आंगनवाड़ी न्यूज़कोशाम्भी
कौशम्भी में आंगनवाड़ी करा रही है बेटे बेटी और बहू से डेटा एंट्री
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को हाईटेक बनाने के लिए दिया गया स्मार्ट फोन खिलौना बन कर रह गया है। मोबाइल पर डाटा इंट्री कराने के लिए कार्यकर्ता जानकारों का सहारा ले रहे हैं। इसके अलावा नौकरी बचाने के लिए बेटा-बेटी अथवा बहू से मोबाइल पर डाटा इंट्री करा रहा है।
जिले में वर्ष 1987 में आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थापना की गई। उस दौरान कक्षा आठ पास को भी आंगनबाड़ी में कार्यकर्ता की नौकरी मिल जाती थी। इसके बाद मेरिट आधारित भर्ती होने लगी। इसमें भी न्यूनतम योग्यता इंटर पास रखी गई थी। जिले में मौजूदा समय 1775 पद के सापेक्ष 1657 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं। इसमें से ज्यादातर सबसे पहले हुई भर्ती के हैं। पिछले दिनों आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को स्मार्ट फोन थमा दिया गया। यह मोबाइल फोन आंगनबाड़ी के सारे डाटा को ऑटोमेटिक अपडेट करता है। बस इसके लिए कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर परिवार के मुखिया व उसके सदस्यों की उम्र समेत संख्या फीड करनी होगी। यह सारी अपलोडिंग ऑन लाइन होगी। ऐसे में पुराने कार्यकर्ताओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कार्यकर्ताओं में किसी का बेटा तो किसी की बेटी मोबाइल एप पर अपलोडिंग कर रही हैं। बहू भी किसी कार्यकर्ता के नौकरी का सहारा बनी है। इसके अलावा जिन लोगों के यहां इस तरह के जानकार नहीं है वे मोबाइल फोन के जानकारों को सहारा ले रहे हैं।
जिले में वर्ष 1987 में आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थापना की गई। उस दौरान कक्षा आठ पास को भी आंगनबाड़ी में कार्यकर्ता की नौकरी मिल जाती थी। इसके बाद मेरिट आधारित भर्ती होने लगी। इसमें भी न्यूनतम योग्यता इंटर पास रखी गई थी। जिले में मौजूदा समय 1775 पद के सापेक्ष 1657 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं। इसमें से ज्यादातर सबसे पहले हुई भर्ती के हैं। पिछले दिनों आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को स्मार्ट फोन थमा दिया गया। यह मोबाइल फोन आंगनबाड़ी के सारे डाटा को ऑटोमेटिक अपडेट करता है। बस इसके लिए कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर परिवार के मुखिया व उसके सदस्यों की उम्र समेत संख्या फीड करनी होगी। यह सारी अपलोडिंग ऑन लाइन होगी। ऐसे में पुराने कार्यकर्ताओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कार्यकर्ताओं में किसी का बेटा तो किसी की बेटी मोबाइल एप पर अपलोडिंग कर रही हैं। बहू भी किसी कार्यकर्ता के नौकरी का सहारा बनी है। इसके अलावा जिन लोगों के यहां इस तरह के जानकार नहीं है वे मोबाइल फोन के जानकारों को सहारा ले रहे हैं।