आंगनवाडी केन्द्रों की गतिविधियाडाटा फीडिंग

लाभार्थियों की फीडिंग बनी आंगनवाड़ी वर्करो के लिए अभिशाप

जैसा कि आपको ज्ञात होगा महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आंगनवाड़ी वर्करो द्वारा पोषण ट्रैकर एप्प को डाऊनलोड करने का आदेश जारी किया गया है इस एप्प द्वारा सरकार गर्भवती व धात्री महिलाओ ,कुपोषित बच्चो का डाटा एकत्रित करने जा रही है सरकार द्वारा उठाया गया कदम बहुत सराहनीय है इसकी हम प्रशंसा करते है और इस कदम में आंगनवाड़ी वर्कर ईमानदारी ,मेहनत,और निष्ठा से साथ चलते हुए अपना कार्य करेंगी

लेकिन सरकार द्वारा इस पोषण ट्रैकर को लॉन्च करना भी  सरकार की खामियां दर्शाता है इसके लिए लगभग दो वर्ष पहले चलते है

दो वर्ष पहले विभाग द्वारा आंगनवाड़ी वर्करो को ऑनलाइन https://icds-wcd.nic.in/icdsmis/icdsmis_relogin.aspx पर एम,पी,आर (मासिक प्रगति रिपोर्ट) की शुरुवात की गई जिसके लिए शासन से कई आदेश जारी किए गए और आंगनवाड़ी इस ऑनलाइन प्रणाली के लिए तैयार नही थी लेकिन मानदेय काटने और सेवा समाप्ति जैसे सख्त और बेबुनियादी नोटिस जारी करते हुए अधिकारियों द्वारा आंगनवाड़ी पर ऑनलाइन रिपोर्ट भेजने का दबाब बनाया गया मजबूरी वश आंगनवाड़ी वर्करो ने परिवारजनों  की मदद से इस कार्य को करने की शुरुवात की जिन आंगनवाड़ी के पास एंड्रॉइड फोन नही था उन्होंने अपने निजी पैसे से सायबर कैफे पर जाकर ऑनलाइन रिपोर्ट भेजने की शुरुवात की लेकिन कुछ जिलो में ये प्रक्रिया भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई 


नतीजा वही ढाक के तीन पात


अब तीन माह पूर्व एक नया आदेश जारी किया जाता है कि अब आंगनवाड़ी https://icdsup.csccloud.in/ पर  यूजर आई डी और पासवर्ड द्वारा लाभार्थियों की फीडिंग करेंगी इस आदेश को जारी होने के बाद  आंगनवाड़ी वर्करो में जैसे नई क्रांति का संचार होने लगा किसी को कुछ मालूम नही और लाभार्थियों की फीडिंग के आदेश नोटिस जारी होने शुरू हो गए इस संबंध में मुख्य सेविका को कुछ भी जानकारी नही था आंगनवाड़ी वर्करो के सवालो पर जैसे सांप सूंघ जाता था आंगनवाड़ी के पुराने कोड पोर्टल पर काम नही कर रहे थे जैसे तैसे सीडीपीओ और डीपीओ ने नए आंगनवाड़ी कोड जनरेट किये और आंगनवाड़ी वर्करो पर स्वयं लॉगिन करने का जिम्मा डाल दिया गया किसी आंगनवाड़ी का मोबाइल नम्बर रजिस्टर नही तो किसी को पासवर्ड मालूम नही  लेकिन जैसे आंगनवाड़ी को नोटिस का डर लगता आंगनवाड़ी वर्करो ने व्हाट्सएप ग्रुप,फेसबुक ग्रुप आदि जैसे सोशल मीडिया के माध्यम से ऑनलाइन लाभार्थियों की फीडिंग शुरू कर दी आंगनवाड़ी वर्करो के साथ उनके परिवारजनों ने भी साथ देते इस कार्य को अंजाम दिया वैसे ये कार्य भी आंगनवाड़ी वर्करो के लिए बुरा सपने जैसा ही था लेकिन कुछ अधिकारियों ने ऐसे समय में भी मदद करने की बजाय भ्रष्टाचार को ही अपनाया और आंगनवाड़ी के मोबाइल नम्बर पोर्टल पर रजिस्टर न करते हुए प्राइवेट सायबर कैफे वालो से सेटिंग कर ली और आंगनवाड़ी वर्करो से फीडिंग के नाम पर खूब चांदी काटी  जिन आंगनवाड़ी वर्करो ने लॉगिन कर लिया था वो दिन रात एक करके अपने लाभार्थियों की फीडिंग करती रही

अभी इस दुःस्वप्न को भूल भी नही पाए थे कि निदेशालय ने एक और नया आदेश जारी कर हड़कंप मचा दिया कि अब आंगनवाड़ी वर्करो को पोषण ट्रैकर ऐप डाऊनलोड करना पड़ेगा समझ मे नही आता कि विभाग में बैठे अधिकारी क्या कुछ भी मंथन नही करते कि मात्र 5500 रुपए पर काम करने वाली आंगनवाड़ी पोषण ट्रैकर ऐप कंहा डाऊनलोड करेगी?  जिन आंगनवाड़ी वर्करो की उम्र 35 वर्ष से 55 से ऊपर हो गयी है अब उनसे  एंड्राइड फ़ोन से रिपोर्ट मांगी जा रही है   और सुविधा के नाम पर न कोई विभागीय फोन दिए जा रहे है और जो 2 वर्ष पहले 24 जिलो में मोबाइल दिए गए थे वो या तो खराब हो चुके है या जिला कार्यालय में वापस जमा हो चुके है और आज तक उनका कोई रिचार्ज का पैसा भी नही मिला है देखा जाए तो आंगनवाड़ी पहले अपनी दो से तीन माह की सॅलरी से मोबाइल खरीदकर  स्वयं रिचार्ज करे फिर परिवार के सदस्यों की मदद लेकर रिपोर्ट भेजे अगर इस समस्या को अपने सुपरवाइजर को बताये तो उनका कहना है कि हम भी अपने निजी फोन का प्रयोग विभाग के लिए करते है लेकिन वो ये नही कहती कि उनकी सॅलरी आंगनवाड़ी वर्करो से कितना गुना ज्यादा मिलती है और सुपरवाइजर द्वारा सीधे धमकी दी जाती है कि जो भी समस्या है वो लिखित में कार्यालय में दो  

इसी कशमकश में आंगनवाड़ी वर्कर हर रोज एक आस पर कार्य करती है कि ये राज्य और केंद्र सरकारें आंगनवाड़ी वर्करो की समस्याओं पर ध्यान देते हुए मानदेय व अन्य सुविधाओं का समाधान करेगी





Aanganwadi Uttarpradesh

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