फैजाबाद में फिर मिला आंगनवाड़ी केंद्र बन्द लापरवाह लोगो की वजह से प्रदेश के वर्कर बदनाम
आंगनवाड़ी का केंद्रों पर अनुपस्थिति का कलंक कब हटेगा
में कोई बड़ा लेखक नही हु लेकिन विभाग से जुड़ा होने के कारण अपने शब्दों में समस्या को आपके सामने रखने की कोशिश कर रहे है
प्रायः अखबारों और अधिकारियों द्वारा सूचना प्रचारित की जाती है कि आंगनवाड़ी कार्यकत्री अपने केंद्रों पर अनुपस्थित होती है पोषाहार समय पर वितरित नही किया जाता है केंद्रों पर बच्चो की संख्या प्रतिदिन घटती जा रही है सरकारी योजनाओं में नए नए प्रयोगों के बाबजूद भी आखिर कुपोषण कम क्यो नही हो रहा है आम आदमी या स्थानीय नागरिक के मन मे आंगनवाड़ी के प्रति सकारात्मक सोच नही होती है जिसके फलस्वरूप आज भी आंगनवाड़ी शब्द एक उपहास बन कर रह गया है जिसका शायद राजनीति से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा मानसिक शोषण किया जा रहा है
अन्य विभागों की तरह इस विभाग में भी अधिकारियों की चापलूसी चरम सीमा पर है सुपरवाइजर को पैसे देकर घर पर बैठकर मानदेय लेना आम बन चुका है आंगनवाड़ी सुपरवाइजर के अन्य कार्यो में भी सहयोग करती है जिसके कारण अन्य वर्करों को इस बदनामी का खामियाजा उठाना पड़ता है जनपद में कुछ ऐसे खुदगर्ज लोगो की वजह से पूरा प्रदेश बदनाम होता है जो आंगनवाड़ी सुपरवाइजर को पैसे देने से मना करती है उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है जो आंगनवाड़ी प्रति माह अधिकारियों को पैसे देते है उनके केंद्रों पर कोई चेकिंग नही होती और न ही उनके रजिस्टर चेक होते है रोज नए नए कार्यो में उलझाया जाता है जिससे केंद्रों के संचालन में समस्या आती है
अधिकारियों द्वारा अन्य कार्यो में आंगनवाड़ी को शामिल करके कुपोषण योजना को दूर भगाने की विफलता सबसे बड़ा कारण साबित हुआ आंगनवाड़ी की blo व अन्य कार्य मे लिप्त होने के कारण समय से केंद्र नही खुलते जिसके कारण उन्हें स्थानीय लोगो के आरोपो का सामना करना पड़ता है जिसका उनके पास कोई सबूत नही होता और उन्हें अखबारों और अधिकारियों के सामने लज्जित होना पड़ता है icds विभाग प्रदेश के सबसे बड़े भ्रष्टाचारी विभागों में सबसे ऊपर पहुच चुका है