आंगनवाड़ी को प्रशिक्षण देने के लिए तैयार किये गए मास्टर ट्रेनर
आंगनवाडी न्यूज़
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मऊ ECCE के अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्रों में प्री स्कूल गोईंग स्किल सीखने वाले 3 से 5 वर्ष तक के बच्चो को और अधिक शसक्त बनाने के उद्देश्य से तथा उसमे अध्ययनरत विभिन्न प्रकार के शारीरिक अक्षमताओं अथवा समस्याओं से ग्रसित बच्चों का चिन्हांकन करने के लिए विकास खण्ड स्तरीय मास्टर ट्रेनर्स का एक दिवसीय प्रशिक्षण जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में सम्पन्न किया गया । अब इन मास्टर ट्रेनर्स द्वारा चयनित अपने-अपने विकास खण्ड के विद्यालय परिसर में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों की प्रत्येक आंगनबाड़ी कार्यकत्री को एक दिवसीय प्रशिक्षण देंगे, जिससे प्रशिक्षित आंगनवाडी कार्यकत्री अपने सभी समस्याग्रस्त बच्चों को चिन्हित कर सकें। इस कार्यक्रम में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉक्टर संतोष कुमार सिंह व सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी, समग्र शिक्षा मनोज तिवारी समेत समस्त स्पेशल एजुकेटर उपस्थित रहे। कार्यक्रम में सभी मास्टर ट्रेनर को राज्य स्तरीय मास्टर ट्रेनर जिला समन्वयक समेकित शिक्षा अमित कुमार श्रीवास्तव तथा संतोष कुमार ने प्रशिक्षण दिया ।
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संतकबीरनगर शासन के निर्देशानुसार जनपदों में चलाये जा रहे अभियान के तहत जनपद में बुधवार को बेसिक विद्यालयों में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में नामांकित बच्चों के शारीरिक बाधाओं की स्क्रीनिंग के लिए मास्टर ट्रेनरों का प्रशिक्षण विकास भवन सभागार में आयोजित हुआ। जनपद में कार्यरत 18 स्पेशल एजूकेटर, एक फिजियोथेरेपिस्ट, नौ ब्लॉक से चिन्हित 11 एआरपी एवं सीडीपीओ शामिल हुए। इस कार्यक्रम का आयोजन बेसिक शिक्षा विभाग एवं बाल विकास सेवा वह पुष्टाहार विभाग के संयुक्त तत्वाधान में हुआ।
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इस प्रशिक्षण में गर्भवती महिला की गर्भावस्था से लेकर छह वर्ष तक बच्चों में होने वाले विकास एवं उनको प्रभावित करने वाली गतिविधिया पर विस्तृत चर्चा की गई। चर्चा में इस बात पर फोकस किया गया कि आंगनबाड़ी केंद्रों में नामांकित गर्भावस्था के बाद विभिन्न कारणों से तीन से छह वर्ष तक के बच्चों में अगर किसी भी प्रकार की शारीरिक व मानसिक दृष्टि एवं श्रवण संबंधित समस्या दिखाई दे रही हो तो ऐसे बच्चों को एक चेक लिस्ट के माध्यम से चिन्हित किया जाए। जनपद स्तर से सूचीबद्ध करते हुए बच्चों की सूची राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत आरबीएस के टीम को उपलब्ध कराई जा सके, जिससे कि आरबीएसके की टीम अपने भ्रमण के दौरान संबंधित आंगनबाड़ी केंद्रों अथवा विद्यालयों में चिन्हित बच्चों को भलीभांति परीक्षण कराएं।