ, तो दो सहायिका के दो जगह काम किए जाने की बात सामने आ गई। ऐसे में जब मामला अधिकारियों तक पहुंचा, तो दोनों ही विभागों में खलबली मच गई। ऐसे में दो विभागों में दायित्व निभाने वाली महिला के खिलाफ एफआईआर लिखाए जाने बीपीएम को निर्देश दिए गए। जानकारी होते ही आनन-फानन में महिला ब्लॉक पहुंची और उसने समूह में काम करने से मना करते हुए इस्तीफा देते हुए समूह से जुड़े सभी कागजात व पासबुक अध्यक्ष को सौंप दिए। इस आनन-फानन में उससे इस्तीफा लेकर उसे तत्काल समूह से बाहर निकाला गया।
एडीओ अरविंद कुमार ने बताया उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत ग्राम पंचायतों में संचालित समूह से जुड़े लोग दूसरे विभाग से नहीं जुड़ सकते हैं। इसके बाद भी एक ऐसा ही मामला उस समय सामने आ गया, जब एक आंगवाड़ी सहायिका ने अपने विभाग के अधिकारियों को गुमराह कर स्वयं सहायता समूह से भी जुड़ गई। इसके साथ ही उसने कोषाध्यक्ष पद का दायित्व भी निभाना शुरू कर दिया।
इस संबंध में सीडीपीओ रमाकांती ने बताया कि आंगनावाड़ी सहायिका के समूह से जुड़े होने की उन्हें कोई जानकारी नहीं थी और न ही ब्लॉक मुख्यालय से किसी भी अधिकारी ने उन्हें अवगत कराया। हालांकि दो माह पहले बीपीएम की ओर से उन्हें अवगत कराया था कि आंगनवाड़ी सहायिका समूह से जुड़े सदस्यों को पासबुक नहीं उपलब्ध करा रही हैं।