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सीडीपीओ दंपति की गला दबाकर की हत्या,गाजियाबाद के मसूरी क्षेत्र की सलमा आंगनवाड़ी का दर्द

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एटा  जनपद में शनिवार को महिला आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ की जिलाध्यक्ष धनदेवी ने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के समस्याओ से त्रस्त होकर धरना स्थल पर धरना प्रदर्शन किया और नौ सूत्रीय ज्ञापन प्रशासनिक अधिकारी को सौंपा।

ये भी देखे ….. जनपद ग़ाज़ियाबाद के मसूरी क्षेत्र की आंगनवाड़ी सलमा का दर्द । और ऐसा ही दर्द प्रदेश की हजारो आंगनवाड़ी जीने को मजबूर हैं

संगठन जिलाध्यक्ष धनदेवी ने ज्ञापन के माध्यम से बताया कि समय-समय पर महिला एवं बाल विकास विभाग को बताने के बाद भी जनपद की आंगनवाडी कार्यकत्रियाँ समस्याओं से जूझ रही है। सरकार सभी कार्यो को डिजीटल कर रही है। लाभार्थियों को लाभ समय पर मिले इसके लिये स्वंय सहायता समूह, राशन डीलर को जिम्मा सौंपा गया है। इसके बाद भी आंगनवाडी केन्द्रों के लाभार्थियों को समय से राशन नहीं मिल पा रहा है। सरकार ने टोकन लागू किये हैं लेकिन आंगनवाडियों को विभाग ने टोकन उपलब्ध कराये ही नहीं हैं। सरकार ने 1500 रुपए की प्रोत्साहन राशि की जो घोषणा की है वो नियमित मानदेय में परिवर्तित कर जल्द से जल्द दिया जाये

न मानदेय बढ़ा न प्रोत्साहन राशि मिली मिले तो सिर्फ काम और झूठे वादे

संघ की जिलाध्यक्ष धन देवी के नेतृत्व में जिलेभर से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कलक्ट्रेट में एकत्रित हुई। कर्मचारियों का कहना था कि बच्चों को ड्राई राशन वितरण में डीलर मनमानी कर रहे हैं। न तो राशन आंगनबाड़ी केंद्रों को उपलब्ध करा रहे हैं और न ही बच्चों को सीधे वितरित करते है । ऐसी स्थिति में केंद्रों को समय से राशन उपलब्ध कराया जाए, ताकि उसका वितरण बच्चों को हो सके। स्वयं सहायता समूहों द्वारा भी की जा रही मनमानी को संज्ञान में लेने की बात कही। संगठन द्वारा बताया गया कि ब्लाक अलीगंज में स्वयं सहायता समूह आंगनबाड़ी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को राशन रिफाइंड, चना की दाल उपलब्ध न कराकर उसका बंदरबांट कर रहे हैं, जिस कारण लाभार्थी पोषण से वंचित है। संगठन ने जिले में तीन साल से ज्यादा समय से एक ही परियोजना पर कार्यरत परियोजना अधिकारी, मुख्य सेविकाओं का स्थानांतरण किए जाने की भी मांग की। पोषण ट्रेकर एप संचालन को लेकर कहा कि तमाम कार्यकर्ताओं के मोबाइल खराब पड़े हैं और उन्हें प्रशिक्षण भी नहीं दिया गया। जरूरी है कि संसाधन उपलब्ध कराए जाएं। नियमित मानदेय नमिलने पर भी आक्रोश जताया। इसके अलावा सूचनाओं के लिए आवश्यक प्रपत्र तथा फीडिंग का खर्चा भी उपलब्ध कराने को कहा।

सरकार करती रही झूठे वादे लेकिन मानदेय में कोई बढ़ोत्तरी नही

जनपद बांदा के देहात कोतवाली के कहरिया गांव में रिटायर बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) और उनकी पत्नी की घर के अंदर गला दबाकर हत्या कर दी गई। हत्या के पीछे दंपति के छोटे बेटे का हाथ बताया जा रहा है। मझले बेटे ने सबसे छोटे भाई के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई है।

