2024 की नई लोकसभा का कल से बजट सत्र शुरू हो रहा है जिसको लेकर देश का हर वर्ग चाहे महिला हो या पुरुष सभी की निगाहे इसी बजट सत्र पर लगी है। इस बजट पर आम जनता और सरकारी ,गैर सरकारी समेत मानदेय और संविदा कर्मचारियों की उम्मीद बंधी हुई है।
बजट 2024 को देखते हुए उत्तरप्रदेश में बाल विकास विभाग के मानदेय कर्मी आंगनवाड़ी वर्करों के संगठनों ने भी हलचल तेज कर दी है। राज्य के सबसे बड़े आंगनवाड़ी संघठन महिला आंगनवाड़ी कर्मचारी संघ ने केंद्र सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी के नाम 12 सूत्रीय मांगो का ज्ञापन भेजा है। इससे पहले भी आंगनवाड़ी के अन्य संघठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुलाब सिंह द्वारा भी मांग पत्र भेजा गया था।
आंगनवाड़ी संघ के प्रदेश अध्यक्ष गिरीश कुमार पांडेय ने मांग पत्र में आंगनवाड़ी वर्करों को शासकीय कर्मचारी बनाने और इनके मानदेय में बढ़ोत्तरी के साथ साथ अन्य समस्याओं के निराकरण करने के सम्बंध में लिखा है।
प्रदेश अध्यक्ष ने पिछले बजट का जिक्र करते हुए लिखा कि बाल विकास विभाग का बजट घटाया जा रहा है इससे विभाग के कर्मचारियों में काफी निराशा है। आंगनवाड़ी वर्करों की सामाजिक सुरक्षा और पेंशन की लगातार मांग करते हुए भी इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
अवगत हो कि केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद 2018 में आंगनवाड़ी वर्करों के मानदेय में कार्यकत्रियों के मानदेय में 1500 रुपए और आंगनवाड़ी सहायिकाओं के मानदेय में 750 रुपए की मामूली बढ़ोत्तरी की गई थी। इसके बाद दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद आंगनवाड़ी वर्करों का कोई मानदेय नहीं बढ़ाया गया।
वर्ष 2018 से महंगाई दर लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन मोदी सरकार आंगनवाड़ी वर्करों के मानदेय और समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दे रही है। देखा जाए तो वर्ष 2018 के बाद 6 वर्ष बीत चुके है लेकिन केंद्र सरकार ने आंगनवाड़ी के मानदेय में कोई बढ़ोत्तरी नही की है।