पुष्टाहार तैयार करने मे मानको का हो रहा दुरुपयोग, सरकारी पैसे की बर्बादी

प्रतापगढ़ जिले के कुंडा मे चल रहे टीएचआर प्लांट के अधिकारियों की लापरवाही के चलते शासन द्वारा पुष्टाहार बनाने के लिए मिलने वाली धनराशि का दुरुपयोग किया जा रहा है। जिस खेप को तैयार कराने के लिए शासन ने 30 से 45 दिन का मानक निर्धारित किया है उस पुष्टाहार की एक खेप को तैयार कराने में अधिकारियों को लगभग एक साल का समय लग रहा है।
जिले के ग्रामीण क्षेत्रो मे संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रो मे पंजीकृत बच्चो और गर्भवती महिलाओं को पुष्टाहार वितरण के लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। समूह की महिलाओ द्वारा जिले के अलग अलग ब्लॉक मे लगाए गए टीएचआर प्लांट मे इस पोषाहार को तैयार किया जाता हैं।
जिले मे करोड़ों की लागत से स्थापित किए गए टीएचआर प्लांट में समूह की महिलाओं द्वारा पुष्टाहार तैयार किया जाता है। इस प्लांट मे दो अलग अलग शिफ्ट में कुल 20 महिलाएं कार्य कर रही हैं। टीएचआर प्लांट में पुष्टाहार बनाने के लिए इन महिलाओं को 30 से 45 दिन में पूरा करने का मानक तय किया गया है।
शासन द्वारा समूह की इन महिलाओ को एक दिन की मजदूरी 266 रुपये दी जाती हैं। टीएचआर प्लांट मे पुष्टाहार तैयार कराने के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने के बाद भी प्लांट के अधिकारियों की लापरवाही और अनदेखी के कारण 93 मीट्रिक टन पुष्टाहार बनाने में इन महिलाओं को एक साल का समय लग रहा है।
पोषाहार की जिस खेप को तैयार कराने में शासन द्वारा दो लाख 39 हजार 400 रुपये की मजदूरी दी जानी थी लेकिन पोषाहार लेट तैयार होने के कारण उसी खेप के लिए 18 लाख 72 हजार 640 रुपये की मजदूरी देनी पड़ रही है। जिसकी वजह से शासन से पुष्टाहार बनाने के लिए दी जाने वाली धनराशि का दुरुपयोग किया जा रहा है।
जिले के काफी संख्या मे आंगनवाड़ी केन्द्रो पर नेफेड लगातार पुष्टाहार की आपूर्ति की जा रही है। जबकि टीएचआर प्लांट के अधिकारियों का मानना है कि समूह की महिलाओ द्वारा तय समय मे पोषाहार तैयार किया जा रहा है। अगर टीएचआर प्लांट में पर्याप्त पुष्टाहार का उत्पादन हो रहा है तो नेफेड से आपूर्ति क्यों ली जा रही है।