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कुपोषितो की संख्या बढ़ी तो दोष आंगनवाडी के सर मढ़ा

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बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पोषण ट्रैकर एप से रियल टाइम मॉनिटरिंग की प्रक्रिया में मजबूती मिलेगी। इसमें केंद्र खुलने के समय से लेकर केंद्र पर नामांकित बच्चे, उपस्थिति पंजीकरण, टीएचआर का वितरण, बच्चों की ग्रोथ की मॉनिटरिंग बेहद आसान होगी। केंद्र के संबंध में तमाम जानकारी एप पर दर्ज होगी। एप के माध्यम से कुपोषण से संबंधित मामलों को सूचीबद्ध किया जा सकता है। एप पर किये गये कार्य के मुताबिक ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को उनके मानदेय का भुगतान किया जाएगा। केंद्रों पर गर्भवती और धात्री महिलाओं के साथ-साथ छह साल तक के बच्चों को उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाओं की भी सतत निगरानी आसान होगी।

पीलीभीत के जिला कार्यक्रम अधिकारी अरविंद कुमार ने बताया कि स्मार्ट फोन के माध्यम से आईसीडीएस सेवाओं की गुणवत्ता और सुगम अनुश्रवण प्रक्रिया का संचालन कार्यकत्रियां कर रही हैं। कोरोना संक्रमण काल के दौरान भी सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार और आंगनबाड़ी केंद्रों की मानिटरिंग को सहज और प्रभावकारी बनाने के लिए विभाीय स्तर से प्रयास किए गए। निगरानी और मानीटरिंग करने के लिए नया मोबाइल एप जारी किया गया है। इसे पोषण ट्रैकर नाम दिया गया है। इस एप से केंद्रों की मानीटरिंग की जाएगी। जिले की 1960 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को प्रशिक्षण देने की प्रक्रिया गुरुवार से शुरू हो गई है। पूरनपुर ब्लाक सभागार में शुरू हुए तीन दिवसीय प्रशिक्षण में 60-60 के बैच में कार्यकत्रियों को सीएचसी ट्रेनर राजीव शर्मा एप चलाने की जानकारी दी ।

पूरनपुर  में बाल विकास पुष्टाहार विभाग से संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों की मानीटरिंग अब पोषण ट्रैकर एप से की जाएगी। इसको लेकर आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को प्रशिक्षण देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। ब्लाक सभागार में 60-60 के बैच में ट्रेनर प्रशिक्षण दे रहे हैं। बतादें कि राष्ट्रीय पोषण अभियान के तहत कार्यकत्रियों को स्मार्ट फोन पहले ही उपलब्ध कराए जा चुके हैं।

विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पोषण ट्रैकर एप से रियल टाइम मॉनिटरिंग की प्रक्रिया में मजबूती मिलेगी। इसमें केंद्र खुलने के समय से लेकर केंद्र पर नामांकित बच्चे, उपस्थिति पंजीकरण, टीएचआर का वितरण, बच्चों की ग्रोथ की मॉनिटरिंग बेहद आसान होगी। केंद्र के संबंध में तमाम जानकारी एप पर दर्ज होगी। एप के माध्यम से कुपोषण से संबंधित मामलों को सूचीबद्ध किया जा सकता है। एप पर किये गये कार्य के मुताबिक ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को उनके मानदेय का भुगतान किया जाएगा। केंद्रों पर गर्भवती और धात्री महिलाओं के साथ-साथ छह साल तक के बच्चों को उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाओं की भी सतत निगरानी आसान होगी

कानपुर देहात में बढ रही कुपोषितो की संख्या

कानपूर देहात जिले में कुपोषित बच्चों के पोषण के प्रति जिम्मेदार गंभीर नहीं दिख रहे हैं। हालात यह है कि अभी तक जिले में 4918 कुपोषित बच्चे चिह्नित हुए। इनमें 4323 बच्चे पीली श्रेणी व 595 बच्चे लाल श्रेणी के पाए गए। इन बच्चों को अंगनबाडी केंद्रों से जिला अस्पताल में संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराना था, लेकिन ब्लॉकों से कुपोषितों को केंद्र में भर्ती कराने पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। जिले में कुपोषित बच्चों के पोषण की बेहद खराब स्थिति पर मिशन निदेशक अपर्णा उपाध्याय ने हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में तैनात सीएचओ, एएनएम व बीएचएनडी टीमों को ऐसे बच्चों को चिह्नित कर पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराने की जिम्मेदारी सौंपी थी। इसके बाद भी हालात में कोई सुधार नहीं हो सका। इसके चलते बामुश्किल दो दर्जन बच्चे ही इस केंद्र में कुछ दिनों के लिए भर्ती कराए जा सके। मिशन निदेशक ने 6 माह पूर्व हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में कार्यरत सीएचओ को कुपोषित बच्चों के चिह्नांकन व उनकी जांच तथा मातृ एवं श्शिु कार्ड बनाने तथ उनको पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराने का निर्देश दिया था।

 जिला अस्पताल के इंसेटिव कार्डिक केयर यूनिट में कुपोषित बच्चों के पोषण के लिए जनवरी 2016 में पोषण पुनर्वास केंद्र की स्थापना की गई थी। इसमें कुपोषित बच्चों को भर्ती कर उनके इलाज के साथ न्यूट्रीशन व दवाओं, फल व पोषाहार आदि उपलब्ध कराने तथा उनकी 24 घंटे देखभाल करने की व्यवस्था है। इसके साथ ही उनके साथ रहने वाली माताओं के यहां ठहरने व नि:शुल्क भोजन की व्यवस्था है। जबकि कुपोषित बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए खिलौनों आदि का भी इंतजाम है। लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्तियों के रुचि न लेने से पोषण पुनर्वास केंद्र का लाभ कुपोषित बच्चों को नहीं मिल पा रहा था।

