कासगंज जिले में सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर वजन दिवस मनाया गया। इस दौरान 2267 आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चे वजन जांचने के लिए लाए गये। कुपोषण चेक करने के लिए पूरे दिन केंद्रों पर वजन दिवस मनाया गया और इस दौरान 147587 बच्चों का वजन किया गया।
जिला कार्यक्रम अधिकारी सुमित चौहान ने बताया कि केंद्रों पर बच्चों का वजन तौल कर स्वस्थ, कुपोषित और अतिकुपोषित श्रेणी में प्रक्रिया की गई। कोविड-19 प्रोटोकाल का पूरा ध्यान दिया गया। उन्होंने बताया कि सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर वजन चेक करने के लिए बच्चों को लाया गया। उन्होंने बताया कि इस दौरान बच्चों के वजन और आयु के आधार पर उनका स्वास्थ्य परीक्षण कराकर उनका चिह्नीकरण किया गया। जिले के सभी ब्लॉकों में पांच साल तक के 192263 बच्चों के सापेक्ष 147587 बच्चों का वजन किया गया। 1580 लाल श्रेणी में 5541 पीले श्रेणी में व 140466 बच्चे हरी श्रेणी में है।
सीडीपीओ हेमलता ने बताया कि नौ नवंबर को अन्नाप्राशन दिवस में छह माह की आयु पूर्ण कर चुके बच्चों का अन्नप्राशन होगा। 23 को किशोरी दिवस पर 11 से 14 वर्ष की स्कूल न जाने वाली किशोरी और बालिकाओं के मध्य कार्यक्रम होगा। सिढ़पुरा ब्लॉक गांव बोहरानपुर की आंगनबाड़ी कार्यकत्री मिथलेश ने बताया कि वजन दिवस के तहत 54 बच्चों का वजन किया। इनमें दो कुपोषित बच्चे थे। मिथलेश ने परिजनों को बच्चों का पोषण बढ़ाने के बारे में समझाया। हरी सब्जियां, फल, दूध आदि बच्चे को दे
राज्यपाल ने किया आंगनवाडी कार्यकत्रियो को स्कूल किट का वितरण
मऊ उत्तरप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आचार्य नरेन्द्र देव कृषि प्रौद्योगिकी कृषि विश्वविद्यालय अयोध्या व वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर की ओर से 85 आंगनबाड़ी केन्द्रों को गोद लिए जाने की भी सराहना की। उन्होंने वर्ष 2025 तक देश से टीबी वाले बच्चों और मरीजों को मुक्त कराने का संकल्प दिलाया। और कहा कि ग्राम प्रधान नाली, खडंजा और अन्य निर्मार्णों के साथ-साथ कुपोषित बच्चों पर भी ध्यान दें। अगर बच्चे स्वस्थ रहेंगे तो देश का भविष्य भी उज्जवल रहेगा।
राज्यपाल ने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों से कहा कि बच्चों को पढ़ाने के लिए उसी तरह का वातावरण तैयार करें। पढ़ाई से फायदा क्या है, उन्हें बताए। उन्हें बताए कि पढ़ाई से उन्हें भविष्य में क्या-क्या चीजें हासिल हो सकती हैं। अच्छा संस्कार दें, गणित और विज्ञान को भी एक माहौल बनाकर बच्चों के सामने पेश किया जाए। बच्चों को यह भी बताएं कि स्वच्छ रखना हमारा काम है, इसके लिए कार्यकत्रियों को भी ट्रेनिंग देने की आवश्यकता है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से देश से वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त करने के संकल्प का भी याद दिलाया। उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि हर गरीब बच्चों को शिक्षा दिया जाए, इससे कोई भी बच्चा वंचित न रहे। अपने इस कर्तव्य के साथ भी कार्य करना चाहिए।
