दो माह से बंद राशन गोदाम में रिफाइन्ड और दाल के पैकेट खुले मिले ,सुपरवाइजर को नोटिस जारी कर वेतन रोका,
आंगनवाडी न्यूज़
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फिरोजाबाद बाल विकास परियोजना टूंडला में दो माह से आंगनवाडी वर्करो को पोषाहार का वितरण नहीं किया जा रहा है। शासन से आने वाला राशन गोदाम में भरा रहता है। सोमवार को बाल विकास परियोजना टूंडला के पोषाहार गोदाम पर सुबह दस बजे जिला कार्यक्रम अधिकारी आभा सिंह निरीक्षण करने पहुची पहुंची तो सुपरवाइजर रश्मि सिंह गैरहाजिर थीं। इसके बाद दुबारा 10.25 बजे निरीक्षण में रश्मि सिंह उपस्थित थी लेकिन यंहा के हालात देख डीपीओ अचम्भित रह गई। डीपीओ ने स्टॉक पंजिका, विवरण पंजिका, भ्रमण पंजिका, निरीक्षण आख्या पत्रावली तथा अतिकुपोषित बच्चों की रेड पंजिका मांगी, लेकिन सुपरवाइजर नहीं दिखा सकीं। केंद्र पर्यवेक्षण के संबंध में भी जानकारी नहीं दे सकीं। साफ-सफाई की स्थिति खराब थी। पोषाहार गोदाम की चाबी मांगने पर वह कोई जानकारी नहीं दे पाईं। इसके बाद राजेश नरमा कनिष्ठ सहायक से फोन पर बात होने पर सहायिका ने भंडार गृह का ताला खोला। अंदर जाकर पिछले माह का पोषाहार गोदाम में भरा मिला। सुपरवाइजर की इस लापरवाही पर नोटिस जारी करते हुए वेतन रोक दिया है।और इस कार्य को पूर्ण करने के लिए शहर द्वितीय की मुख्य सेविका को जिम्मेदारी सौंपी है।
गोदाम की स्थिति पोषाहार गोदाम में 4 कार्टून रिफाइंड जिनमे कुछ खुले हुए रिफाइंड के पैकेट थे तथा 141 पैकेट दाल के पैकेट फैले हुए थे। जिनमे 110 पैकेट दलिया मिला। डीपीओ ने बताया कि 30 नवंबर से प्राप्त पोषाहार का वितरण नहीं किया है। लाभार्थी विभागीय योजनाओं से लाभांवित नहीं हो सका है, जबकि 48 घंटे में पोषाहार वितरण के आदेश हैं। डीपीओ आभा सिंह ने कहा है सुपरवाइजर ने पोषाहार का वितरण नही किया है। मुख्य सेविका फिरोजाबाद शहर द्वितीय शकुंतला देवी एवं इंद्रा गौतम को निर्देश दिए हैं टूंडला भंडार गृह की चाबी लेकर इसका वितरण कराना सुनिश्चित करें।
प्राप्त सूत्रों के अनुसार पूर्व में भी सुपरवाइजर द्वारा विभागीय कार्यों में आदेशों की अनदेखी कर लापरवाही की जाती रही है। इस बाबत सुपरवाइजर को नोटिस जारी कर भेजा कार्रवाई की जाएगी।
जनपद में कुपोषित बच्चो की स्थिति में सुधार
ललितपुर स्वास्थ्य विभाग व बाल विकास के बेहतर तालमेल से बच्चों में कुपोषण की समस्या तेजी से दूर होती दिख रही है। नवंबर माह में 1348 बच्चों की सेहत सुधरी। बच्चों को स्वस्थ्य बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग व बाल विकास विभाग मिलकर काम कर रहे हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों पर नामांकित बच्चों का वजन लिया जाता है। इस दौरान वजन और ऊंचाई का मूल्यांकन करते हुए उनकी श्रेणी तय होती है। जिन बच्चों का वजन डब्ल्यूएचओ के ग्रोथ चार्ट के हिसाब से कम मिलता है। उन्हें कुपोषण की श्रेणी में रखते हैं। डीपीओ नीरज सिंह ने बताया कि नवंबर माह में 1683 बच्चों का चिह्नीकरण किया गया। जिनका वजन कम था। इनमें 1,348 बच्चों को अतिरिक्त आहार दिया गया, जिससे उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ। इसके अलावा 270 बच्चे एनआरसी में भी भर्ती किये गये। जो मेडिकल उपचार पाकर स्वस्थ हो चुके हैं। शेष बच्चों को भी एनआरसी भेजने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। जिन बच्चों का