आंगनवाडी के बच्चे नही लायेंगे घर से बोरिया ,कासगंज में भर्ती विज्ञप्ति के कोड गलत
आंगनवाडी न्यूज़
रायबरेली : मुख्य विकास अधिकारी ईशा प्रिया की पहल कामयाब हुई तो नौनिहाल दरी पर बैठ कर शिक्षा ग्रहण करेंगे। आंगनवाडी केन्द्रों में बच्चो को जमीन पर नहीं बैठना पड़ेगा। अभी तक आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चे जमीन पर या फिर अपने घरों से बोरियां लाकर उस पर बैठते थे। इससे बच्चों को काफी दिक्कत होती है। सीडीओ ने जिला पंचायत राज अधिकारी को निर्देश दिया कि वह ग्राम पंचायत को मिलने वाली निधि से प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र को दरी खरीद कर उपलब्ध कराई जाए। जिससे बच्चों को जमीन पर न बैठना पड़े।
इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से उपलब्ध कराई जाने वाली वजन मशीन से उनका वजन भी केंद्र पर ही होगा। इससे कुपोषित बच्चों की जहां पर निगरानी करना आसान हो जाएगा। वहीं आंगनबाड़ी केंद्रों का माहौल भी बदलेगा। कुपोषित बच्चों का वजन करने के लिए वजन मशीन न होने से भी दिक्कत होती थी। इस समस्या को सीडीओ ने गंभीरता से लिया। उन्होंने सीएमओ को निर्देश दिया कि ग्राम स्वास्थ्य समिति को जाने वाले मद से सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर वजन मशीन खरीद कर दी जाए। जिससे बच्चों का नियमित वजन किया जा सके।
सोनभद्र जिला पोषण समिति की मासिक समीक्षा में राशन वितरण में शिथिलता बरतने पर जिलाधिकारी ने चार बाल विकास परियोजना अधिकारियों के वेतन भुगतान पर रोक लगा दी है।
डीएम अभिषेक सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में जनपद में अति कुपोषित बच्चों की संख्या के विषय में जिला कार्यक्रम अधिकारी से जानकारी ली। उन्होंने बताया कि जनपद में अति कुपोषित बच्चों की संख्या-1787 व अल्प कुपोषित बच्चों की संख्या-4502 है। उनके लिए आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों एवं सहायिकाओं के माध्यम से पुष्टाहार का वितरण व अन्य कार्यक्रम कराया जाता है। डीएम ने जब राशन वितरण की प्रगति के सम्बन्ध में जानकारी ली तो पता चला कि राबर्ट्सगंज, म्योरपुर, नगवां व दुद्धी के बाल विकास परियोजना अधिकारियों की ओर से राशन वितरण कार्य में शिथिलता बरती जा रही है। जिस पर डीएम ने नाराजगी व्यक्त करते हुए बाल विकास परियोजना अधिकारी दुद्धी के सलकराम, बाल विकास परियोजना अधिकारी नगवां के रामचन्द्र, बाल विकास परियोजना अधिकारी राबर्ट्सगंज के सुजीत कुमार व बाल विकास परियोजना अधिकारी म्योरपुर के वेतन भुगतान पर रोक लगायी और उपस्थित सभी अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि अति कुपोषित बच्चों के नियमित स्वास्थ्य परीक्षण किया जाय, यदि उनमें किसी भी प्रकार के बीमारी जैसे लक्षण दिखें, तत्काल एनआरसी सेन्टर ले जाकर भर्ती किया जाय, जिससे उनका स्वास्थ्य बेहतर हो सके। डीएम ने डीपीओ को निर्देशित किया कि भ्रमणशील रहकर आंगनबाड़ी केन्द्रों का निरीक्षण करें और जो भी आंगनबाड़ी कार्यकत्री केन्द्रों पर उपस्थित न मिले, उनके विरूद्ध कार्रवाई करना सुनिश्चित करें।
फतेहपुर के असोथर ब्लॉक परिसर में संचालित बाल विकास परियोजना कार्यालय बिजली कनेक्शन न होने के कारण अंधकारमय है कार्यालय में बिना बिजली के कैसे कार्य संपादित हो रहे हैं, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। विभाग द्वारा कनेक्शन को आवेदन करने के बाद भी बिजली विभाग स्टीमेट बनाने तक ही सीमित दिख रहा।
