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आंगनवाडी वोट बनाये या केंद्र चलाये

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सीतापुर के विकास खंड रामपुर मथुरा मुख्यालय से 1.5 किमी की दूरी पर ग्राम पंचायत टिकठा में बना आंगनबाड़ी केंद्र भवन है। लेकिन उनका उपयोग नहीं किया जा रहा है लेकिन इन भवनों का लाभ अधिकारियों की लापरवाही के कारण जनता तक नहीं पहुंच पाता।

ग्राम पंचायत टिकठा में बना आंगनबाड़ी केन्द्र जुआरियों का अड्डा व जानवरों के बैठने की आरामगाह बन गया है। इस सम्बन्ध में ग्रामीणों की शिकायत है कि जब से यहां आंगनबाड़ी केन्द्र का निर्माण हुआ तब से न तो इस आंगनबाड़ी केन्द्र में कोई आया और न ही यहां कोई आंगनबाड़ी कार्यकर्त्री बच्चों को शिक्षा देने आती है। सरकार द्वारा भारी भरकम धनराशि खर्च कर इस आंगनबाड़ी केन्द्र का निर्माण कराया गया था, जिसका उद्देश्य था कि इससे गांव के नौनिहालों का भविष्य सुधरेगा और सरकार की योजनाओं का लाभ जनता तक पहुंचेगा। लेकिन यह मंसूबा भी पूरा नहीं हो सका। इस नए भवन का निर्माण होने के बाद भी इस आंगनवाडी भवन को किसी आंगनवाडी के हवाले नही किया गया है इसी कारण आंगनबाड़ी केन्द्र पर कभी न ही कोई कार्यकर्त्री आती है और न ही इसका ताला खुलता है। यह हालत सिर्फ यही के आंगनबाड़ी केन्द्र की नहीं है। आसपास में बने आंगनबाड़ी केंद्र भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त है और उनकी भी बहुत बुरी हालत है। कहीं आंगनबाड़ी केन्द्र के दरवाजे टूटे हैं तो कहीं चहारदीवारी। केंद्रों में इस प्रकार की स्थिति होने पर यह बात साफ है कि सरकार मंसूबे विफल होते नजर आ रहे हैं।

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देवरिया  गुरुवार को विकास भवन के गांधी सभागार में डीएम ने बताया कि जिले में प्राथमिक विद्यालयों की तर्ज पर आंगनबाड़ी केन्द्रों का कायाकल्प किया जायेगा। प्रत्येक ब्लॉक में पहले चरण के तहत चयनित 5-5 केन्द्रों का कायाकल्प होगा।

यूनिसेफ की ओर से आयोजित इस कार्यशाला को संबोधित करते हुए डीएम ने कहा कि आंगनबाड़ी केन्द्रों का माहौल बच्चों के मनोवृत्ति व मनोभावों के अनुकूल होना चाहिये। वहां बाल मैत्रिक शौचालय, पीने का पानी, वाल पेन्टिग बच्चों के लिये बेहतर परिवेश बनाने में मदद करेगा। बच्चों को स्वच्छ वातावरण मिलने के साथ ही उनका समग्र विकास भी हो सकेगा। उन्होंने बताया कि 20 नवम्बर (विश्व बाल दिवस) को नव निर्मित 52 केन्द्रों को हैण्डओवर करा दिया जाएगा। यूनिसेफ के राज्य प्रमुख अमित मेहरोत्रा ने कहा कि प्राय: यह देखा जाता है कि आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण में छोटी-छोटी बारीकियों को ध्यान नहीं देने पर बच्चों को समस्याओं से जूझना पड़ता है। जल एवं स्वच्छता अधिकारी कुमार विक्रम ने शौचालय, वाश-बेसिन, ग्रुप हैण्ड वाश, बाल मैत्रिक शौचालय, रैम्प, पाथ वे, वेन्टिलेशन, सतत नल-जल के बारे में विस्तार से बताया। इस दौरान सभी बीडीओ, बाल विकास परियोजना अधिकारी, सहायक विकास अधिकारी पंचायत, ब्लॉकों के ग्रामीण अभियन्त्रण विभाग के अवर अभियन्ता, निर्माणाधीन केन्द्रों से सम्बन्धित सचिव आदि मौजूद रहे।

