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आंगनवाड़ी भवन न होने से कार्यकत्रियों के घरो मे संचालित हो रहे आंगनवाड़ी केंद्र ,एस डी एम ने मारा छापा

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बदायूं जिले के शहरी क्षेत्र में आंगनबाड़ी केंद्रों के खुद का भवन है और न ही किराये की बिल्डिंग है केन्द्रो का किराया भी समय से नहीं आता जिसके कारण आंगनबाड़ी कार्यकत्री केन्द्रो को अपने घर से संचालित करने पड़ रहे हैं। वही कुछ किराए के भवनो मे कहीं बिजली, पानी की सुविधा का अभाव है तो कहीं शौचालय की समस्या है।बिजली कनेकसन भी न होने के कारण केंद्र अंधेरे मे रहते है । कहीं बच्चे पर्याप्त रोशनी न होने को लेकर परेशान हैं।

शहर नगर पालिका क्षेत्र के अलावा देहात के 20 नगर पालिका व नगर पंचायतों में आंगनबाड़ी केंद्र कार्यकत्रियों के घरों में संचालित किए जा रहे हैं। विभागीय आंकड़ों के अनुसार शहर परियोजना में 148 और अर्बन देहात सहित कुल 534 आंगनबाड़ी केंद्रों को किराए का भवन नहीं मिल रहा है।

जिला कार्यक्रम अधिकारी पीके सिंह का कहना है कि शहरी क्षेत्र में तीन से चार हजार रुपये किराया देने पर भी आंगनवाड़ी केंद्र के लिए बिल्डिंग नहीं मिल रही है जिसके कारण मजबूरी में आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों के घरों में केन्द्र चलाने पड़ रहे हैं।

शासन ने इस पर संज्ञान लिया है तो जिला स्तरीय अधिकारियों में हड़कंप मच गया। डीएम, सीडीओ ने घरों में चल रहे केंद्रों को लेकर गंभीरता से लिया है और मजिस्ट्रेट जांच बैठा दी है। एसडीएम प्रवर्धन शर्मा ने नगर के सभी 22 आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण किया। जिसके बाद इन केन्द्रो पर नियुक्त आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों में हड़कंप मचा हुआ है। एसडीएम ने केंद्रों की रिपोर्ट डीएम को भेजी है। एसडीएम ने बताया कि वार्ड संख्या आठ और 10 में स्थित आंगनबाड़ी केंद्र मौके पर बंद मिले। साथ ही वार्ड संख्या सात का आंगनवाड़ी केंद्र काफी जर्जर स्थिति में मिला।

डीएम, सीडीओ ने भी गंभीरता लेते हुए मजिस्ट्रेट को जांच सौंप दी है। वहीं डायरेक्टर ने जल्द ही जिले के केंद्र की स्थिति देखने को डिप्टी डायरेक्टर भेजने की बात कही है।डीएम ने डीपीओ को स्थिति सुधारने एवं केंद्रों की बिल्डिंग कराये पर तलाशने को निर्देशित किया है। शासन से पत्राचार होने और संज्ञान लेने के बाद विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। जिले के 21 निकायों में 534 आंगनवाड़ी केंद्र घरों में चल रहे हैं। साथ ही शहर के 148 आंगनवाड़ी केंद्र घरों में चल रहे हैं।

ये समस्या सिर्फ एक जिले की नहीं बल्कि पूरे प्रदेश की है बाल विकास विभाग द्वारा इस बात का ध्यान नहीं दिया जाता कि जिन क्षेत्रो मे आंगनवाड़ी के पास केंद्र संचालित करने के लिए न तो खुद का भवन है न ही कोई सरकारी बिल्डिंग है वो केन्द्रो के बच्चो को केसे शिक्षित करेगी और केसे उन बच्चो का विकास होगा। मात्र 6 हजार मानदेय पर कार्य करने वाली आंगनवाड़ी वर्कर को साल भर बाद भवन किराया दिया जाता है कभी कभी तो एक से अधिक वर्ष भी लग जाते है ऐसी स्थिति मे भवन मालिक को केन्द्रो का किराया स्वय से वहन करना पड़ता है जिससे आंगनवाड़ी कि स्थिति बहुत ही दयनीय हो जाती है

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