कहरिया गांव निवासी मइयादीन 2003 में पद से रिटायर हुए थे। पांच बेटों में चार बेटे गांव में ही अलग-अलग मकान बनवाकर रह रहे हैं, जबकि मइयादीन, पत्नी रामकली और छोटा बेटा जितेंद्र एक साथ रहते थे। जितेंद्र की पत्नी अपनी एक बेटी और बेटे को लेकर तीन साल से तिंदवारी स्थित मायके में रह रही है। एक बेटे को लेकर जितेंद्र मां-बाप के साथ रहता था। भाइयों के अनुसार जितेंद्र मां-बाप के साथ रहता तो था, पर उनसे लड़ाई झगड़ा भी करता रहता था। शुक्रवार सुबह बड़ा भाई योगेंद्र घर पहुंचा तो मां-बाप मरे पड़े थे। जितेंद्र बेटे के साथ गायब था। पोस्टमार्टम में गला दबाकर हत्या की पुष्टि हुई है। एसपी अभिनंदन ने बताया कि जितेंद्र के खिलाफ उसके बड़े भाई योगेंद्र ने रिपोर्ट दर्ज कराई है। उस की तलाश में दबिशें दी जा रही हैं।

आंगनवाडी को मामूली मानदेय पर भी कोई अतिरिक्त सुविधा नही

कोतवाली क्षेत्र के करहिया गांव में घटनास्थल पर जांच-पड़ताल को पहुंचे एसपी देहात ने बताया किजिस तरह से दंपति चारपाई पर मृत पाए गए, उससे जाहिर है कि उनकी गला घोंटकर हत्या की गई। हत्या की रपट बड़े भाई ने छोटे भाई के खिलाफ दर्ज करा दी है। चूंकि दंपति के साथ रहने वाला जितेंद्र घटना के बाद से ही फरार है, इस पर पुलिस की शक की सुई भी उसी पर घूम रही है।

जितेंद्र कोई काम नहीं करता है। यह भी सामने आया है कि पिता से रुपयों के लेनदेन को लेकर अक्सर विवाद करता था। उसकी आवारागर्दी के कारण पत्नी मायके तिंदवारी में एक बेटा और एक बेटी को लेकर रह रही है। जबकि जितेंद्र के साथ एक 10 वर्षीय पुत्र अंशू रहता था। जितेंद्र अपने साथ अंशू को भी ले गया है। घटना के बाद जितेंद्र के फरार हो जाने के कारण न सिर्फ परिवार के लोग बल्कि पुलिस भी यही अंदाजा लगा रही है कि हो न हो जितेंद्र ने ही माता-पिता की गला घोंटकर हत्या कर दी। घटना के बाद दो दिन का समय गुजर गया है, लेकिन पुलिस जितेंद्र को पकड़ नहीं सकी है। जितेंद्र और पिता के बीच पेंशन की मिलने वाली रकम को लेकर झगड़ा होता था। दंपति का बेटा योगेंद्र पिता और मां की देखरेख करता था। 20 दिन पूर्व मां ने बैंक से निकालते थे डेढ़ लाख: यह भी सामने आया कि मृतक रामकली ने 20 दिन पूर्व बैंक से डेढ़ लाख रुपया निकाला था। इसमें एक लाख रुपया बेटी मधु को देना था। उसमें भी जितेंद्र मां से खर्च के लिए मांग रहा था। लेकिन मां ने मना कर दिया। रुपए न मिलने पर जितेंद्र खुन्नस खाए था।उसे आशंका थी कि ऐसा न हो कि पिता अपने हिस्से की जमीन जायदाद योगेंद्र के नाम कर दें, क्योंकि योगेंद्र ही लकवे से ग्रसित पिता की सेवा करता था। दंपति के बेटे योगेंद्र का आरोप है कि हत्यारा मां के गले में पड़ा मंगलसूत्र और नगदी भी ले गया है। हालांकि पुलिस मंगलसूत्र और नगदी ले जाने की बात से इनकार कर रही है।

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