बिजनोर में लगातार बढ रही कुपोषित बच्चो की संख्या
बिजनौर जिले में कुपोषण की चपेट में बच्चो की भरमार है सरकार की तमाम योजनाओं के बावजूद 6595 मासूम अतिकुपोषित और 27504 बच्चे हैं कुपोषितजिले के 34 हजार से अधिक बच्चों पर कुपोषण का साया मंडराया हुआ है सरकार की तमाम योजनाओं के बावजूद जिले में आज भी 6595 मासूम अतिकुपोषित और 27504 बच्चे कुपोषित हैं। अधिकारी भले ही लाखो दावा करें कि कुपोषण को खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन जिले में अतिकुपोषित बच्चों का आंकड़ा सच्चाई बयां कर रहा है। जिले में बच्चों के कुपोषण पर विभाग जीत दर्ज नहीं कर पा रहे हैं। आज भी बड़ी संख्या में जिले में अतिकुपोषित और कुपोषित बच्चों का होना इसकी बानगी है। कुपोषित बच्चों की संख्या का आंकड़ा कब कम होगा यह कहना मुश्किल है। बच्चों में कुपोषण खत्म करने के लिए सरकार द्वारा तमाम योजनाएं चलाई जा रही है।कुपोषण को खत्म करने के लिए जागरूकता का हथियार भी चलाया जा रहा है। करीब तीन हजार आंगनबाड़ी गांवों में बच्चों के कुपोषण को लेकर जागरूक भी कर रही है। अच्छी डाइट के बारे में बच्चों की माताओं को बताया जा रहा है। एनआरसी में 14 दिन के लिए अतिकुपोषित बच्चों को एडमिट भी कराया जाता है बावजूद इसके जिले में बड़ी संख्या में अतिकुपोषित और कुपोषित बच्चे हैं।
जिला कार्यक्रम अधिकारी नागेन्द्र मिश्रा का कहना है कि जिले में अतिकुपोषित और कुपोषित बच्चों की संख्या में तेजी से गिरावट आई है। जिले में इस समय 6595 अतिकुपोषित और 27504 बच्चे कुपोषित हैं। कुपोषण खत्म करने के लिए लगातार काम हो रहा है। और बहुत जल्द इस संख्या में भी कमी आएगी। बच्चों में कुपोषण को लेकर तमाम जागरूकता अभियान चलाये जा रहे है
4 अक्टूबर से आंगनवाडी केन्द्रों को खोला जाये
कोरोना महामारी से लम्बे समय से बंद चल रहे आंगनवाडी केन्द्रों को खोलने का आदेश जारी कर दिया गया है वर्तमान में आंगनवाडी केन्द्रों को हफ्ते में सिर्फ दो दिन (सोमवार व् बृहस्पतिवार) को ही खोला जायेगा बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की निदेशक सारिका मोहन ने उत्तरप्रदेश के सभी जिला कार्यक्रम अधिकारियो को आदेश जारी कर दिया है निदेशक महोदया के आदेशानुसार आंगनवाडी केन्द्रों पर covid 19 के नियमो का पालन किया जायेगा
आदेश
जी पी आर एस के माध्यम से आंगनवाडी वर्करो की लोकेशन होगी ट्रेस
आंगनवाडी कार्यकत्रियों को मिलने वाले स्मार्ट फोन से अब निगरानी बढ़ने वाली है। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की जिला मुख्यालय या फिर अन्य स्थानों पर रहकर आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन उनके लिए मुश्किल होगा। स्मार्ट फोन में कई अहम एप्लीकेशन हैं जिन्हें इनवैलेड भी नहीं किया जा सकता है। और न ही बंद किया जा सकता है इससे कार्यकत्रियां लोकेशन भी नहीं छिपा पाएंगी।इस फोन के माध्यम से आंगनवाडी वर्करो की जिम्मेदारी बढाई जा रही है यही नहीं इसके अलावा भी कई अहम दायित्व कार्यकत्रियों को दिए जा रहे हैं। अब आंगनवाडी कार्यकत्रियों का काम सिर्फ पोषाहार वितरण तक नहीं सीमित रहेगा बल्कि उन्हें आने वाले समय में तीन से छह वर्ष तक के बच्चों को प्रि पाइमरी एजूकेशन भी देनी होगी।
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शासन ने कार्यकत्रियों की जरुरत और निगरानी को देखते हुए उन्हें स्मार्ट फोन देने का फैसला किया है। जो स्मार्ट फोन कार्यकत्रियों को मुहैया कराए जा रहे है उसमे एक जीपीएस सिस्टम एक्टिवेट किया गया है । इस सिस्टम से कार्यकत्रियां अपनी लोकेशन नहीं छिपा पाएंगी। अक्सर कार्यकत्रियां मुख्यालय या कई अन्य जगह रहकर दूसरो के माध्यम से केंद्रों का संचालन कराती है। स्मार्ट फोन मिलने से यह उनके लिए संभव नहीं होगा। अब आंगनवाडी कार्यकत्रियां केंद्र पर पहुंचकर अपनी सेल्फी डालेंगी। रोजाना केंद्र पर उपस्थित होकर सेल्फी डालने की भी बाध्यता होगी।इसके साथ ही अनुपूरक पोषाहार के वितरण की लाभार्थी के साथ फोटो भी स्मार्ट फोन में अपलोड करनी होगी। नई व्यवस्था से केंद्रों का संचालन और बेहतर होगा। अभी इस फ़ोन में प्ले स्टोर लॉक किया गया है जिससे इस फोन में कोई अन्य एप डाउनलोड नही की जा सकती है और न ही कोई सोशल एप जेसे व्हाट्स एप ,फेसबुक,इंस्टाल की गयी है विभागीय द्वारा जो एप स्मार्टफोन में डाल कर दी गयी है वो ही एप चल सकती है
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मांगो को लेकर ज्ञापन देते यूनियन के पदाधिकारी