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बाल विकास विभाग की नई मुख्य सचिव ने भ्रष्ट डीपीओ की फाइलों को मांगा

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परियोजनाओं में नियुक्ति से सुपरवाईजर यूनियन ने किया विरोध

प्रदेश का बाल विकास विभाग कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है इसमे मानदेय पर आधारित आंगनवाड़ी वर्कर से लेकर सुपरवाईजर, सीडीपीओ से उच्च पद भी शामिल है शासन से जारी होने वाली योजनाओ को सही से संचालित नहीं किया जा रहा है जिसकी वजह से जिले मे समस्याए खड़ी हो रही है

गोण्डा जनपद में शासन के निर्देश पर मुख्य सेविकाओं के रिटायरमेंट और स्थानान्तरण की वजह से चार बाल विकास परियोजनाओं में कई पद रिक्त हो चुके है जिसकी वजह से जिले स्तर पर इन खाली पदों को अब मनमाने तरीके से भरने की तैयारी शुरू हो गई है। मुख्य सेविका के पद रिक्त होने से इन परियोजनाओं में संविदा पर नियुक्त मुख्य सेविकाओं को भेजे जाने की कवायद शुरू की गई है। इन संविदा पर तैनात मुख्य सेविकाओं से सम्बद्धीकरण के लिए बाल विकास परियोजनाओं के खाली रिक्त पदो को चुनने के विकल्प मांगे गए हैं।

लेकिन इस तरह विकल्प मांगने से मुख्य सेविकाओं के संगठन ने विरोध करना शुरू कर दिया है। मुख्य सेविकाओं ने वर्ष 2011 के उस आदेश का फिर से हवाला दिया है जिसमें साफ कहा गया है कि संविदा सीडीपीओ व मुख्य सेविकाओं को किसी भी दशा में उनके मूल तैनाती वाली परियोजना से नहीं हटाया जा सकता है। मुख्य सेविकाओं और सीडीपीओ के लिए यह शासनादेश वर्ष 2011 के 17 अगस्त को जारी किया गया था। इस आदेश को शासन की संयुक्त सचिव ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को भेज कर सूचित किया गया था।

इस संबंध मे बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी मनोज कुमार मौर्या का कहना है कि जिले के चार बाल विकास परियोजनाओं में एक भी मुख्य सेविका के नहीं होने के कारण पर्यवेक्षणीय व शासकीय कार्य नहीं हो पा रहे हैं। शासन की योजनाओ मे कोई लापरवाही न हो इसीलिए ऐसे में समायोजन व सम्बद्धीकरण का कदम उठाया जा रहा है। 

अनियमितता और भ्रष्टाचार से संबंधित फाइलें तलब

लखनऊ। बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की नयी नियुक्त प्रमुख सचिव वीना कुमारी मीना ने कार्य भार संभालने के बाद भ्रस्ट डीपीओ की फाईलों का ब्योरा मांगा है जिससे विभाग मे हड़कंप मच गया है

विभाग की प्रमुख सचिव ने पद ग्रहण करने के साथ ही भ्रष्टाचार से जुड़ी लंबित मामलों की संबंधित फाइलों पर कार्यवाही शुरू हो गई है। सूत्रो के अनुसार इन लंबित फाईलों मे करीब एक दर्जन से अधिक फाइल उन जिला कार्यक्रम अधिकारियों की हैं जिनके खिलाफ जांच चल रही है। ये फाइलें या तो शासन स्तर पर हैं या आईसीडीएस निदेशालय में धूल फांक रही हैं।

बाल विकास विभाग की जिम्मेदारी दोबारा संभालने के बाद प्रमुख सचिव वीना कुमारी मीना के इन फाइलों को तबल करने से हड़कंप मच गया है। अवगत हो कि विभाग के करीब 10 डीपीओ के खिलाफ भ्रष्टाचार,वित्तीय अनियमितता, महिला सहकर्मी से उत्पीड़न और गबन जैसे प्रकरण की जांच शुरू की गई थी, लेकिन दो वर्ष बीतने के बाद पूरी नहीं हो पाई है। लेकिन अब इन अधिकारियों पर जांच पूर्ण कर कार्यवाही की उम्मीद जाग गई है

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