कानपुर जिले मे बच्चों की हेल्थ आईडी बनाने का काम बहुत सुस्ती से चल रहा है। पूरे प्रदेश की बात की जाये तो ढाई साल में प्रति दस हजार बच्चों की आईडी के सापेक्ष महज चार बच्चो की हेल्थ आईडी बन सकी हैं। इस मामले मे कानपुर जिले मे प्रति दस हजार में नौ बच्चो की आईडी बनाई गयी है।
प्रदेश के आंकड़ो के हिसाब से देखा जाये तो दो जिलों में यह आंकड़ा शून्य है। जबकि 15 जिलों में 0.01 प्रतिशत बच्चो की आईडी बनी हैं। केंद्र सरकार ने सितंबर 2021 में आभा कार्ड योजना के तहत बच्चों की हेल्थ आईडी बनाने की योजना शुरू की थी।
लेकिन दो विभागो के बीच छोटे बच्चों की स्वास्थ्य निगरानी का जिम्मा होने के कारण इन आईडी बनाने मे समस्या आ रही हैं क्योंकि इन आभा आईडी बनाने का जिम्मा आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य विभाग दोनों पर होता हैं। अगर आईडी बनाने की गति धीमी होती है। तो प्रदेश के हर बच्चे की आईडी बनने में वर्षों लग जाएंगे। लेकिन तब तक इस योजना से बहुत से बच्चे बाहर हो जाएंगे।
आभा आईडी 0 से छह माह तक, छह माह से तीन वर्ष और तीन से छह वर्ष तक के बच्चों की अलग-अलग बनाई जाती है। इस आईडी को आशा कार्यकत्रियां बनाती हैं।जबकि आंगनबाड़ी कार्यकत्री इसको अपडेट करती हैं। इस आई डी के द्वारा बच्चों के टीकाकरण, ऊंचाई, वजन, अन्य स्वास्थ्य जानकारी अपडेट होती हैं।
इस संबंध मे जिला कार्यक्रम अधिकारी दुर्गेश प्रताप सिंह का कहना है कि ये आई डी बनाने का कार्य स्वास्थ्य विभाग की आशा वर्करो का है। आंगनबाड़ी कार्यकत्री सिर्फ इसका डाटा अपडेट करती हैं। जिले के सीएमओ डॉ. आलोक रंजन ने कहा कि आभा आईडी बनाने का प्रशिक्षण आशा को दिया जा चुका है। फिलहाल ये काम धीमी गति से हो रहा,है लेकिन इसमे जल्दी तेजी से कार्य किया जाएगा।
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