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स्मार्टफोन के नाम पर आंगनवाड़ी को किया भ्रमित

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आंगनवाड़ी वर्करो को स्मार्ट बनाने की योजना महज दिखावा

वर्षो से स्मार्टफोन का सपना देख रही जनपद गाज़ियाबाद की आंगनवाड़ी वर्करो का अकटुबर में सच हो गया है जनपद में शहरी और ग्रामीण परियोजनाओं में स्मार्टफोन मिलने शुरू हो गए हैं आंगनवाड़ी वर्करो को स्मार्टफोन विभागीय अधिकारियों व स्थानीय प्रधानों,सभासदों,मंत्रियों की मौजूदगी में वितरण किया गया है

CAS एप में मिलने वाली सुविधा

कार्बन मोबाइल में CAS एप्लिकेशन दी गयी थी जिसके द्वारा आंगनवाड़ी वर्करो को सर्वे की रिपोर्ट ,गर्भवती धात्री का पंजीकरण,आंगनवाड़ी कार्यकत्री व सहायिका की उपस्थिति,पंजीकृत बच्चो की फ़ोटो सहित उपस्थिति, राशन वितरण (टी एच आर ) का ब्यौरा ,गृह भ्रमण, एम पी आर की रिपोर्ट व बच्चो के वजन,लंबाई का ब्यौरा रोजाना भेजना होता था

पोषण योजना आने के बाद केंद्र सरकार द्वारा पोषण ट्रैकर एप लॉन्च किया गया जिसमें उक्त सभी गतिविधियों के साथ साथ लाभार्थियों के पोषण की जानकारी देना अनिवार्य कर दिया गया लेकिन उत्तरप्रदेश में मात्र 24 जनपदों में ही मोबाइल मिले थे वो भी अधिकतर खराब या वापस किये जा चुके थे

शासन द्वारा बार बार आदेश जारी होने के बाद अधिकारियों ने आंगनवाड़ी वर्करो पर पोषण ट्रैकर पर फीडिंग का दबाब बनाना शुरू कर दिया जिसमें स्पस्टीकरण से लेकर सेवा समाप्ति की धमकियां भी मिलने लगी चूंकि आंगनवाड़ी वर्कर बहुत ही अल्प मानदेय वर्कर थी एक स्मार्टफोन लेना उनके बस में नही था जिसके कारण आंगनवाड़ी यूनियनों ने जिलो पर धरने देने शुरू कर दिए और ज्ञापन द्वारा मोबाइल की मांग की आखिरकार सरकार को आंगनवाड़ी वर्करो को मोबाइल देने की घोषणा करनी पड़ी और सरकार ने शुरू में 51 जिलो में (जिन जिलो में पहले मोबाइल मिले थे को छोड़कर) स्मार्टफोन देने की शुरुवात की

सैमसंग स्मार्टफोन को जेम पोर्टल द्वारा खरीदा गया

आंगनवाड़ी वर्करो को मोबाइल देना सरकार के लिए भी आसान नही थी यूपी सरकार ने मोबाइल खरीद के लिए टेंडर जारी किए जिसमे बड़ी बड़ी कंपनियां शामिल थी लेकिन टेंडर प्रक्रिया में भी भ्रष्टाचार अछूता नही था लावा कम्पनी को टेंडर प्रक्रिया में शामिल म करने के कारण विभागीय मंत्री स्वाति सिंह और मुख्य सचिव की तकरार अखबारों की सुर्खियां बन गयी और आखिर में सरकार ने मोबाइल को जेम पोर्टल से खरीदने की घोषणा की चूंकि स्मार्टफोन का बजट 9 हजार तक रखा गया था और विभाग भी कार्बन मोबाइल की विफलता को देखते हुए कोई रिस्क नही लेना चाहता था अंत मे एक बड़ी जदोजहद के बाद सैमसंग गैलेक्सी M02 को देने पर सहमति बनी जिसका वितरण अकटुबर में शुरू हो गया है

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आंगनवाड़ी वर्करो को स्मार्टफोन मिलने की खुशी सिर्फ कुछ ही पलों में धूमिल गयी क्योकि विभागीय मोबाइल में सिर्फ पोषण ट्रैकर के अतिरिक्त अन्य कोई एप नही थी क्योकि सरकार ने सैमसंग कंपनी को आई सी डी एस के क्रियान्वयन के लिए विशेष ऑर्डर पर मोबाइल का निर्माण कराया था इसीलिए मोबाइल में अधिकांश फीचर को लॉक कर दिया गया था

मोबाइल में लॉक फीचर्स

1.मोबाइल में प्ले स्टोर नही है इसीलिए इस मोबाइल में कोई एप इंस्टॉल नही किया जा सकता है

2.मोबाइल में गूगल क्रोम या अन्य कोई ब्राउज़र नही है इसीलिए मोबाइल में गूगल जैसे सर्च इंजन के न होने के कारण इसमे कुछ सर्च नही किया जा सकता है

3.मोबाइल के अंदर कोई भी सोशल एप जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्वीटर,इंस्टाग्राम नही है अधिकतर आंगनवाड़ी वर्करो को अपने केंद्रों की गतिविधियां जैसे गोदभराई, अन्नप्राशन, केंद्र पर बच्चो की उपस्थिति, राशन वितरण की फ़ोटो सुपरवाइजर द्वारा निर्मित व्हाट्सएप ग्रुप में भेजनी होती है लेकिन व्हाट्सएप डाऊनलोड न होने के कारण कोई फ़ोटो या वीडियो नही भेज सकती है

4.मोबाइल में किसी भी ऑडियो प्लेयर या वीडियो प्लेयर की सुविधा नही दी गयी है

5.मोबाइल में कोई मेल आई डी जैसे जीमेल, याहू जैसी कंपनी की आई डी नही डाली जा सकती इस फीचर को भी लॉक किया गया है

अगर इन सब फीचर को लॉक किया जाता है तो आंगनवाड़ी को अब दो एंड्रॉयड फोन रखने होंगे क्योकि वर्तमान समय को देखते हुए मोबाइल में इन एप का होना बहुत जरूरी है अगर मोबाइल में इन एप का न होना मतलब विभागीय मोबाइल सिर्फ एक खिलौना मात्र ही रह जायेगा ऐसी दशा में आंगनवाड़ी की स्थिति जस की तस रह जायेगी

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