ललितपुर  जनपद में दस्तक अभियान 19 अक्टूबर से एक नवंबर के मध्य संचालित किया गया। इस दौरान आशा और आंगनबाड़ी वर्करो ने घर-घर दस्तक दी और बड़े से लेकर छोटे बच्चों की सेहत का हाल जाना। इस दौरान 83 बच्चों में कुपोषण के लक्षण पाए गए। इन चिह्नित बच्चों को एनआरसी भेजने की प्रक्रिया विभाग ने की। अब तक 35 बच्चों को एनआरसी पहुंचाया जा चुका है, जहां उनका उपचार चल रहा है। जिला कार्यक्रम अधिकारी नीरज सिंह का कहना है कि नामांकित बच्चों का वजन आंगनबाड़ी केंद्रों पर किया जाता है। जिन बच्चों का वजन निर्धारित मानक से कम पाया जाता है, ऐसे बच्चों को पौष्टिक आहार देते हैं। इसके अलावा जिन बच्चों को चिकित्सकीय उपचार की आवश्यकता होती है। उन्हे एनआरसी भेजा जाता है। नौनिहालों को कुपोषण के दायरे में छुटकारा दिलाने के लिए दरस्क अभियान कारगर साबित हुआ है। इस अभियान के तहत सर्वेक्षण में कुपोषित बच्चों को सूचबद्ध करके सूची स्वास्थ्य विभाग अफसरों को सौंपी गयी। जिसके बाद इनका उपचार शुरू हो गया है। विभागीय अफसर इस काम में जुट गए।

एनआरसी से डिस्चार्ज होने के बाद एक माह तक आंगनबाड़ी कार्यक्त्रिस्रयां व एएनएम इन बच्चों का फालोअप करती हैं। उधर, जिला मलेरिया अधिकारी केएस सिंह का कहना है कि दस्तक अभियान में 11 विभागों ने आपसी समन्वय स्थापित करते हुए काम किया, इसमें बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग भी शामिल रहा।

भारत में कुपोषण की स्थिति पर एक नजर

फर्रुखाबाद  कमालगंज में ब्लाक बाल संरक्षण समिति की बैठक में आंगनवाडी कार्यकत्रियो को प्रशिक्षित किया जा रहा है आंगनवाडी को उनके उत्तरदायितव जेसे बाल विवाह रोकने को ग्रामीणों को जागरूक करने की भी सलाह दी गई। ब्लाक सभागार में हुई कार्यशाला में खंड विकास अधिकारी आलोक आर्य ने कहा कि ब्लाक के अंतर्गत सभी ग्राम सभाओं में प्रत्येक तीन माह में ग्राम बाल संरक्षण समिति की बैठक अवश्य कराई जाए। उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक ग्रामीण लें। इसकी भी जानकारी पहुंचाने की जरूरत है। बाल संरक्षण अधिकारी सचिन सिंह ने मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बाल विवाह के विषय पर बात रखी और कहा कि यदि कहीं पर बाल विवाह हो रहा है तो 112 इमरजंसी नंबर और चाइल्ड हेल्पलाइन के 1098 टोल फ्री नंबर पर सीधे सूचना दी जा सकती है।

