भ्रष्टाचार

सीडीपीओ ने की फीडिंग के नाम पर वसूली,डीएम ने बिठाई जांच 15 दिन में मांगी रिपोर्ट

सीडीपीओ ने की फीडिंग के नाम पर वसूली,डीएम ने बिठाई जांच 15 दिन में मांगी रिपोर्ट

आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को आये दिन जिला अधिकारी,जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा मीडिया के माध्यम से चोर बताने व बदनाम करने की खबरे आती रहती है और इनको स्पष्टीकरण ,मानदेय कटौती,निलंबित करने की कार्यवाही की जाती है  लेकिन जब बड़े अधिकारी के भ्रष्टाचार का खुलासा होता है तो अधिकारी चुप्पी साध लेते है और मामले को दबाने का प्रयास किया जाता है
जनपद लखीमपुर में  धौरहरा ब्लॉक की बाल विकास परियोजना अधिकारी द्वारा लाभार्थियों की फीडिंग के नाम पर आंगनवाड़ी कार्यकत्री से पैसे की वसूली का वीडियो जारी हुआ है जिसमे सीडीपीओ कार्यकत्रियों से फीडिंग के नाम पर पैसे ले रही है और आंगनवाड़ी द्वारा कहा जा रहा है कि 2 माह के पैसे है बाकी पैसे पहले से ही जमा कर रखे है इस वीडियो को वायरल होते ही विभाग में हलचल तेज हो गई 
जिला कार्यक्रम अधिकारी का बयान
लाभार्थी की फीडिंग के नाम पर पैसे वसूली की वीडियो वायरल पर डीपीओ  सुनील कुमार ने कहा है कि वीडियो को जिला अधिकारी को भेजकर फोरेंसिक जांच के लिए भेजने की मांग की गई है जिससे वीडियो की सच्चाई सामने आ सके 

डीएम ने क्या कहा
 धरौहरा ब्लॉक की सीडीपीओ के अवैध वसूली की वीडियो  पर जिला अधिकारी शैलेन्द्र सिंह ने कहा है कि मामले को संज्ञान में लिया गया है इसकी जांच के लिए एस डीएम  धरौहरा ब्लॉक के बीडीओ और सीडीपीओ की संयुक्त टीम जांच करेगी जांच की रिपोर्ट आने पर आगे की कार्यवाही की जायेगी
गौरतलब है कि कुछ दिन पूर्व ईसा नगर ब्लॉक में भी सुपरवाइजर द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों से लाभार्थियों की फीडिंग के नाम पर अवैध वसूली हुई थी
बाल विकास सेवा पुष्टाहार विभाग निदेशालय से जारी शाशनदेश के अनुसार विभाग आंगनवाड़ी द्वारा लाभार्थियों की रिपोर्ट को सुपरवाइजर द्वारा फीड किये जाने पर अलग मद में धनराशि आवंटित करता है सुपरवाइजर को आंगनवाड़ी से किसी भी प्रकार की धनराशि लेने का कोई अधिकार नही है लेकिन अधिकांश जनपदों में सुपरवाइजर द्वारा आंगनवाड़ी से लाभार्थियों की फीडिंग,ऑडिट व अन्य प्रकार से धनराशि वसूल की जाती है और इसमें ऊपर बड़े अधिकारियों की मिलीभगत होने के कारण ये घंधा खूब फलफूल रहा है अगर कोई आंगनवाड़ी इसकी जांच की आवाज उठाती है तो आंगनवाड़ी को अवैध आरोप लगाकर फंसा दिया जाता है 
अभी मथुरा में उदाहरण देखा गया था जिसमे आंगनवाड़ी ने मोहर की अवैध वसूली पर आवाज उठाई थी
और बड़े अधिकारियों की मिलीभगत से पुलिस द्वारा आंगनवाड़ी पर केस दर्ज कराया गया था और सुपरवाइजर पर कोई कार्यवाही नही हुई आंगनवाड़ी कार्यकत्री मधु शर्मा व दो अन्य पर हुए मुकदमे दर्ज के लिए मथुरा में आंगनवाड़ी वर्करों ने प्रदर्शन रैली निकालते हुए डीएम व सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौपा और मुकदमे को वापस लेने व सुपरवाइजर पर कार्यवाही की मांग की गई थी इस प्रदर्शन के समर्थन में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रांतीय कार्यकारणी सदस्य एडवोकेट गफ्फूर अब्बास ने भी समर्थन दिया था
आंगनवाड़ी वर्करों पर बड़े या छोटे अधिकारियों द्वारा शोषण करने का सबसे बड़ा कारण आंगनवाड़ी की किसी भी श्रेणी में कर्मी न होना है क्योकि आंगनवाड़ी की कोई नियमावली नही है इनको कभी भी निलंबित करने या स्पस्टीकरण देने के आदेश  तुरंत जारी कर दिए जाते है इसके विपरीत अगर सुपरवाइजर से लेकर बड़े अधिकारियों द्वारा किसी भी भ्रष्टाचार की बात सामने आती है तो सभी अधिकारी उसके बचाव में आगे आ जाते है और मामले को वही दबा दिया जाता है अगर कोई आंगनवाड़ी किसी संगठन द्वारा अपनी मांग या समस्या को विभाग के समक्ष रखती है तो अधिकारियों द्वारा उसे अनैतिक कार्य व भ्रष्टाचार में दिखाकर जवाबदेही मांगी जाती है इसीलिए आंगनवाड़ी मजबूरन इस अवैध वसूली में शामिल होकर पैसे देती है
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