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पोषाहार चोरी मामले मे डीपीओ,सीडीपीओ,सुपरवाइजर समेत 17 आंगनवाड़ी निलंबित

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आगरा पुष्टाहार की कालाबाजारी में शासन ने शुक्रवार को जिला कार्यक्रम अधिकारी आदीश मिश्रा को निलंबित कर दिया है। जांच रिपोर्ट में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के लिप्त होने के प्रमाण मिलने के बाद डीएम ने शासन को भेजी रिपोर्ट में जिला कार्यक्रम अधिकारी आदीश मिश्रा, बाल विकास परियोजना अधिकारी विमल चौबे पर कार्रवाई की संस्तुति की थी।

जिला कार्यक्रम अधिकारी पर पुष्टाहार वितरण में लापरवाही बरतने, भ्रष्टाचार में लिप्त रहते हुए सरकारी धन का दुरुपयोग करने और शासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन नहीं करने का आरोप है। जिले मे पोषाहार की कालाबाजारी के संबंध में उन्हें पूरी जानकारी थी, लेकिन उन्होंने इसे रोकने को कोई कदम नहीं उठाए।

डीएम अरविंद मलप्पा बंगारी द्वारा शासन को भेजी रिपोर्ट के आधार परशासन ने बाल विकास परियोजना अधिकारी विमल चौबे को देर रात निलंबित कर दिया है। इन पर पुष्टाहार की कालाबाजारी में लिप्त होने, सही तरह से पर्यवेक्षण न करने पर ये कार्यवाही की गई है।

अवगत हो कि 27 सितंबर को खुफिया जानकारी के आधार पर नाई की मंडी स्थित कटरा हाथियान, डेरा सरस निवासी प्रवीण अग्रवाल के घर पर छापा मारा गया था। इस अवैध गोदाम में पुष्टाहार विभाग की मुहर लगी 700 किलो चना दाल की बोरियां, 327 लीटर रिफाइंड तेल बरामद हुआ था। पुलिस ने प्रवीण अग्रवाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के बाद गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। साथ में इंदु शर्मा और भारती देवी को भी जेल भेज दिया। इसके बाद विभाग ने मालती और कांता को निलंबित कर दिया गया था।

डीएम के निर्देश पर एसडीएम न्यायिक सदर राम सेवक चौधरी, सिटी मजिस्ट्रेट वेद सिंह चौहान, एसीएम अभय सिंह की जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर 17 आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का पुष्टाहार की कालाबाजारी में शामिल होने पर जिलाधिकारी ने उनको बर्खास्त कर दिया। जेल भेजी गईं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने भी पूछताछ में विभागीय अधिकारियों पर घूस लेने के आरोप लगाए है।

जिलाधिकारी ने बताया कि शासन को भेजी रिपोर्ट में कहा गया था कि दोनों ही अधिकारियों ने सही तरह से पर्यवेक्षण नहीं किया। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां इस नेटवर्क में शामिल थीं। ऐसे में इन दोनों अधिकारियों को इस नेटवर्क की जानकारी न हो, ये संभव नहीं है।

जिले मे चल रहे सभी शहरी और ग्रामीण क्षेत्रो के आंगनवाड़ी केन्द्रो मे भ्रष्टाचार फैला हुआ हैं। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां विभागीय अधिकारियों पर वसूली के आरोप लगाती हैं। पुष्टाहार वितरण, केंद्रों की चेकिंग के नाम पर ।आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से अधिकारियों द्वारा हर केंद्र से दो-दो हजार रुपये रिश्वत ली जाती है।

पुलिस को दिये गए बयान मे आंगनबाड़ी वर्करो ने खुलासा किया है कि हर आंगनवाड़ी केंद्र से 2-2 हजार रुपये महीना घूस ली जाती है। जो रकम नहीं देता है, उसका निरीक्षण किया जाता है। कमियां निकाल दी जाती हैं। रकम देने के लिए दबाव बनाया जाता है। कार्रवाई का भय दिखाया जाता है।

यह रकम सुपरवाइजर वसूल करते हैं। इस पर पुलिस ने सुपरवाइजर से पूछताछ की। उसके पास 15 आंगनबाड़ी केंद्र की सूची मिली, जिसमें से 13 ने रकम अदा कर दी थी। बाकी से भी रकम ली जानी थी।

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