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लाभार्थियों की संख्या अनुसार नही मिलता राशन,दो वर्षों से प्रमोशन की आस में आंगनवाड़ी को मिली राहत

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लखनऊ 2017-18 में मंजूर किए गए आंगनबाड़ी केन्द्र में से आठ अब भी निर्माणाधीन हैं, वहीं 2018-19 में से 60 केन्द्रों का निर्माण चल रहा है। इनमें यदि कार्यदायी संस्था ने टेण्डर की कार्रवाई पूरी कर ली है तो निर्माण तीन महीने के अंदर करवाने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं जिन केन्द्रों के निर्माण के लिए अन्य विभागों से अंशदान न मिल रहा हो तो उसकी रिपोर्ट तैयार करके भेजी जाएगी। इसके साथ ही जिन केन्द्रों के निर्माण के लिए पहले आवंटित धनराशि के सापेक्ष यदि कार्यदायी संस्था ने निर्माण कार्य पूरा न किया हो तो उन्हें ब्लैकलिस्ट किया जाए।वहीं जितने भी निर्माण चल रहे हैं उन्हें तीन महीने में मिशन मोड में चलाकर पूरा किया जाएगा। बाल विकास व पुष्टाहार राज्यमंत्री स्वाति सिंह ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि आंगनबाड़ी केन्द्रों के भवन निर्माण पर खास ध्यान दिया जाए।

गोण्डा  जनपद दो हजार से अधिक आंगनवाडी कार्यकर्त्रियां प्रमोशन के जरिए सुपरवाइजर बनने की राह देख रही थी आवेदन से लेकर अब तक दो साल होने को हैं लेकिन इंतजार खत्म होने पर नाम नहीं ले रहा था लेकिन अब जल्दी ही दस्तावेजो की प्रक्रिया शुरू होने वाली है कार्यकत्रियो से सुपरवाइजर बनने की अंतरिम सूची जारी हो चुकी है लेकिन अभी भी कार्यकर्त्रियों के रिक्त पदों पर भर्ती की प्रक्रिया भी पूरी नहीं हो सकी है। विभाग के कार्यशैली को लेकर लोग सवाल उठा रहे हैं।

बाल विकास एवं पुष्टाहार निदेशालय ने दो साल पहले कार्यकर्त्रियों से प्रमोशन के लिए आवेदन मांगा था। कार्यकर्त्रियों के अनुभव, पढ़ाई व उम्र को आधार मानते हुए प्रमोशन किया जाना था। जिसकी मेरिट लिस्ट जारी की जानी थी। सभी डाटा फ्रीज कराने के बाद इसकी साफ्ट व हार्ड कापी लखनऊ मंगा ली गई मगर निदेशालय से कोई भी नया आदेश जारी नहीं हुआ था दो साल से कार्यकर्त्रियां आस लगाए बैठी हैं। लेकिन अब प्रमोशन की प्रक्रिया में तेजी आएगी जनपदों से हुई जारी मेरिट के अनुसार जिन कार्यकत्रियों का सुपरवाइजर पद पर चयन किया गया है उन्हें अपने ओरिजिनल दस्तावेजों का सत्यापन करने के लिए बुलाया जायेगा

जिले में कार्यकर्त्रियों के तीन सौ पदों पर भर्ती की जानी थी। इसके लिए मई महीने में ही आवेदन मांगे गए थे। जब भर्ती आई तो कार्यकर्त्री के पद के लिए खुद को सही उम्मीदवार मानने वाली महिलाएं दौड़ भाग करके आवेदन करके नौकरी पाने की आस लगाए बैठी हैं। ऐसी महिलाओं की संख्या दो हजार के करीब बताई जा रही है। इन आवेदनों के डाटा फीडिंग का कार्य हो गया मगर किन्हीं वजह से भर्ती का कार्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया।

