कानपुर में कुपोषण का कहर अतिकुपोषित की संख्या तीन गुना बढ़ी
जून में हुए 12 परियोजनाओं में सर्वे में अतिकुपोषित बच्चो की संख्या तीन गुना बढ़ गयी है
नई रिपोर्ट के अनुसार अतिकुपोषित बच्चो की बढ़ती रिपोर्ट का आंकड़ा
बिल्हौर -120 चौबेपुर -69
पतारा-166 घाटमपुर -358
सरसौल -147 ककवन -111
विधनू -202
कल्याण पुर -207 भीतरगांव -160
राज्य सरकार द्वारा 2020 से कई बार कुपोषण दूर करने के ड्राई राशन की रेसिपी और वितरण में फेरबदल किया है लेकिन इसका कोई विशेष निष्कर्ष नही निकला है इन क्षेत्रों में अतिकुपोषित बच्चो का आंकड़ा बढ़ने की वजह से सरकार और विभागिय नीतियां शक के घेरे में है मात्र एक ही जनपद में 12376 बच्चे कुपोषण के शिकार हैं
बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की तरफ से जारी गाइडलाइंस के अनुसार बच्चो को तीन श्रेणी में बांटा गया है
स्वस्थ बच्चे को हरी श्रेणी में माना जाता है
कुपोषित बच्चो को पीली श्रेणी में माना जाता है
अतिकुपोषित बच्चो को लाल श्रेणी में माना जाता है
कानपुर जिले में कुल 2,06355 पंजीकृत है जिसमे 12376 बच्चे पीली श्रेणी (कुपोषित) की श्रेणी में है
जनपद में पिछले 9 माह में कुपोषित बच्चो की संख्या तीन गुना तक बढ़ गयी है सितंबर 2020 के सर्वे में अतिकुपोषित के 1802 मामले थे जिसमें उस समय शिवराज पुर में 104 और शहर द्वितीय में 75 मामले थे जबकि उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा अकटुबर से कुपोषण को दूर करने के लिए ड्राई राशन वितरण की व्यवस्था की गई थी अब ये ड्राई राशन की व्यवस्था कितनी कारागार हुई या फ्लॉप हुई इसका अंदाजा कुपोषित बच्चो की संख्या बढ़ने से लग रहा है विभाग द्वारा निरंतर समय अंतराल में कुपोषण दूर करने व बच्चो के स्वास्थ्य पर निगरानी हेतु सर्वे कराता है लेकिन जून सर्वे में कुपोषित बच्चो की संख्या 2470 हो चुकी है इससे विभागीय जिला अधिकारी कुपोषण को दूर करने संबंधी विशेष अभियान चलाने की तैयारी में लगे हैं
प्रदेश की नई जनसंख्या नीति में कुपोषण रोकने के लिए कई अहम कदम उठाए जाएंगे। इसमें पांच साल तक के बच्चों में कुपोषण की दर 17.9 फीसदी को 2026 तक घटाकर 16.4 फीसदी और 2030 तक 11.4 फीसदी पर लाने का लक्ष्य रखा गया है। पांच साल से कम उम्र के बच्चों का वजन बढ़ाने के लिए भी कई प्रावधान किए गए हैं। अभी तक पांच साल से कम उम्र के 38.5 फीसदी बच्चों का वजन कम पाया जाता है। इसे 2026 में 24.5 फीसदी और 2030 में 14.5 फीसदी पर लाने का लक्ष्य रखा गया है। नई नीति में मातृ मृत्युदर पर विशेष तौर पर फोकस किया गया है। अभी एक लाख पर मातृ मृत्युदर 197 है, जिसे 2026 में 150 और 2030 में 98 पर लाने की तैयारी है। इसके लिए पहले गर्भधारण करने के पहली तिमाही में पंजीयन का ग्राफ बढ़ाया जाएगा। अभी यह दर 45 फीसदी है, जिसे 2026 में 65 और 2030 में 75 फीसदी पर लाया जाएगा। इसी तरह संस्थागत प्रसव की दर 67.8 फीसदी से बढ़ाकर 2026 तक 80 पर और 2030 तक 90 प्रतिशत लाने की तैयारी है
विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान के दौरान आज से 25 जुलाई तक दस्तक अभियान चलेगा। इसमें क्षयरोगियों को खोजने पर भी जोर दिया जाएगा। आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर घर जाकर पांच सवाल करेंगी। कोई मरीज ग्रस्त है तो विभाग को जानकारी दी जाएगी।
आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता (फ्रंट लाइन वर्कर्स) मुख्य जिम्मेदारी निभाएंगी। इनको प्रशिक्षण दियाजा चुका है। यह अभियान संचारी रोग फ्रंटलाइन वर्कर्स घर-घर भ्रमण कर कई रोगों के नियंत्रण और उपचार की जानकारी प्रदान करने के लिए प्रचार प्रसार एवं व्यवहार परिर्वतन गतिविधियांसंचालित करेंगी।
