आंगनवाड़ी कार्यकत्री के क्या कार्य होते है, कितना मानदेय मिलता है ,कितने अवकाश मिलते है।
आंगनवाड़ी न्यूज

सन 1975 में भारत सरकार की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में एकीकृत बाल विकास सेवा योजना चलाई गई थी जिसका उद्देश्य गरीब बच्चो के स्वास्थ्य, भुखमरी कुपोषण को दूर करना था इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रो में इन बच्चो के विकास के लिए आंगनवाड़ी केंद्र खोलने की शुरुआत की गई।
आंगनवाड़ी कार्यकत्री के कार्य : आंगनवाड़ी कार्यकत्री का कार्य महिला की शुरुवाती गर्भवस्था से लेकर ,टीकाकरण, सभी जांच से लेकर प्रसव तक की देखभाल होती है उसके बाद नवजात शिशु के सभी प्रकार के टीकाकरण 3 वर्ष के बाद प्रारंभिक शिक्षा आंगनवाड़ी केंद्रों पर पूर्ण की जाती है चूंकि नई शिक्षा नीति के तहत अब आंगनवाड़ी केंद्रों की प्रारंभिक शिक्षा को प्री प्राइमरी का दर्जा दिया जा चुका है इसीलिए अब निम्न व मध्यम वर्ग के लोगो को अपने नॉनिहालो को प्ले स्कूलों में एडमिशन की आवश्यकता नही पड़ेगी 3 वर्ष के बाद आंगनवाड़ी केंद्रों में ही पंजीकरण के बाद सीधे प्राथमिक विद्यालय में बच्चो को एडमिशन हो जायेगा।
योजना की शुरुवात में आंगनवाडी कार्यकत्री के मुख्य कार्यो में निम्न सेवाए थी
- स्वास्थ्य जांच
- टीकाकरण
- वृधि निगरानी
- शाला पूर्व शिक्षा
- सन्दर्भ सेवाए
- पूरक पोषाहार
योजना के शुरुवाती समय में आंगनवाडी के कार्य सीमित थे जिसमे आंगनवाडी केंद्र में बच्चो की शिक्षा से लेकर बच्चो की गतिविधिया के विकास पर ध्यान दिया जाता है आंगनवाडी केंद्र के बंद होने के बाद आंगनवाडी द्वारा गृह भ्रमण ,महिलाओ को जागरूक करना जेसे उद्देश्य थे धात्री महिलाओ को स्तनपान की जानकारी देने व् परिवार नियोजन की जानकारी देने पर ज्यादा जोर दिया जाता था वर्तमान समय में आंगनवाडी के कार्यो को बहुत ज्यादा बढ़ा दिया गया है।
बाल विकास विभाग के अतिरिक्त अन्य विभागो के कार्य
राज्यों में कर्मचारी की कमी की वजह से अधिकतर सर्वे जेसे जनगणना का कार्य हो या जातिगत सर्वे के कार्य हो या निर्वाचन में बी एल ओ का कार्यभार हो और भी ऐसे अन्य विभागीय कार्य है जो आंगनवाडी वर्करो से कराये जा रहे है जिसकी वजह से इन आंगनवाडी केन्द्रों का समय से न खुलने की वजह से शिक्षण कार्य में कमी आ रही है।
अधिकतर लोगो का मानना है कि ये आंगनवाडी केंद्र मात्र दिखावा बन कर रह गये है इससे आंगनवाडी वर्करो की छवि धूमिल हो गयी है अब आंगनवाडी केंद्र मात्र एक राशन की दूकान बन कर रह गये है चूँकि अभी प्रदेश के आंगनवाडी केन्द्रों पर प्री प्राईमरी के अंतर्गत शिक्षण कार्य शुरू नही किया जा सका है जिसकी वजह से बच्चो की शिक्षा पर बुरा असर पड़ रहा है।
आंगनवाड़ी कार्यकत्री को कितना मिलता है मानदेय ?
उत्तरप्रदेश में योगी सरकार बाल विकास विभाग मे कार्य करने वाली आंगनवाड़ी वर्करों को मानदेय के रूप मे 1500 रुपए का भुगतान कर रही है इसका भुगतान अतिरिक्त मानदेय के रूप किया जाता है इस मानदेय के लिए शासन द्वारा अतिरिक्त बजट के रूप में धनराशि का शासनादेश जारी किया जाता है।
बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग में आंगनवाड़ी वर्कर एक मानदेय के आधार पर कार्य करती है चूंकि सरकार की नियमावली के अनुसार आंगनवाड़ी एक अल्प कर्मी है इसीलिए सरकार आंगनवाड़ी वर्करों के कार्यों के लिए इनको एक वेतन न देकर एक सम्मान की दृष्टि से मेहनताना के रूप में मानदेय देती है।
वर्तमान केंद्र सरकार आज इन्हे मानदेय के रूप मे 4500 रुपए की धनराशि मानदेय के रूप मे देती है अलग अलग राज्यो मे केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार भी अपने बजट से आंगनवाड़ी वर्करों को अतिरिक्त मानदेय देती है जिसमे कई राज्य इनको 5 से 8 हजार तक मानदेय दे रहे है लेकिन उत्तरप्रदेश सरकार इन वर्करों को मात्र 1500 रुपए का भुगतान करती है।
आंगनवाड़ी कार्यकत्री को कितनी मिलती है प्रोत्साहन राशि
योगी सरकार ने अब तक आंगनवाड़ी कार्यकत्री के लिए अतिरिक्त मानदेय के रूप में 500 रुपए की मामूली सी बढ़ोत्तरी की है साथ ही सरकार द्वारा 1500 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। इस 1500 रुपए की प्रोत्साहन राशि के लिए कई मापदंड भी तय कर दिए जिसकी वजह से प्रत्येक आंगनवाड़ी के लिए इन मापदंडो को शत प्रतिशत पूर्ण करना आसान नहीं है। वर्तमान समय मे देखा जाए तो आंगनवाड़ी वर्करों को 4500 रुपए केंद्र सरकार से और 1500 रुपए राज्य सरकार से कुल 6 हजार मानदेय मिल रहा है।
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आंगनवाड़ी को मिलने वाले अवकाश
आंगनवाडी वर्करो के मातृत्व अवकाश के सम्बन्ध में जारी आदेश (2010) देखे