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जनपद में हो रहा पुष्टाहार का गबन सालो से नहीं हुआ लाभार्थियों को वितरण

आंगनवाड़ी न्यूज़

उत्तरप्रदेश राज्य सरकार कुपोषितो को सुपोषित करने के लिए राशन वितरण की रेसिपी और वितरण प्रणाली में निरंतर बदलाव कर रही है वंही कुपोषित बच्चों के मामले में पहले नंबर पर आने से उत्तर प्रदेश में संचालित पोषण संबंधित तमाम योजनाओं की पोल खुलती नजर आती है। राशन को अधिकारियों से सांठगांठ कर डकार लिया जा रहा है।

हरियाणा में आंगनवाड़ी वर्करो का आक्रोश सरकार को घेरा

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जनपद मैनपुरी के बेवर क्षेत्र के ग्राम कल्याणपुर का है। यहां पिछले 30 वर्षों से बच्चों, गर्भवती महिलाओं व किशोरियों के पोषण के लिए सरकार द्वारा आंगनबाड़ी केंद्र को दिए जा रहे राशन का वितरण नहीं किया जा रहा है।इससे आक्रोशित ग्रामीणों ने मामले में कार्रवाई की मांग करते हुए प्रदर्शन किया है ग्रामीणों ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकत्री अनेक श्री द्वारा कभी भी राशन का वितरण नहीं किया गया। जब लोगों ने मांग की तो उन्हें टरका दिया गया।


प्रतापगढ़ में नियमो को ताक पर रख कर प्रधान करा रहे राशन वितरण

पुष्टाहारःआंगनबाड़ी केंद्रों पर वितरण के लिए औसतन प्रति केंद्र सरकार दस हज़ार रुपये का राशन भेजती है ग्रामीणों की शिकायत की मानें तो 30 वर्षों से अधिक समय से राशन का वितरण नहीं हुआ। इस हिसाब से देखा जाए तो लगभग 36 लाख रुपये के राशन का अब तक गबन किया जा चुका है। सिर्फ कल्याणपुर के ही नहीं हैं, क्षेत्र में ऐसे कई आंगनबाड़ी केंद्र हैं जहां वर्षों से कुछ नहीं बंटा। न तो अधिकारी इन क्षेत्रों में जाते है ओर न ध्यान देते हैं लेकिन ये भी तय है कि पुष्टाहार गबन के खेल में आम कर्मचारी नही बल्कि जिला स्तर के अधिकारियो की मिली भगत है बिना अधिकारी के शामिल इतना बड़ा गबन नही किया जा सकता है आशंका जताई जा रही है कि इसमें कुछ आंगनवाडी यूनियन के उच्च पदाधिकारी नेता और अधिकारी इस बड़े खेल को अंजाम दे रहे है इन्हें राजनैतिक सरंक्षण भी प्राप्त है

कुछ समय पहले ही पद संभाल रही जिला कार्यक्रम अधिकारी ज्योति शाक्य ने कहा है कि आंगनवाड़ी केंद्र पर पुष्टाहार किन कारणों से वितरण नहीं हो रहा है। इसकी जांच कराई जाएगी। जो भी दोषी मिलेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

जिले में नही है कोई अधिकारी कैसे होगा कुपोषण दूर

जनपद अमेठी में जिन बाल विकास अधिकारियो के ऊपर कुपोषण दूर करने की जिम्मेदारी है जिले में उनकी तैनाती ही नहीं है तो बच्चो को कुपोषण कैसे दूर होगा विभाग की सबसे जिम्मेदार मुखिया डीपीओ का पद एक महीने से रिक्त है। जबकि छह ब्लाकों में सीडीपीओ ही नहीं हैं। आंकड़ों के मुताबिक जिले का हर 84वां बच्चा अति कुपोषित है। इसके पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि जिनके ऊपर योजनाओं की देखरेख की जिम्मेदारी है

रिक्त पदों की स्थिति

तेरह ब्लॉक वाले जिले में सिर्फ 7 ब्लाकों में सीडीपीओ की तैनाती है। सिंहपुर, बहादुरपुर, जगदीशपुर, मुसाफिरखाना, संग्रामपुर और भेटुआ ऐसे ब्लॉक जहां सीडीपीओ तैनाती नहीं है।

लंबे समय से यहां सीडीपीओ का पद रिक्त है और इनकी जिम्मेदारी अन्य ब्लाकों के सीडीपीओ को दी गई है। लगभग माह भर पहले ही
अनुपस्थित चल रही डीपीओ के खिलाफ लिखा पढ़ी के बाद शासन ने उन्हें सम्बद्ध कर लिया है। ऐसे में डीपीओ का पद भी खाली हो गया है।
बाजार शुकुल के सीडीपीओ विनय सिंह को डीपीओ का चार्ज दिया गया है। इतना ही नहीं सीडीपीओ के पास सरकारी वाहन भी नहीं है। जिससे सीडीपीओ अपने तैनात क्षेत्र में निरंतर भ्रमण कर सकें। इन सभी दुश्वारियों के बीच कुपोषण दूर करने की जंग लड़ी जा रही है। इस संबंध में सीडीओ डा. अंकुर लाठर ने बताया कि जिन ब्लाकों में सीडीपीओ नहीं है वहां दूसरे ब्लॉकों के सीडीपीओ को चार्ज दिया गया है।

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