बाल विकास परियोजना कार्यालय में पांच सुपरवाइजर, दो लिपिक, दफ्तरी व सीडीपीओ समेत नौ कर्मियों का स्टाफ है। यहीं से क्षेत्र की 206 कार्यकत्रियां, 190 सहायिका, 16 मिनी आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। परियोजना कार्यालय का विद्युतीकरण नहीं हो पाया। कनेक्शन को विभाग द्वारा बिजली विभाग में आवेदन किया गया। विद्युत विभाग ने 1,60000 रुपए का स्टीमेट बना कर दिया गया। महीनों बीतने के बाद भी अभी तक आगे की प्रक्रिया नहीं बढ़ सकी। जबकि बिजली विभाग का कहना रहा कि भुगतान न मिल पाने के कारण कनेक्शन नहीं हो पा रहा है।
कासगंज में आंगनवाडी केन्द्रों के कोड निरस्त
लखीमपुर में पोषाहार उत्पादन की यूनिट लगायी जाएंगी जिले के 3500 से ज्यादा आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पंजीकृत लाखों बच्चों, गर्भवती महिलाओं को अब हर महीने ताजा पोषाहार मिलेगा। यह पोषाहार ब्लॉक पर ही टीएचआर यूनिट में तैयार होगा और समूहों की महिलाएं ही इस यूनिट का संचालन करते हुए पोषाहार तैयार करेंगी। ब्लॉक क्षेत्र के स्वयं सहायता समूहों का यूनिट में अंशदान लगेगा। अब तक बड़ी-बड़ी कंपनियां पोषाहार तैयार करके सप्लाई करती थी, इसमें महीनों लग जाते थे समय पर पोषाहार नही मिल पाता था। अब समूहो की महिलाएं वितरण के अनुसार हर महीने तैयार कर केन्द्रों पर भेजेंगी और बच्चों व महिलाओं को बांटा जाएगा। इसके बारे में उपायुक्त स्वत: रोजगार राजेन्द्र कुमार श्रीवास ने बताया कि जिले मे 15 ब्लॉक हैं। इनमें लखीमपुर, पसगवां व मोहम्मदी में एक-एक यूनिट लगेगी। एक ब्लॉक में 90 लाख की लागत से एक यूनिट लगेगी जबकि निघासन व रमियाबेहड़ की यूनिट निघासन में, ईसानगर व धौरहरा की यूनिट धौरहरा में, नकहा व फूलबेहड़ की यूनिट नकहा में लगाई जाएगी। गोला व बांकेगंज की यूनिट गोला में, पलिया व बिजुआ की यूनिट बिजुआ में और बेहजम व मितौली की यूनिट मितौली में लगेगी। जहां दो ब्लॉकों को मिलाकर एक यूनिट लगाई जा रही है वहां प्रति ब्लॉक डेढ़ सौ समूहों से अंशदान लिया जाएगा जिन तीन ब्लॉकों में एक-एक यूनिट लग रही है वहां प्रति ब्लॉक तीन सौ समूहों से अंशदान लिया जा रहा है। अब तक बड़ी कंपनिया पोषाहार का उत्पादन करती थी
खीरी जिले के 19 ब्लॉकों में नौ ब्लॉकों में टीएचआर यूनिट लगाने की तैयारी है। इसका खाका तैयार हो चुका है। एक ब्लॉक के तीन सौ समूहों को मिलाकर यह धनराशि एकत्र की जा रही है। प्रति समूह 30 हजार रुपए लिए जा रहे हैं। यूनिट तैयार होने के बाद इससे जो भी फायदा होगा वह सभी समूहों को दिया जाएगा। उपायुक्त स्वत: रोजगार राजेन्द्र कुमार श्रीवास ने बताया कि जिले में नौ यूनिट लगाई जानी हैं। इसके लिए जगह चिन्हित हो गई है। समूहों से अंशदान एकत्र किया जा रहा है। यूनिटें लगने के बाद बीस महिलाएं 24 घंटे यहां काम करेंगी। समूहों से जुड़ी महिलाओं को ही इसमें रोजगार मिलेगा। उन्होंने बताया कि समूहों को सीआईएफ (सामुदायिक निवेश धनराशि) के रूप में एक लाख 10 हजार रुपए दिए गए थे। इसी में से तीस-तीस हजार रुपए अंशदान के तौर पर टीएचआर यूनिट लगाने में समूहों से लिए जा रहे हैं। अब तक पोषाहार बड़ी कंपनियां तैयार करती थी अब यह काम महिलाएं करेंगी वह भी ब्लॉक स्तर पर जिससे ताजा पोषाहार केन्द्रों तक पहुंचेगा।
डीसी एनआरएलएम राजेन्द्र श्रीवास ने बताया कि बड़ा प्रोजेक्ट है। तीन सौ समूहों से अंशदान लेना है। सभी बीडीओ का सहयोग लिया जा रहा है। अब तक पसगवां में सबसे ज्यादा 68 लाख रुपए एकत्र हो गए है। जैसे ही पूरी धनराशि एकत्र होगी शासन को भेजा जाएगा और वहां यूनिट स्थापित की जाएगी। पोषाहार तैयार करने, पैकिंग करने के लिए मशीनें आएंगी। जिस भवन में यह यूनिट चलेगी उसकी छत की ऊंचाई 12 फिट से ज्यादा होनी जरूरी है। भवन किराए पर लिए जा सकते हैं या बाद में बनवाए भी जाएंगे।