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आंगनवाड़ी वर्करों ने खोली अधिकारियों की पोल,एडीएम भी हुए निलंबित

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आगरा पोषाहार चोरी मामले मे अब उच्च अधिकारियों की पोल खुलने लगी है विकास भवन से लेकर कलेक्ट्रेट तक के अधिकारियों की वजह से प्रशासन खूब बदनाम हो रहा है। अब आंगनवाड़ी वर्करो द्वारा पोल खोलने से भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे एडीएम नागरिक आपूर्ति और डीपीओ दोनों अधिकारियों की जांच शुरू हो गई है।

अवैध भंडारण व कालाबाजारी के आरोप में राशन माफिया हेमेंद्र उर्फ गोपाल, सुमित अग्रवाल, मनीष आदि फरार हैं। पुष्टाहार वितरण घोटाले में आंगनबाड़ी की दाल व रिफाइंड खरीदकर बेचने वाले प्रवीण अग्रवाल से पुलिस उसके साथियों ने नाम नहीं उगलवा सकी है। राशन माफिया से मिलीभगत के चलते एडीएम नागरिक आपूर्ति पर भी गाज गिर चुकी है।

शासन ने एडीएम की जांच के लिए दो सदस्यीय कमेटी बनाई है। ये कमेटी एक सप्ताह में आगरा आ कर जांच करेगी। साथ ही एडीएम कार्यालय का कर्मी गौरव शर्मा को भी निलंबित कर दिया गया है। गौरव शर्मा पर राशन माफिया के गुर्गों को संरक्षण देने का आरोप है। मुख्य विकास अधिकारी ने डीपीओ की जांच के लिए नोटिस जारी किया है।

सोमवार को जिले की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन करेंगी। आंगनवाड़ी यूनियन द्वारा डीएम को ज्ञापन सौंपा जाएगा। पुष्टाहार वितरण घोटाले में निर्दोष महिला आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। अवगत हो कि जिले मे पोषाहार चोरी के मामले में डीपीओ, सीडीपीओ, सुपरवाइजर सहित 17 आंगनबाड़ी वर्कर निलंबित हो चुकी हैं।

पुष्टाहार की कालाबाजारी मे पोल खुलने पर डीपीओ, सीडीपीओ, मुख्य सेविका और 15 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता निलंबित होने के बाद भी अभी और भी आंगनबाड़ी वर्करो पर जांच की जायेगी। इसको लेकर जिले की सभी आंगनवाड़ी वर्करो मे खलबली मची हुई है। वही आंगनवाड़ी का कहना है कि सोमवार को डीएम से मिलकर वो भी विभागीय अधिकारियों की पोल खोलेंगीं।

अब जिले के शहरी क्षेत्रो के आंगनवाड़ी केन्द्रो मे मजिस्ट्रेट जांच कर रहे है। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रो के आंगनबाड़ी केंद्रों की जांच की जा रही है। आंगनवाड़ी केन्द्रो मे पुष्टाहार की आपूर्ति और वितरण के रजिस्टरों की जांच की जा रही है। इन सभी की क्रास चेकिंग की जायेगी।

इस सम्बंध मे मुख्य विकास अधिकारी प्रतिभा सिंह ने कहा है कि आंगनवाड़ी केन्द्रो का बीडीओ स्तर से सत्यापन किया जाएगा अगर इन केन्द्रो की सही से जांच की गयी तो जिले की 80 प्रतिशत आंगनबाड़ी वर्करो का निलंबन होना तय है। जबकि क्षेत्रो की मुख्य सेविका आंगनवाड़ी वर्करो से विरोध प्रदर्शन न करने और अधिकारियों पर आरोप न लगाने को दबाव बना रही हैं।

क्योंकि अगर आंगनवाड़ी ने पोल खोली तो इन मुख्य सेविका का भी निलंबन तय है। इसीलिए ये सुपरवाईजर आंगनवाड़ी वर्करो से रजिस्टरों को ठीक करने और प्रदर्शन मे जाने से रोक रही है जिससे इन मुख्य सेविका पर कोई जांच न हो ।

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