बाल विकास विभाग में कार्यरत संविदा सीडीपीओ, सुपरवाइजरों व बाबुओं के नौकरी का कार्यकाल बढ़ा दिया गया है। अब ये संविदा कर्मी 31 जुलाई 2022 तक तनाव मुक्त होकर काम कर सकेंगी। सेवा विस्तार नहीं होेने के कारण इन कर्मियों को मानदेय नहीं मिल पा रहा था। बीते साल इन्हीं वजहों से कुछ संविदा कर्मी नौकरी छोड़ घर पर बैठ गई थीं।

सीतापुर आंगनबाड़ी केंद्रों के ड्राई राशन की आपूर्ति में भी बहुत समस्याए आ रही है । आवंटन अनियमित होने से 1,46,903 लाभार्थियों को डाई राशन नहीं मिल रहा है। गत 12 सितंबर को डीएम ने निदेशक बाल विकास एवं पुष्टाहार को काफी डिटेल के साथ पत्र लिखा था। डीएम की सक्रियता उम्मीद जगी थी, मगर नतीजा शून्य ही रहा। आवंटन में गड़बड़ी होने से जिले के 9,917 अति कुपोषित बच्चों को भी आंगनबाड़ी पर पौष्टिक आहार से वंचित होना पड़ रहा है। निदेशक बाल विकास एवं पुष्टाहार सारिका मोहन को लिखे पत्र में डीएम विशाल भारद्वाज ने आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत लाभार्थियों के मुताबिक छह महीने से तीन वर्ष तक के 29,947 बच्चों और तीन से छह वर्ष तक के 80,773 बच्चों को ड्राई राशन से बंचित होने की बात कही है। इसी तरह 11,209 गर्भवती एवं धात्रियों को भी ड्राई राशन नहीं मिल पा रहा है।
यही नहीं, 9,917 अति कुपोषित और 15,057 किशोरियों के लिए भी ड्राई राशन जिले को नहीं मिल रहा है। डीएम ने निदेशक से वंचित लाभार्थियों के लिए जिले को निर्धारित मात्रा में ड्राई राशन आवंटित करने का अनुरोध किया था।


जिला कार्यक्रम अधिकारी राजकपूर ने बताया कि ड्राईराशन का आवंटन जिले को सही हो, इसके लिए कई पत्र लिखे। उच्च स्तर पर बैठकों में भी अनुरोध किया। डीएम ने भी निदेशक को पत्र लिखा। लेकिन, समस्या अब भी बनी हुई है।

बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग निदेशक सरिका मोहन का कहना है कि भारत सरकारने ही ड्राई राशन का आवंटन कम कर दिया है। लाभार्थी संख्या डीपीओ देते हैं, उसी के मुताबिक अभी तक दो चरणों में ड्राई राशन का आवंटन कर दिया है। डीपीओ सूचना समय से नहीं देते हैं। इसीलिए समस्या हो रही है।

आंगनवाडी वर्करो का कहना है कि उनके केंद्र पर छह माह से छह वर्ष तक के कुल 180 बच्चे हैं। गर्भवती व धात्री 28 हैं। छह माह से तीन वर्ष के 90 बच्चे हैं। इनमें हर महीने 18 बच्चे ड्राई राशन से वंचित होते हैं। तीन से छह वर्ष के 90 बच्चे हैं। इनमें 1,46,903 बच्चे ड्राईराशनसे वंचित 9,917 की राशन की अतिकुपोषित बच्चों कोभी नहीं 11,209 गर्भवती-धात्री भी हाईराशनसे दूर 15,057 किशोरियां भी योजनासे वंचित हैं डीपीओ बोले, हमने कई पत्र लिखे डीएम ने भी लिखा पर कुछ नहीं हुआ अवंटन में है गड़बड़ी, किसी जिले में अधिक है तो कहीं कम हर महीने 51 बच्चे ड्राई राशन से वंचित होते हैं। अंजू ने बताया कि ड्राई राशन कम मिल रहा है। इसलिए जिन बच्चों को उन्होंने राशन दिया है, उन्हें वह अगले महीने नहीं देती हैं। उस महीने में वंचित बच्चों को राशन दिया जाता है। कम मिलता है राशन तो जैसे-तैसे लाभार्थियों को समझाना पड़ता है

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