यही नहीं, कुपोषित बच्चों और विभिन्न रोगों के लक्षण वाले व्यक्ति को चिन्हित कर सूची तैयार की जायेगी ध्यान रहे कि आशा व आंगनवाड़ी भ्रमण के दौरान किसी के घर के अंदर प्रवेश नही करेगी बुजुर्ग व्यक्ति को बाहर बुलाकर ही सूचना एकत्रित की जायेगी
12 से 25 जुलाई तक दस्तक अभियान चलाया जायेंगा फ्रंट लाइन वर्कर्स घर-घर जाकर रोगों के नियंत्रण की जानकारी देंगे
उत्तरप्रदेश में 12 जुलाई से 31 जुलाई तक चलाये जा रहे संचारी रोग नियंत्रण अभियान और दस्तक अभियान के अन्तर्गत 12 से 25 जुलाई तक विशेष दस्तक अभियान चलाया जायेंगा। अभियान के अंतर्गत आशा, आगंनवाडी कार्यकर्ता और फ्रंट लाइन वर्कर्स मुख्य जिम्मेदारी निभाएंगी। प्रशिक्षित फ्रंट लाइन वर्कर्स घर-घर भ्रमण कर विभिन्न रोगों के नियंत्रण एवं उपचार की जानकारी प्रदान करने के लिये प्रचार प्रसार एवं व्यवहार परिवर्तन गतिविधियां संचालित करेंगे।
संचारी रोग नियंत्रण अभियान की सफलता के लिए ग्राम प्रधानों के सहयोेग से गाॅवों में साफ-सफाई के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आशा आगंनवाडी कार्यकर्ता इस अभियान के अतंर्गत कुपोषित बच्चों तथा विभिन्न रोगों के लक्षण युक्त व्यक्तियों का चिन्हीकरण कर सूचीबद्व करेंगी। संचारी रोग नियंत्रण अभियान के तहत 12 से 25 जुलाई तक दस्तक अभियान चलेगा। हर जिले में आशा, आगंनवाडी कार्यकर्ता को डयूटी लगाई गई है, जो घर-घर जाकर लोगों को बीमारी के प्रति जागरूक करेंगी तथा मरीजों की लिस्ट तैयार कर विभाग को सौपेगी। इस दौरान कोविड से ठीक हुए मरीजों, एक हफ्ते से ज्यादा बुखार या खांसी रहने वाले लोगों तथा कुपोषित बच्चों पर फोकस रहेगा। अभियान के तहत मिलने वाले मरीजों को संबधित चिकित्सक से उचित उपचार उपलब्ध कराया जाएगा। कुपोषित मिलने वाले बच्चों की सूची बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग को सौंपी जाएगी। जिनके माध्यम से बच्चों को पोशण पुनर्वास केन्द्र एनआरसी मे ंरेफर किया जायेगा, इसी तरह टी0बी0 के मरीजों को क्षय रोग विभाग को मरीजों की सूची भेजी जाएगी। उन्होने मुख्य रूप से पाॅच बिन्दुओं-बुखार, आई0एल0आई0, टी0बी0, कुपोषित और दिव्यांगता पर फोकस करना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्लू0एच0ओ0 व यूनिसेफ के कार्यकर्ता, आशा , आगनवाडी कार्यकता के द्वारा किये जा रहे कार्यो की निगरानी करेगे।
क्या करे–
- दिमागी बुखार का टीका जरूर लगवाएं।
- मच्छरों के काटने से बचें मच्छरदानी, मच्छर, अगरबत्ती या काॅयल वगैरह का प्रयोग करें। पूरे आस्तीन की कमीज, फुल पैट मोजे पहनें।
- सुअरों को घर से दूर रखें। रहने की जगह साफ सुथरा रखें एवं जाली लगवायें।
- पीने के लिए इंडिया मार्का हैण्ड पम्प के पानी का प्रयोग करें। पानी हमेषा ढक कर रखें छिछला हैण्ड पम्प के पानी को खाने पीने में प्रयोग न करें।
- पक्के व सुरक्षित शोचालय का प्रयोग करे।
- शौच के बाद व खाने के पहले साबुन से हाथ अवश्य धोये।
- नाखूनों को काटतें रहें। लम्बे नाखूनों से भोजन बनाने व खाने से भोजन प्रदूषित होता है।
- दिमागी बुखार के मरीज को दाएं या बाएं करवट लिटाएं। यदि तेज बुखार हो तो पानी से बदन पोछते रहे।
क्या न करे–
- बेहोशी व झटके की स्थिति में मरीज के मुॅह में कुछ भी नही डालें।
- झोला छाप डाक्टरों के पास ना जायें।
- घर के आस पास गंदा पानी इकट्ठा न होने दें। व खुले में शौच न करे
- इधर-उधर कूडा-कचरा व गंदगी न फेलायें।