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लाभार्थियों की संख्या के आधार पर नही मिलते दाल और तेल के पैकेट

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लखीमपुर-खीरी जनपद में आंगनबाड़ी केन्द्रों पर लाभार्थियों को वितरित किये जाने वाले पोषाहार जून से टीएचआर प्लांट पर जून से तैयार होगा जिले के बिजुआ, निघासन, मोहम्मदी, पसगवां और गोला क्षेत्रो में 90-90 लाख रुपये से प्लांट तैयार किये जा रहे है

महिला स्वयं सहायता समूह अब अचार मुरब्बा, दरी आदि बनाने तक ही सीमित नहीं हैं। समूह की महिलाओं ने अब बड़े-बड़े उद्योग लगाने शुरू कर दिए हैं। उद्योग लगाने में एक नया कीर्तिमान बना दिया है। जिले के समूहों ने 90-90 लाख रुपये से पांच ब्लॉकों में टीएचआर (टेक होम राशन) प्लांट लगा दिया है। आंगनबाड़ी केन्द्रों पर बच्चों, महिलाओं को बंटने वाला पोषाहार अब इन्हीं प्लांटों में महिलाएं तैयार करेंगी। पांच ब्लॉकों में प्लांट तैयार हो चुके हैं। चार ब्लॉकों में और तैयार होने हैं। आंगनबाड़ी केन्द्रों पर बंटने वाला पोषाहार पहले बड़ी-बड़ी कंपनियों से तैयार होकर आता था। अब महिलाओं ने अपना प्लांट लगा लिया है। यहीं पर पोषाहार तैयार होगा।

अवगत हो कि आंगनबाड़ी केन्द्रों पर गर्भवती महिलाओं, धात्री महिलाओं, कुपोषित बच्चों, तीन से छह वर्ष के बच्चों के अलावा किशोरी बालिकाओं को पोषाहार दिया जाता है। पोषाहार का निर्माण अब तक बड़ी-बड़ी कंपनियां कर रही थी। महिलाओं को पोषाहार बनाने का प्रशिक्षण भी दिया गया। उपायुक्त एनआरएलएम राजेन्द्र श्रीवास ने बताया कि लखीमपुर, नकहा व धौरहरा में टीएचआर प्लांट लगेंगे इसकी तैयारी चल रही है।

आंगनबाड़ी केन्द्रों पर वितरित होने वाले पोषाहार को तैयार करने में जो सामग्री लगेगी उसको महिलाएं ही बाजार से खरीदेंगी। इसके बाद पोषाहार तैयार कर पैकेटों में पैक करेंगी। जैसे गेहूं की दलिया तैयार करने के लिए बाजार से गेहूं खरीदेंगी और दलिया बनाएंगी। इसी तरह से शासन से जो सामग्री तैयार करने का निर्देश मिलेगा उसको तैयार करेंगी। आंगनबाड़ी केन्द्रों पर महिलाएं ही पोषाहार पहुंचाएंगी। इसके लिए दो-दो वाहन भी दिलाए जाएंगे। जिससे महिलाएं आसानी से केन्द्रो तक पोषाहार पहुंचा सकें।

एनआरएलएम उपायुक्त श्रीवास का कहना है कि टीएचआर प्लांट का प्रोजेक्ट करीब एक करोड़ का है। समूह की महिलाओं के पास इतनी धनराशि नहीं थी। इसलिए ब्लॉक के तीन सौ महिला समूहों को एक साथ जोड़ा गया। सभी ने 30-30 हजार रुपये की सहभागिता की। इससे 90 लाख रुपये एकत्र हो गए और प्लांट लग गया। प्रति यूनिट करीब बीस महिलाओं की टीम इसका संचालन करेगी। जो आमदनी होगी वह सभी समूहों में बांटी जाएगी।

उरई जनपद के एट क्षेत्र में आंगनबाड़ी केंद्रों पर आने वाले बच्चो को शासन की तरफ से पर्याप्त राशन नही मिल रहा है। राशन कम मिलने की वजह से बच्चों को नियमानुसार पुष्टाहार वितरण नही हो रहा है। राशन कम मिलने की वजह से कुछ लाभार्थी मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज कर रहे है जिसकी वजह से आंगनवाड़ी वर्करो को समस्याओ का सामना करना पड़ रहा है आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों ने इस कमी को लेकर कई बार सर्किल के सुपरवाइजर व सीडीपीओं से शिकायत की, लेकिन उन्होंने कोई संतोषजनक जबाव नहीं दिया। पंजीकृत बच्चों को भरपूर सामग्री न मिलने से आए दिन वाद-विवाद की स्थिति खड़ी हो जाती है। उन्होंने जिला प्रशासन से मांग उठाई है कि केंद्रों को पंजीकृत बच्चों के हिसाब से पोषाहार दिलाया जाए।

जिले की नगर पंचायत एट में दो आंगनबाड़ी केंद्र हैं। इन आंगनवाड़ी केंद्रों पर करीब एक दर्जन आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां नियुक्त हैं। कम राशन मिलने की वजह से आंगनवाड़ी त्रस्त है अपनी समस्याओं को लेकर आंगनवाड़ी वर्करो ने अपनी समस्याओं को रखा है

विनीता पाल ने बताया कि लाभार्थियों के अनुसार पोषाहार नही मिलता है। जगह का भी अभाव है। उन्होंने पुष्टाहार बांटने के लिए कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय की प्रधानाचार्य से कुछ समय के लिए एक कमरा मांगा तो उन्होंने देने से मना कर दिया। जिससे खुले आसमान के नीचे पुष्टाहार बांटना पड़ रहा है।

आंगनवाड़ी कार्यकत्री शांति कुशवाहा का कहना है कि पुष्टाहार लाभार्थियों की संख्या के अनुसार नही मिलता है। समूह की महिलाएं राशन समय से उपलब्ध नही कराती है अपनी मनमर्जी से दो केंद्रों में से किसी एक केंद्र पर उतार कर चली जाती हैं।

आंगनवाड़ी कार्यकत्री मीरा देवी का कहना है कि बारह आगनबाड़ी कार्यकत्री होने के बाद भी मात्र दो केंद्र ही हैं, जिससे हम लोगों को खुले आसमान के नीचे कड़ी धूप में पुष्टाहार वितरण करना पड़ रहा है।

आंगनवाड़ी कार्यकत्री रामजानकी का कहना है लाभार्थियों के अनुसार 15 पैकेट कम मिलते हैं इस बारे में कई बार अधिकारियों से शिकायत भी की है क्षेत्र में मात्र दो केंद्र होने की बजह से के पुष्टाहार समय से नही वितरण होता है। आंगनवाड़ी केंद्रों में कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय के परिसर के बाहर पुष्टाहार बांटना पड़ता है

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