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सालो से एक ही परियोजना पर सुपरवाइजर तैनात क्यों ? पोषण पाठशाला क्या है ? कब मनाया जायेगा ?

आंगनवाडी न्यूज़

फिरोजाबाद जनपद में सोमवार को महिला आंगनवाडी कर्मचारी संघ द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों पर ग्रीष्मकालीन अवकाश की मांग को लेकर मुख्यालय पर प्रदर्शन करते हुए जिला प्रशासन को ज्ञापन देकर अपनी मांगें से अवगत कराया गया

महिला आंगनवाडी कर्मचारी संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष के नेतृत्व में पहुंची आंगनवाडी कार्यकत्रियों ने कहा कि गर्मी को देखते हुए आंगनबाड़ी केंद्र में भी स्कूल व कॉलेज की तरह ही एक माह का अवकाश होना चाहिए । आंगनवाडी केंद्र बंद की स्थिति में भी अतिरिक्त कार्य पूर्ण करती रहेंगी। अन्य मांगो में सुपरवाइजरों की मनमानी की शिकायत करते हुए आंगनवाडी कार्यकत्रियो ने कहा कि कई वर्षो से एक ही परियोजना पर तैनात चल रहीं सुपरवाइजर का तबादला किया जाए। जिले में कुछ परियोजनाओं पर सुपरवाइजर की जगह बाहरी व्यक्ति कार्य कर रहे हैं। इनकी प्रशासन से जांच कराये कि इन लोगों का वेतन कहां से आ रहा है।

कई माह से बहुत सी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का वेतन रुका है, विभाग के अधिकारियो की लापरवाही सेमानदेय जारी नहीं कराया जा रहा है । आंगनवाडी कार्यकत्रियों का कहना है कि जिले में स्वयं सहायता समूह केंद्रों पर पूरा राशन नहीं पहुंचा रहा है। शिकायत करने पर भी विभाग कार्रवाई नहीं कर रहा है। आंगनवाडी संघ ने लम्बे समय से जमे हुए सुपरवाइजर एवं बाबू का जिले से बाहर स्थानांतरण करने की मांग उठाई।

आंगनवाडी भवनों के लिए ग्राम सभाओ से माँगा प्रस्ताव

प्रयागराज जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन हेतु खुद के भवन बनाने की तैयार किये जा रहे है । सीडीओ शिपू गिरि ने इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए सभी ग्राम सभाओं से प्रस्ताव मांगा है। जिन ग्राम सभाओं पर आंगनवाडी भवन निर्माण कराया जा सकता है वंहा की सभाओं ने जमीन के बारे में जानकारी दे दी है। बाकी शेष ग्राम सभा के प्रस्ताव अभी विकास भवन आ रहे हैं।

जिले में बाल विकास विभाग द्वारा कुल 4499 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किये जा रहे हैं। इसमें से 1139 आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे हैं, जिनके अपने खुद के भवन नहीं हैं। इन आंगनवाडी केंद्रों का संचालन या तो स्कूलों के परिसर में होता है, या फिर पंचायत भवन और बहुत आंगनवाडी केंद्र किराए के भवन में संचालित किये जाते है । बाकी कुछ ऐसे भी आंगनबाड़ी केंद्र भी हैं जो खुले मैदान से संचालित किये जाते है।

बाल विकास विभाग में अब तक 255 ग्राम सभा में पंचायत भवन बनाने का प्रस्ताव दिया जा चुका है। जिला कार्यक्रम अधिकारी मनोज कुमार राव ने बताया है कि सभी ग्राम सभा से प्रस्ताव आते ही एक विस्तृत योजना बनाकर भवन निर्माण का काम कराया जाएगा।

आंगनबाड़ी केंद्रों पर 26 मई से होगा पोषण पाठशाला का आयोजन

बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा 26 मई से पुरे प्रदेश के आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पोषण पाठशाला का आयोजन किया जाएगा। जनमानस एवं लाभार्थियों को विभागीय स्तर से दिये जाने वाली सेवाओं, पोषण प्रबंधन, कुपोषण से बचने के उपाय समेत अन्य मुद्दों पर जागरूक किया जाएगा। गर्भधात्री महिलाओं को मां के दूध का महत्व बताने के लिए बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से पोषण पाठशाला का संचालन होगा। इस आयोजन का दोपहर 12 से 2 के बीच एनआईसी के माध्यम से वीडियो कांफ्रेंसिंग किया जायेगा। इस दौरान एनआईसी में कार्यक्रम का प्रसारण होगा और वेबकास्ट भी होगा। वेब लिंक http:// webcast. gov. in/ up/ icds के जरिए जिले से सामान्य लोग भी जुड़ सकते हैं।

जनपद मिर्जापुर के जिला कार्यक्रम अधिकारी वाणी वर्मा ने सभी से निर्धारित समय पर वेब लिंक के माध्यम से जुड़ने की अपील की है। उन्होंने कहा कि पोषण पाठशाला में विभागीय अधिकारियों के अलावा विभिन्न विषयों के जानकार के माध्यम से स्तनपान के महत्व समेत विभिन्न मुद्दों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की जाएगी। इसके अलावा जनपद के 2668 आंगनबाड़ी केन्द्रों से लाभार्थियों के पूछे गये प्रश्नों का उत्तर भी दिया जायेगा। कार्यक्रम को लाइव भी किया जायेगा।

बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की निदेशक सारिका मोहन की ओर से जारी पत्र में कहा गया कि कार्यक्रम दोपहर 12 से दो बजे तक होगा पहली पोषण पाठशाला का आयोजन 26 मई को शासन की ओर से किया जाएगा।

ये भी पढ़े ….पोषण पाठशाला के सम्बन्ध में जारी आदेश

शिशुओं में शीध्र स्तनपान व केवल स्तनपान उनके जीवन की रक्षा के लिए एक बूटी से कम नहीं है लेकिन समाज में फैले हुए भ्रामक तथ्यों से यह सुनिश्चित नहीं हो पाता है। यह बच्चों के स्वास्थ्य के लिए जानलेवा साबित होता है। इसलिए विभाग ने मई व जून माह में पानी नहीं, केवल स्तनपान का अभियान चलाया है।

बच्चों के लिए मां का दूध दवा के समान माना गया है। शिशु एवं बाल मृत्यु दर में कमी लाने के लिए यह आवश्यक है कि नवजात को जन्म के एक घंटे के अन्दर स्तनपान कराना आवश्यक है। छह माह की आयु तक उसे मात्र स्तनपान ही कराना चाहिए। मां एवं परिवार को लगता हैकि स्तनपान शिशु के लिए पर्याप्त नहीं है। वह शिशु को अन्य चीजें जैसे कि घुट्टी शर्बत, शहद, पानी देती हैं।शिशुओं में मात्र स्तनपान सुनिश्चित नहीं हो पाता है। साथ ही शिशु में दूषित पानी के सेवन से संक्रमण, दस्त आदि होने की भी संभावना बढ़ जाती है।

विभाग स्तर से तैयारी करने के लिए सभी मुख्य सेविकाएं, आशा, आशा संगिनी, आंगनबाड़ी कार्यकत्री एवं मिनी कार्यकत्री को भी वेब लिंक से जुड़ने का निर्देश दे दिया गया है। इसके लिए विभाग की ओर से पत्र जारी कर दिया गया है।

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