इस बीच पूर्वांचल विश्वविद्यालय के सौजन्य से गोद लिये जाने के क्रम में 75 आगनवाड़ी केन्द्रों को 18,75000 का उपयोगी सामग्री और आचार्य नरेन्द्र देव कृषि विश्वविद्यालय अयोध्या एवं कोटवा आजमगढ़ की ओर से 10 आगनवाड़ी केन्द्रों को गोद लिये जाने पर 2,50000 के उपयोगी सामग्री राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने प्रदान की । विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्रों को गोद लिये जाने पर इन्हे आगनबाड़ी सहाभागिता प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।
राज्यपाल ने कहा कि आंगनवाड़ी केन्द्रों पर गरीब परिवार के बच्चे आते हैं। उनके अभिभावक कम पढ़े लिखे होते हैं, इसलिए उनके बच्चों को अच्छा संस्कार तथा खेलने-कूदने के संसाधन उपलब्ध कराये। जिनसे बच्चे देखकर सिखे और उनका शिक्षा के प्रति रूझान बढ़े। कहा कि कुपोषित बच्चों को विशेष ध्यान देना हैं।केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा गर्भवती महिलाओं को 6000 रुपये जन्म लेने वाले बच्चे की देख-रेख के लिए दिये जा रहे हैं।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राजकीय मेडिकल कॉलेज व सुपर फैसिलिटी अस्पताल में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ,आशा बहुओं तथा ग्राम प्रधानों की इस बात के लिए सराहना की कि अन्य जिलों में स्वागत गान के दौरान कोई मोबाइल चलाता है तो किसी का मोबाइल बजने लगता है। आज़मगढ़ में पहली बार ऐसा देखने को मिला है कि कार्यक्रम में न तो किसी का मोबाइल बजा और न ही कोई बात करते दिखा।
आजमगढ़ राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने मंगलवार की सुबह राजकीय मेडिकल कालेज चक्रपानपुर में 135 में से 10 आंगनवाड़ी केन्द्रों को सुविधा सम्पन्न कराने के लिए आवश्यक वस्तुओं का एक प्री स्कूल किट का वितरण खुद अपने हांथों किया।
आंगनवाड़ी कार्यकत्री जया पटेल, सरोज देवी, सरोज पाल, गीता पाण्डेय, फुलवासी देवी, शशिपाल, कल्याणी सिंह, अनीता देवी, सुमन देवी, साधना राय को स्कूल किट का वितरण किया गया। 15000 की लागत से बने प्रति प्री स्कूल किट से बच्चों में शिक्षा के प्रति जागरुकता बढ़ने की उम्मीद की जा रही है
6 माह से रसोईये का लंबित भुगतान का बजट जारी
सरकारी स्कूलों में खाना बनाने वाली रसोई माताएं (रसोईये ) भी अब धूमधाम से दीपावली मना सकेंगी। शासन से बजट आ गया है। विभागीय अधिकारियों ने उनके खातों में पैसा भेजने की तैयारी शुरू कर दी है। जल्द ही उनके खाते में पैसा पहुंच जाएगा।
जिले मे 2123 प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल है। इन स्कूलों में करीब 5 हजार रसोईयां खाना बनाती है। एक रसोईयां को 1500 रुपये मानदेय दिया जाता है। बतादें कि अप्रैल से इन स्कूलों में खाना बनाने वाली रसाइयों को मानदेय नहीं मिला है। पिछले कई माह से मानदेय न मिलने से रसोइयों की आर्थिक स्थिति लड़खड़ा गई थी। शासन ने इन रसोइयों के लिए 8 माह का रूका हुआ मानदेय भेज दिया है। ऐसा माना जा रहा है कि अब रसोइयां अपनी दीपावली धूमधाम से मनाएंगी।
