लंबी कानूनी लड़ाई के बाद मिला आंगनवाड़ी परिवार को बीमा योजना का लाभ
आंगनवाड़ी बीमा
केंद्र सरकार द्वारा बाल विकास विभाग मे मानदेय पर कार्य करने वाली आंगनवाड़ी वर्करो के दुर्घटना होने और मृत होने पर बीमा राशि देने के सम्बंध मे कई योजनाए चलायी जाती है। लेकिन क्या हकीकत मे इन योजनाओ का आंगनवाड़ी वर्करो को लाभ मिल रहा है इसका किसी के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है।
उत्तरप्रदेश मे बाल विकास विभाग निदेशालय के आदेश पर प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के सम्बंध मे आदेश जारी किया गया था। जिसमे आंगनवाड़ी वर्करो से इन योजनाओ के लिए आवेदन मांगे गए थे लेकिन इन योजनाओ का आंगनवाड़ी वर्करो को लाभ मिलता है ये कोई नहीं जानता।
रायबरेली जिले मे आंगनवाड़ी कार्यकत्री की लंबी बीमारी से मौत होने पर उनके पति ने जिले के डीपीओ द्वारा मना करने पर भी अपने हक की कानूनी लड़ाई लड़ी और उच्च न्यायालय से इन योजनाओ का लाभ लेने मे सफलता पायी। हालाकि ये इतना आसान नहीं था।
लेकिन अन्य आंगनवाड़ी वर्करों को अपने हक के लिए लड़ना की नजीर बनाने के लिए पति राकेश शुक्ला ने अपने जिले के विभागीय अधिकारियों के खिलाफ हाईकौर्ट मे याचिका दायर की और इन दोनो योजना का लाभ लिया।
अगर कोई आंगनवाड़ी वर्कर दुर्घटना ग्रस्त होती है या किसी आंगनवाड़ी की मौत हो जाती है तो विभागीय अधिकारी सुध भी नहीं लेते। आंगनवाड़ी के परिजन जब कार्यालय पहुचते है तो उनसे सही से बात भी नहीं की जाती। जब योजनाओ का भुगतान की बात आती है तो अधिकारी अपना पल्ला झाड लेते है।
हाईकौर्ट मे डाली गयी याचिका के अनुसार आंगनवाड़ी कार्यकत्री माधुरी शुक्ला की मृत्यु 25.3.2023 को एक लम्बी बीमारी के कारण हो गई थी। वह पिछले 28 वर्षों से आंगनवाड़ी केंद्र मऊ-2 में आंगनवाड़ी केंद्र पर कार्यकत्री पद पर कार्य कर रही थी। अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद याचिकाकर्ता पति राकेश शुक्ला ने अपने क्षेत्र के बाल विकास परियोजना अधिकारी, रायबरेली के समक्ष प्रधानमंत्री जीवन ज्योति और जनश्री बीमा योजना के लिए आवेदन किया था।
चूंकि आंगनवाड़ी कार्यकत्री ने विभाग के अतिरिक्त निजी स्तर से भी इस योजना के तहत अपना अंशदान दिया था जिसका बाल विकास विभाग से कोई लेना देना नहीं था। निजी स्तर से अंशदान देने पर पति राकेश शुक्ला ने इस योजना का लाभ ले लिया था।
लेकिन जब इस विभागीय द्वारा चलायी जा रही इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन किया तो अधिकारियों ने ये कहकर मना कर दिया कि एक व्यक्ति को इस योजना का दो बार लाभ नहीं दिया जा सकता।
जिले के अधिकारियों द्वारा मना करने पर पति राकेश शुक्ला ने हाईकौर्ट मे केस दायर कर दिया। एक लम्बी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद कौर्ट ने आंगनवाड़ी के पति के पक्ष मे अपना फैसला सुनाया।
लेकिन हाईकौर्ट द्वारा जनवरी 2024 के आदेश के बाद भी डीपीओ ने इस मामले पर कोई कार्यवाही नहीं की। जिस पर कोर्ट ने विभाग पर कड़ी सख्ती करते हुए 6 सप्ताह मे निर्णय लेने को कहा है।
हाईकौर्ट ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि विवाद के गुण-दोष में प्रवेश किए बिना उत्तर प्रदेश राज्य सरकार , मुख्य सचिव, बाल विकास एवं पोषण विभाग, उत्तर प्रदेश को निर्देश जारी किया जाता है कि वह प्रधानमंत्री जीवन ज्योति और जनश्री बीमा योजना के लिए अपने दावे में याचिकाकर्ता की शिकायत पर गौर करे और इस आदेश की प्रमाणित प्रति उसके समक्ष प्रस्तुत किए जाने की तारीख से छह सप्ताह की अवधि के भीतर योजना और समय-समय पर जारी प्रासंगिक सरकारी आदेशों के अनुसार उचित निर्णय ले।
हाईकौर्ट मे याचिककर्ता राकेश शुक्ला के केस की पैरवी वकील बृजेश कुमार तिवारी द्वारा की गयी है। इस केस मे मिली जीत के बाद पति राकेश शुक्ला का कहना है कि प्रदेश मे किसी भी आंगनवाड़ी वर्कर को केंद्र सरकार की इन दोनों योजनाओ का लाभ नहीं मिला है। लेकिन अब इस जीत के बाद प्रदेश की आंगनवाड़ी वर्करो का रास्ता खुल गया है इससे सभी आंगनवाड़ी परिजनो को इसका लाभ मिलेगा।
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