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जाने !!! कौन से दो कार्यो ने सुप्रीमकोर्ट को आंगनवाडी के पक्ष में फैसला सुनाने पर मजबूर किया

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सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गये अहम फैसले के बाद देश की करीब पच्चीस लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायकों को सबसे बड़ी खुशखबरी मिली क्योंकि न्यायालय द्वारा आंगनवाडी वर्करो को ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 के तहत ग्रेच्युटी पाने का हकदार घोषित किया गया बरसो से धरातल से लेकर विधायको और सांसदों तक अपनी मांग को विधानसभा और लोकसभा में अपनी समस्या में पंहुचा रही है लेकिन किसी भी सरकार को आंगनवाडी वर्करो की आवाज सुनाई नही दी कुछ विधायको और सांसदों ने आंगनवाडी वर्करो की समस्याओ को उठाने की कोशिश की लेकिन सत्ताधारी सरकार आंगनवाडी वर्करो को कोई रियायत देने का मन नहीं बना सकी लेकिन सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय के अहम फैसले के कारण इन जमीनी स्तर की वर्करो का बरसो पुराना संघर्ष अब अपनी निर्णायक स्थिति तक पहुचने के कगार पर है।

आंगनवाडी वर्करो ने लगभग चार वर्ष पहले गुजरात हाई कोर्ट अपनी समस्याओ को लेकर याचिका दायर की थी लेकिन गुजरात हाईकोर्ट ने 2017 में पांच आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायकों की याचिका पर प्रतिकूल फैसला सुनाया था गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि आंगनवाडी वर्कर एक अंश कालिक वर्कर है जिसे एक कर्मचारी के समान सुविधा नही दी जा सकती केंद्र और सभी राज्य सरकारों ने देश के जन स्वास्थ्य की रीढ़ मानी जाने वाली इन आंगनवाडी कार्यकत्रियो और सहायिकाओ को नियमित सरकारी कर्मचारी मानने से ही इनकार कर दिया था।लेकिन इस फ़ैसले को लेकर आंगनवाडी वर्करो ने हार नही मानी और हाईकोर्ट के फैसले को सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी थी। लेकिन सुप्रीमकोर्ट ने आंगनवाडी वर्करो को निराश नहीं किया आंगनवाडी वर्करो की मनोदशा और दुर्दशा की स्थिति को देखते हुए आंगनवाडी के पक्ष में फेसला सुनाया

आंगनवाडी के पक्ष में फैसला सुनाने की दो वजह

देश में आंगनवाडी वर्करो द्वारा अपनी समस्याओ को लेकर अलग अलग राज्यों से लेकर जिले में धरना प्रदर्शन किये जाते रहे है कुछ यूनियन द्वारा हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की गयी थी लेकिन अधिकांश आंगनवाडी सेवा नियमावली में कमी को देखते हुए निराश होना पड़ता है केंद्र सरकार द्वारा आंगनवाडी वर्करो को समाज सेवी का दर्जा दिया जाता है आंगनवाडी वर्करो की नियुक्ति एक कर्मचारी के रूप में न होकर समाज सेवी के रूप में होती है जिसके कारण आंगनवाडी वर्कर को कोई भी सुविधा नही मिलती है आंगनवाडी वर्कर को अंश कालिक कर्मी का दर्जा दिया जाता है इसी कारण हाईकोर्ट में आंगनवाडी के सम्बंद में दायर याचिका ख़ारिज हो जाती है

  1. लेकिन इस बार सर्वोच्च न्यायलय ने आंगनवाडी के पक्ष में दो कार्य को गंभीरता से लेते हुए आंगनवाडी के पक्ष में फेसला सुनाया आंगनवाडी वर्करो के सम्बन्ध मे सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून आंगनवाड़ी केंद्र भी वैधानिक कर्तव्यों का पालन करते हैं और वे सरकार की विस्तारित इकाई हैं वास्तविकता यह है कि कुपोषण और रक्ताल्पता जैसी कमजोरियों के खिलाफ लड़ाई में ये आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायक ही जमीनी योद्धा हैं। क्योंकि आंगनवाडी वर्कर खाद्य सुरक्षा कानून के तहत कुपोषण दूर करने के लिए आंगनवाडी केन्द्रों के लाभार्थियों को राशन वितरण कर अपने कर्तव्यो का पालन कर रही है
  2. शिक्षा का अधिकार कानून की धारा ११ के तहत आंगनवाडी वर्कर केन्द्रों के बच्चो को शिक्षा प्रदान कर रही है नयी शिक्षा नीति के तहत आंगनवाडी वर्करो पर केन्द्रों के बच्चो की शिक्षा की जिम्मेदारी भी है जिसका आंगनवाडी ईमानदारी से निर्वाह कर रही है ये कार्य एक अंश कालिक कर्मी नही कर सकता तो ऐसे में आंगनवाडी को अंश कालिक कर्मी नही माना जा सकता

सुप्रीमकोर्ट ने माना कि 2019 में देश में कोरोना वायरस की पहली लहर ने दस्तक दी थी तब इन्हीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने आशा तथा एएनएम कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जान जोखिम में डालकर घर-घर जाकर संक्रमित लोगो की पहचान कर व बाहर से आये लोगो की पहचान कर सूची तैयार स्वास्थ्य विभाग को प्रेषित की जिससे संक्रमित लोगो का इलाज समय से हुआ लेकिन इन आंगनवाडी वर्करो को कोई सुविधा नही दी जाती थी न ही स्वास्थ्य विभाग ने इनको पीपीटी किट मुहैया करायी और न ही संसाधनो की सुविधा दी जबकि इन्ही आंगनवाडी वर्करो को सामाजिक रूढ़ियों के कारण विरोध तक का सामना करना पड़ता था! दूसरी ओर, विश्व बैंक जैसी संस्था ने उनके इस काम को सराहा था आज हम इस महामारी से लड़ाई में दूसरे देशों से बेहतर स्थिति में हैं, तो इसके पीछे इन्हीं जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका थी
अगर सर्वोच्च अदालत द्वारा ग्रेच्युटी का लाभ सेवानिवृत्त हो चुकीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायकों को भी मिलता है तो निश्चय ही उनकी सामाजिक सुरक्षा मजबूत हो सकेगी। यह फैसला वास्तव में उनके संघर्ष का एक पड़ाव है, सबसे बड़ी समस्या विभिन्न राज्यों में उनके समान काम के एवज में मिलने वाले मानदेय में भारी असंतुलन है, जिसे दूर किए जाने की जरूरत है। क्योंकि आंगनवाडी वर्करो को बहुत कम मानदेय मिलता है जिसमे कई राज्यों में मानदेय की स्थिति बहुत ही निराशाजनक है

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