वजन डब्ल्यूएचओ के ग्रोथ चार्ट में दर्शाए मानक से कम पाया जाता है, ऐसे बच्चों को अतिरिक्त पौष्टिक आहार दिया जाता है। इसके अलावा जिन बच्चों को चिकित्सीय उपचार की आवश्यकता होती है, उन्हे एनआरसी भेजा जाता है। एनआरसी से डिस्चार्ज होने के बाद एक माह तक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व एएनएम बच्चों का फालोअप करती हैं। इस समय जिले के प्रत्येक ब्लाक में एनआरसी संचालित हैं। इनमें जिला अस्पताल में दस व ब्लाक स्तर पर छह- छह बेड की व्यवस्था है।
आंगनबाड़ी केन्द्र में न आंगनवाडी के बेठने की जगह न बच्चों के बैठने का ठिकाना
बहराइच के विशेश्वरगंज क्षेत्र के ग्राम पंचायत खानपुर मल्लोह में बने आंगनबाड़ी भवन की दुर्दशा बद से बदतर है वहां तैनात आंगनबाड़ी कार्यकत्री स्वयं कहां बैठती होगी तथा छोटे-छोटे नौनिहाल बच्चों को कहां और कैसे बिठाती होगी इसको बयाँ करना ही बहुत मुश्किल है पोषाहार का स्टोर रूम की स्थिति भी बदहाल है। आंगनवाडी केंद्र में दरवाजा लगा होने के कारण ग्राम वासियों द्वारा गंदगी फेंकी जाती है जिससे केंद्र संचालन में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, यहां तक शौचालय व्यवस्था पूरी तरीके से खराब बंद स्थिति में है। इस संबंध में आंगनबाड़ी केंद्र चतुर्थ की कार्यकत्री रीता जायसवाल ने बताया कि ग्राम खानपुर मल्लोह के संविलियन विद्यालय के प्रांगण में वर्षों पूर्व एक बरामदा के साथ दो कमरों का बनाया गया था। लेकिन मरम्मत अभाव में जर्जर हो गया है, इस संबंध में ग्राम प्रधान से कई बार कहा गया किंतु कोई सुनवाई नहीं हुई, मजबूर होकर खण्ड विकास अधिकारी सर्वेश तिवारी को आंगनबाड़ी केंद्र की मरम्मत व दरवाजे को ठीक कराए जाने के लिए प्रार्थना पत्र दिया है। सहायिका नफीसुल निशा ने बताया कि इस केंद्र पर 27 बच्चों का नामांकन है, आंगनबाड़ी केंद्र का भवन जर्जर होने के कारण पोषाहार रखने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
पुष्टाहार से की जा रही कुपोषण पर रोकथाम
हाथरस जनपद में बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा दिये जाने वाले पोषाहार एवं हरी साग सब्जियों से युक्त बने व्यंजन, स्वच्छता व सहजन से बने भोजन से कुपोषण पर रोकथाम की जा रही है। इसके तहत अति कुपोषित बच्चों के आस-पास सहजन का पौधे लगवाए गए हैं।
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बाल विकास परियोजना अधिकारी राहुल वर्मा ने बताया कि कुपोषित व अति कुपोषित बच्चों की सेहत सुधारने के लिए बच्चों के अभिभावकों को साफ-त्सफाई व स्वच्छता के अलावा आंगनबाड़ी केंद्रों से मिलने वाले पोषाहार से विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाकर सेवन करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन बच्चों की नियमित निगरानी की जा रही है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सेविकाओं द्वारा काउंसिलिंग की जाती है। पूरक पोषाहार की उपयोगिता बताई जाती है। प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर बच्चों की जांच भी कराई जाती है। इसके अंतर्गत आंगनबाड़ी पर पंजीकृत 1 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों को प्रति सप्ताह एक मिली आयरन का सिरप पिलाया जाता है और माताओं को बच्चों के भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियां, चना, मूंगफली सम्मिलित करने की सलाह दी जाती है।