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संभव पोषण अभियान में जिले के तीन तीन सुपरवाइजर और सीडीपीओ होंगे सम्मानित

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उरई शासन व प्रशासन स्तर से बच्चों को कुपोषण से निकाल कर सुपोषित बनाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत एक जुलाई से दो अक्टूबर तक जनपद में संभव पोषण संवर्धन अभियान शुरू किया जा रहा है। इस अभियान के दौरान आंगनबाड़ी केंद्रों पर विभन्नि प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा।

 डीपीओ जालौन इफ्तेखार अहमद नेकहा कि संभव पोषण संवर्धन अभियान के तहत जनपद में शून्य से छह साल तक के सैम, मैम व अल्प वजन के बच्चों को चन्हिति किया जाएगा। तीन माह तक चलने वाले अभियान का मुख्य उद्देश्य सैम, मैम एवं अल्प वजन बच्चों की पोषण स्थिति में सुधार लाना है। इसमें बेहतर कार्य करने वाले जिले के तीन आंगनबाड़ी केंद्रों की तीन मुख्य सेविकाओं तथा तीन बाल विकास परियोजना अधिकारियों को चयनित कर शासन द्वारा पुरस्कृत किया जाएगा। उन्होंने बताया गत वर्ष भी संभव पोषण संवर्धन अभियान चलाया गया था।जनपद में शून्य से छहसाल तक के बच्चों की वर्तमान में संख्या 1,45,460 है, जिनमें लाल श्रेणी में 1813, पीले श्रेणी में 8766, सैम 231 और मैम 435 बच्चे शामिल हैं। जिले में बाल विकास विभाग द्वारा 1815 आंगनवाड़ी केंद्र संचालित किये जा रहे है।

डीपीओ ने बताया कि वर्तमान में चल रहे वजन सप्ताह के दौरान जिले के प्रत्येक अंगनबाड़ी केंद्रों पर छह साल तक के बच्चों का वजन लिया जा रहा है। इससे कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों को चिह्नित स्वास्थ्य में सुधार लाया जाएगा। उन्होंने बताया कि बच्चों का आंकड़ा भी एकत्र किया जा रहा है। अभियान में शिथिलता को रोकने के लिए एकीकृत बाल विकास सेवा के अधिकारियों द्वारा नियमित रूप से आंगनबाड़ी केंद्रों का भ्रमण कर वहां संचालित वजन कार्यक्रम की निगरानी की जा रही है।

एक जुलाई से शुरू हुए अभियान में आंगनबाड़ी केंद्रों पर विभन्नि कार्यक्रम गृह भ्रमण,स्वास्थ्य जांच, चिकत्सिकीय उपचार, पोषण परामर्श, व्यक्तिगत स्वच्छता आदि कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। अभियान को सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग, पंचायती राज विभाग, पशुपालन विभाग, शिक्षा विभाग, खाद्य एवं रसद विभाग, ग्राम्य विकास एवं आयुष विभाग को भी इसमें शामिल किया गया है।

बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग ने मिलकर बच्चो का नाटपन किया दूर

शाहजहांपुर जनपद में बाल विकास, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा संयुक्त रूप से किये गये कार्यो द्वारा नौनिहाल अब कुपोषण से सुपोषित की तरफ बढ रहे रहे हैं। जिले में बौनेपन के शिकार बच्चों का प्रतिशत कम होता जा रहा है। कुपोषण पैदा हुए कमजोर सुपोषित होकर लम्बाई की राह पकड़ रहे है। कुपोषण कम होने के कारण बच्चे अब सामान्य लंबाई के साथ अपना विकास कर रहे हैं। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग और स्वास्थ्य विभाग की सजगता के कारण आंगनबाड़ी केंद्रों पर लाल श्रेणी के बच्चे कम निकल रहे हैं जिसकी वजह से जिले में कुपोषण ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है।

बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार के जिला कार्यक्रम अधिकारी युगल किशोर सांगुड़ी ने बताया कि माता-पिता अपने बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो रहे हैं और जल्द ही हम जनपद को कुपोषण मुक्त बनाने में सफल होंगे, सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर वजन दिवस का आयोजन किया गया।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण एनएफएचएस 2015-16 में जहां जिले में 49.3 प्रतिशत बच्चे बौनेपन के शिकार थे, वहीं यह संख्या राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2020 -21 में घटकर 44.5 प्रतिशत पर पहुंच गई। आंकडों के मुताबिक पांच वर्ष तक की उम्र तक के 23 फीसदी से ऊपर बच्चे ऐसे थे, जिनका वजन उनकी लंबाई के हिसाब से कम था।

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