मिड डे मिल इंचार्ज रासु कुमार ने बताया कि उनके खातों में पैसा भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।अप्रैल से इन रसोइयों का मानदेय नहीं मिला था। शासन से बजट नहीं आया था। रसोईयों को मानदेय देने के लिए शासन से बजट आ गया है। जल्द ही उनके खातों में पैसा पहुंच जाएगा।
आंगनबाड़ी वर्करो को इन्फैंटोमीटर मशीन का वितरण शुरू
पीलीभीत जिले के मरौरी ब्लाक सभागार में मंगलवार को आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को इन्फैंटोमीटर मशीन का वितरण किया गया। ब्लाक प्रमुख सभ्यता वर्मा, बीडीओ मरौरी डा. बृजेश कुमार गौतम ने सीडीपीओ रुचि शर्मा की मौजूदगी में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को इन्फैंटोमीटर की मशीन वितरण की। इन्फैंटोमीटर मशीन शून्य पांच साल के बच्चों को मशीन पर लिटा कर लंबाई नापने की व्यवस्था है। इस मशीन के तहत मरौरी के 229 इन्फैंटोमीटर की आपूर्ति की गई, जिसका वितरण मंगलवार को मरौरी ब्लाक में किया गया।
उच्च अधिकारियो को सुचना देने के बाद भी नही मिलता केंद्र का किराया
सुल्तानपुर जिले में छोटे बच्चों को प्राथमिक शिक्षा व पोषित बनाने के लिए संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों पर सुविधाओ की कमी है। जनपद में संचालित 2511 भवनों में 2020 आंगनबाड़ी केन्द्र सरकारी स्कूल और सार्वजनिक भवन में संचालित है।
विभिन्न ब्लॉकों में केवल 491 आंगनबाड़ी केन्द्र अपने भवन में संचालित हो रहे है। जिससे बच्चों को शौचालय,पेयजल सुविधाओ के लिए प्रयाप्त सुविधाएं नहीं मिल पाती है। विभागीय भवन में शौचालय आदि की सुविधाएं है, लेकिन सफाई की सुविधा नहीं होने से गंदगी रहती है।
जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में 2511 आंगनबाड़ी केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है। इसमें शहरी क्षेत्र के 114 आंगनबाड़ी केन्द्र शामिल है। आंगनबाड़ी केन्द्रों पर लगभग ढाई लाख बच्चों का पंजीकरण है। जिन्हें शिक्षा देने व अन्य सुविधाओ के लिए आंगनबाड़ी व सहायिका की तैनाती की गई है। ब्लॉक स्तर पर सीडीपीओ कार्यालय भी संचालित है। जिसके माध्यम से आंगनबाड़ी केन्द्रो की देखरेख की जाती है। बच्चों व गर्भवती महिलाओ को ड्राइराशन का वितरण भी किया जाता है। कोबिड के कारण आंगनबाड़ी केन्द्रों पर बच्चे नहीं आते है। जनपद के 2020 आंगनबाड़ी केन्द्रों का संचालन प्राथमिक स्कूल या सार्वजनिक भवन में किया जाता है। जिससे आंगनबाड़ी केन्द्रों का संचालन के लिए एक या दो कमरे तक सीमित रहता है। शौचालय के लिए अलग से कोई सुविधा नहीं होने से छोटे बच्चों को खुले में जाना पड़ता है।
जिले में आंगनबाड़ी केन्द्रो के संचालन के लिए केवल 491 केन्द्रों के लिए अपना निजी भवन है। इसमें कई भवन अभी पूरी तरह से तैयार नहीं हो पाए है। पेयजल सुविधा के लिए पानी की टंकी लगाने के लिए कार्ययोजना तैयार की गई है। निजी भवन में शौचालय आदि की सुविधाएं उपलब्ध है। जिससे बच्चों व आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को समस्या नहीं होती है। लेकिन इन निजी आंगनवाडी केन्द्रों को किराया नही मिल रहा है जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि जनपद में किसी भी आंगनबाड़ी केन्द्र का किराया नहीं दिया जाता है। जबकि उच्चाधिकारी मामले से अवगत हैं। लेकिन कोई सुनवाई नही होती