गोरखपुर  जिले की 117 गर्भवतियां खतरे की जद में हैं। इन गर्भवतियों में हीमोग्लोबीन की मात्रा मानक से काफी कम मिली है। इसके अलावा गर्भवतियां दूसरी बीमारी से जूझती मिली। जिसके कारण गर्भवती के साथ ही गर्भस्थ शिशु की जान भी खतरे में रहती है। अब इन गर्भवतियों की आशा व एएनएम की निगरानी में हायर सेंटर में इलाज चल रहा है। इनमें से ज्यादातर के शरीर में सात मिलीग्राम से कम हीमोग्लोबीन मिला है।गर्भवती महिलाओं में हीमोग्लोबिन की मात्रा मानक से मिली बहुत कम, महिलाओं की सेहत पर नजर रख रही है स्वास्थ्य विभाग की टीम हाई रिस्क प्रेगनेंसी अभियान के जरिये पहचान हुई है अधिकांश खतरे की जद में गर्भवतियां पाई गयी है

विटामिन व आयरन की कमी से बढती है एचआरपी इसीलिए जिले में चिह्नित की जा रही है उच्च जोखिम वाली गर्भवती राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक पंकज आनंद ने बताया कि जिन महिलाओं में हीमोग्लोबीन सात मिलीग्राम से कम हो, शुगर, थायराइड, लंबाई कम, तेज बुखार, दौरे पड़ने, उच्च रक्तचाप, योनि से स्राव, त्वचा के पीलापन, हाथ-पैरों में सूजन, योनि से रक्तस्राव, तेज सिरदर्द, धुंधला दिखने, भ्रूण के न हिलने या कम हिलने जैसी समस्याएं होती हैं उन्हें एचआरपी के तौर पर चिह्नीत कर लिया जाता है। ऐसी महिलाओं का समय-समय पर फॉलोअप होने से शरीर में खून का स्तर, अन्य जटिलताएं आदि पर नजर होती है।

शासन मातृ एवं शिशु मृत्युदर को रोकने के लिए बड़ी पहल कर रहा है। इसके लिए गांव में पोषण दिवस आयोजित किया जाता है। इसमें गर्भवतियों के सेहत की जांच की जाती है। हर माह नौ तारीख को प्रधानमंत्री मातृ सुरक्षा योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में गर्भवतियों के सेहत की जांच की जाती है। ओपीडी में इलाज के लिए आने वाली गर्भवतियों के खून की भी जांच कराई जाती है। इसमें उच्च जोखिम क्षमता वाली गर्भवतियों की पहचान की जा रही है। इसे ही हाई रिस्क प्रेगनेंसी कहते हैं।

आंगनवाडी केंद्र चलाये या वोट बनाये

गाजीपुर आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजरआंगनवाडी वर्करो को बी एल ओ की ड्यूटी में लगा दिया गया है जिसमे घर घर मतदाता सर्वे ,मतदाता पहचान पत्र में त्रुटि नए मतदाता के लिए फॉर्म लिए जाने जेसे कार्य किये जा रहे है इससे अधिकांश आंगनवाडी केंद्र बंद रहते है जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह के निर्देशन पर निरहुकापूरा, दिलदारनगर बाजार, उसियां, पलिया, दिलदारनगर गांव सहित बेसिक प्राइमरी पाठशाला व इंटर कालेज के परिसर में अध्यापक, आंगनबाड़ी बीएलओ की ओर से शनिवार को मतदाता पुनरीक्षण के कार्य में लगी रही। मालूम हो की अगले वर्ष प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के लिए मतदाता सूची में नए मतदाता को जोड़ना, मृतकों का नाम हटाना व त्रुटिहीन को संसोधन करना शामिल है। इस संबंध में सेवराई के उपजिलाधिकारी राजेश चौरसिया ने बताया कि एक जनवरी 2022 की आर्हता के आधार पर सभी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की फोटोयुक्त मतदाता सूची का आलेख्य प्रकाशन किया जाना ही। उसी को ध्यान में रखते हुए सभी बीएलओ एक नवंबर से 30 नवंबर तक दावे व आपत्तियां लेने के साथ ही वोटर लिस्ट में पात्रता के आधार पर नाम जुड़वाने, नाम हटवाने व नाम पता की त्रुटि सही कराने को सभी मतदान बूथों उपस्थित होकर पूरा करने में लगी रहीं।

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