डा. वीपी सिंह, एसीएमओ का कहना है किजिले में चिह्नित हुए अति कुपोषित बच्चों में अब तक 243 को उपचार के बाद ठीक कराया जा चुका है। जिला अस्पताल मे संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चों को भर्ती कराने की जिम्मेदारी आगनबाडी कार्यकत्रियों केे साथ हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में तैनात सीएचओ व बीएचएनडी टीमों को भी दी गई है।

आंगनवाडी लायेंगी शिक्षा में बदलाव

कानपुर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने सीएसजेएमयू में आयोजित आंगनबाड़ी केंद्रों को सुविधा संपन्न बनाने को आवश्यक सामग्री वितरण कार्यक्रम में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा को बेहतर बनाने से पहले आंगनबाड़ी और प्राइमरी शिक्षा को बेहतर करना होगा। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि प्राइमरी शिक्षा में बड़े बदलाव की जरूरत है। 21वीं सदी के बच्चों का आईक्यू बहुत तेज है, ऐसे में प्राइमरी नहीं बल्कि आंगनबाड़ी की कार्यकत्रियों को भी प्रशिक्षित करना चाहिए। नई शिक्षा नीति उच्च शिक्षा में बड़ा बदलाव लाएगी। मैंने आंगनबाड़ी की तीन दिन का प्रशिक्षण कराने का निर्देश भी दिया है। विवि छात्रों को समाज के प्रति संस्कारवान बनाना है।

राज्यपाल ने कहा कि आंगनबाड़यिों में दिए जा रहे झूले, खुलौने, बर्तन, पठन सामग्री कार्यक्रम के फायदे बताए। कहा, 1500 से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों में ऐसे कार्यक्रम हो रहे हैं। सभी कुलपति कैम्पस व महाविद्यालयों में पढ़ने वाली छात्राओं का ब्लड टेस्ट जरूर कराएं, जिससे समय रहते उन्हें एनीमिया जैसी बीमारी से बचाया जा सके। आंगनबाड़ी की अनदेखी से कुपोषण व एनीमिया जैसी बीमारी बढ़ी हैं। वर्ष 1975 में स्थापना के बावजूद आंगनबाड़ी केंद्रों के बारे में कोई नहीं जानता था। मैंने खुद मंत्री बनने के बाद जाना कि आंगनबाड़ी केंद्र क्या कार्य करती हैं। मगर पिछले पांच सालों में आंगनबाड़ी केंद्रों ने उत्कृष्ट कार्य किया है।

राज्यपाल ने कहा कि पांचवें राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक, संस्थागत डिलीवरी 67 से 83 फीसदी और सेनेटरी पैड का यूज 47 फीसदी से 73 फीसदी हो गया है। अब भी 10 फीसदी गर्भवती महिलाएं डायबिटीज, 20 फीसदी हाई ब्लडप्रेशर और 50 फीसदी एनीमिया की शिकार हो रही हैं इसलिए जागरूकता जरूरी है।

अभिभावकों में जागरूकता के अभाव के कारण भी बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं ।गर्भवती महिला के खानपान पर उचित ध्यान नहीं रखा जा रहा है । इस कारण भी गर्भ में पलने वाला बच्चा कुपोषण का शिकार हो रहा है। बच्चों की देखरेख पर भी विशेष ध्यान न देने के कारण भी बच्चे कुपोषण का शिकार होते हैं। बाल रोग विशेषज्ञों का कहना है कि 0 से 5 साल तक बच्चों के खान-पान और देखरेख पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है।

अपनी जिम्मेदारियों का दोष आंगनवाडी के सर मढ़ा

अमरोहा  जिले में अब भी दो हजार से अधिक बच्चे कुपोषण का दंश झेल रहे हैं। विभाग द्वारा प्रतिमाह आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों और आशाओं के द्वारा घर-घर जाकर बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की जाती है। लेकिन इसका मुख्य कारण आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति और कार्यकत्रियों की कमी को माना जा रहा है। जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति में अभी तक सुधार नहीं आया है। जनपद में एक हजार से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। लेकिन काफी केंद्रों पर व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं है । स्टाफ की कमी है। सुविधाओं का अभाव है। विभाग द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ सही पात्रों तक नहीं पहुंच पा रहा है। अगस्त माह में 13 लाख से अधिक बच्चों का वजन किया गया। जिसमें 11441 बच्चे का वजन औसत से कम मिला। इन बच्चों पीला श्रेणी में रखा गया है। 2339 बच्चे सबसे कम वजन के चिंहित किए गए । जिनको रेड श्रेणी में रखा गया है। 139070 बच्चे नॉर्मल ग्रीन श्रेणी में चन्हिति किए गए। 11441 बच्चे कुपोषित यानी पीली श्रेणी और 2393 बच्चे अति कुपोषित लाल श्रेणी में चन्हिति किए गए।

जिला कार्यक्रम अधिकारी संजीव कुमार ने बताया किजिले में हर महीने कुपोषित बच्चों की संख्या घट रही है। बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने के लिए शासन की सभी योजनाओं पर गंभीरता से कार्य किया जा रहा है। कुपोषित बच्चों के अभिभावकों को जागरूक भी किया जा रहा है।

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