साल भर में बढ गये दो हजार कुपोषित बच्चे
आंगनवाडी न्यूज़
प्रयागराज उत्तप्रदेश सरकार कुपोषण को रोकने के लिए निरंतर प्रयासरत है जिसके लिए अनेक योजनाओ समेत पोषण माह का आयोजन कर रही है लेकिन जनपद में अतिकुपोषित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पिछले साल सितंबर में चलाए गए अभियान में अतिकुपोषितों की संख्या 13 हजार थी लेकिन इस साल के सर्वे में बढ़कर 15 हजार हो गई है। बाल विकास विभाग से लेकर जिला प्रशासन तक के लिए यह बड़ी चिंता का सबब बन गया है। क्योंकि कुपोषितों को सामान्य श्रेणी में लाना तो संभव माना जाता है, लेकिन अतिकुपोषितों को सामान्य में लाने में बड़ा संघर्ष करना पड़ता है।
बाल विकास पोषाहार विभाग द्वारा पोषण को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। पहली श्रेणी सामान्य बच्चो की होती है। जिन्हें हरी श्रेणी में रखा जाता है। यह बच्चे उम्र के अनुसार सामान्य वजन के होते हैं। दूसरी श्रेणी कुपोषितों बच्चो की होती है, जो पीली श्रेणी में आते हैं जिनका वजन सामान्य से थोड़ा कम होता है। सामान्य श्रेणी से 30 से 40 फीसदी तक के कम वजन वाले बच्चे होने पर अतिकुपोषित श्रेणी में यानी लाल श्रेणी में आते हैं। इन बच्चो को अधिक पोषाहार की जरूरत होती है। इसके लिए अलग से भी भर्ती करने की सुविधा दी जाती है
जनपद के सर्वे के आधार पर आंकड़ो के अनुसार पिछले साल 90 हजार बच्चे कुपोषित थे, जो इस बार घटकर 80 हजार हो गए हैं। जिले में 4.68 लाख बच्चे जो शून्य से पांच वर्ष की आयु के हैं। जिला प्रशासन ने इस बार बाल प्रतियोगिता भी कराई थी। जिसमे ऐसे बच्चे जिनके दांत साफ, नाखून कटे, उनका वजन अच्छा और अच्छे भोजन की जानकारी होने पर उन्हें पुरस्कृत भी किया गया। पूरे जिले में प्रतियोगिता के दौरान ऐसे बच्चों की संख्या 12 हजार मिली है ।
जिला कार्यक्रम अधिकारी दिनेश सिंह ने बताया कि अति कुपोषित बच्चों की संख्या बढ़ गई है। इन बच्चों के लिए पोषाहार तैयार किया जा रहा है। हमारा प्रयास है कि सभी पोषित की श्रेणी में आएं।