आंगनवाड़ी नियमावली मे सरकार करेगी संशोधन, कैबिनेट से मिलेगी मंजूरी
आंगनवाड़ी न्यूज
झारखंड सरकार अब आईसीडीएस मे कार्यरत आंगनवाड़ी वर्कर और अधिकारियों-कर्मचारियों की छंटनी नहीं होगी। साथ ही झारखंड सरकार ने इन वर्करो के इनके वेतन का भुगतान अब राज्य योजनाओं से करने का फैसला किया है। सरकार के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने वेतन और मानदेय के लिए बजट की मंजूरी दे दी है। उम्मीद है कि अगले महीने से इन्हें नियमित रूप से वेतन मिलना शुरू हो जाएगा।
मानदेय के लिए बजट हुआ जारी
अवगत हो कि केंद्र सरकार के आईसीडीएस योजना के तहत आंगनवाड़ी वर्करो के मानदेय के भुगतान के लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही अपना रेशियो के आधार पर अपना अंशदान देती है। इसके लिए सरकार पर सालाना करीब 130 करोड़ रुपए का खर्च आता है। इन वर्करो के वेतन मद में 25 फीसदी राशि केंद्र सरकार से मिलती है।
इस साल अप्रैल माह से केंद्र सरकार द्वारा अपना हिस्सा देना बंद करने की वजह से इन कर्मियों का वेतन मिलना बंद हो गया। उम्मीद जताई जा रही थी कि विभाग इन वर्करो की छंटनी कर सकता है जिससे वर्करो मे बेचेनी बढ़ गयी। केंद्र सरकार के अंशदान न दिये जाने से वेतन मिलना बंद हो गया जिससे सभी ये सभी कर्मचारी अपने भविष्य के प्रति बहुत ज्यादा चिंतित थे और सरकार से इस समस्या का समाधान करने की मांग कर रहे थे।
और आखिर सरकार ने इन्हें दिवाली का तोहफा देते हुए इनका वेतन देने का फैसला लिया है।अब राज्य सरकार इन अधिकारियों-कर्मचारियों को राज्य योजना से वेतन भुगतान करेगी । इसके लिए राज्य योजना प्राधिकृत समिति ने इनके वेतन , मानदेय भुगतान के लिए फिलहाल 62 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है।
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ये है आईसीडीएस के अधिकारी और वर्कर के पद
बाल विकास विभाग द्वारा चालू वित्तीय वर्ष में केंद्रीय हिस्सा बंद कर दिए जाने से इन 40 हजार पदो के अधिकारी और वर्कर के वेतन पर प्रभाव पड़ा है।
जिला समाज कल्याण पदाधिकारी
बाल विकास परियोजना अधिकारी
आंगनवाड़ी पर्यवेक्षिका
सांख्यिकी सहायक
क्लर्क
आदेशपाल
ड्राइवर
आंगनबाड़ी सेविका
आंगनबाड़ी सहायिका
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राज्य सरकार का कहना है इन अधिकारियों-कर्मचारियों की सेवा समाप्त होने से शासन द्वारा चलायी जा रही कई महत्वपूर्ण योजनाओ पर फर्क पड़ेगा। जिसकी वजह से सरकार इन योजनाओ को पूरा नहीं कर पाएगी। साथ ही प्रशासनिक दृष्टिकोण से भी इनकी सेवा समाप्ति को सही नहीं कहा जा सकता इससे सरकार की छवि खराब हो सकती है। इसलिए सरकार ने समाज कल्याण विभाग के प्रस्ताव पर विचार करने के बाद फैसला लिया कि इन वर्करो की सेवा बहाल रखते हुए इनको वेतन दिया जाए। अवगत हो कि बाल विकास विभाग द्वारा राज्य मे जिले की बाल विकास परियोजना के तहत आंगनवाड़ी केन्द्रो पर लगभग 35 लाख से अधिक लाभार्थियों को पोषण, स्वास्थ्य, स्वच्छता शिक्षा संबंधी सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही है।
आंगनवाड़ी नियमावली मे सरकार करेगी संशोधन
राज्य सरकार अब वर्करो की नियमावली में भी संशोधन कर सकती है। बाल विकास विभाग मे कार्यरत अधिकारियों- कर्मचारियों के लिए अलग से नियमावली बनी हुई है। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के अंशदान बंद होने के बाद अब अपने कर्मचारियो की नियमावली और राज्यादेश में बदलने का फैसला किया है।
पिछले साल झारखंड सरकार ने अपने संविदा मानदेय पर कार्यरत आंगनबाड़ी सेविका और सहायिकाओं का मानदेय बढ़ाने के लिए भी एक नई नियमावली बनाई थी। उसको ध्यान मे रखते हुए कई प्रावधानों को संकल्प के माध्यम से इसमे बदलाव किया जाएगा। इसके लिए कैबिनेट मंत्रालय मे प्रस्ताव रख मंजूरी ली जाएगी।