अतिकुपोषित बच्चो का इलाज करने मे स्वास्थ्य विभाग नाकाम,सिर्फ कागजों तक सीमित कुपोषण मुक्त अभियान
आंगनवाड़ी न्यूज
अयोध्या जनपद मे स्वास्थ्य विभाग द्वारा कुपोषण खत्म करने को लेकर पोल खुल रही है। स्वास्थ्य विभाग के ई-कवच पोर्टल पर मौजूद आंकड़े विभाग की बड़ी लापरवाही दर्शा रहे है। हकीकत मे देखा जाए तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगभग पचास प्रतिशत अति कुपोषित बच्चों को दवा भी उपलब्ध नहीं हो रही है। और जिन पचास प्रतिशत बच्चों को दवा मिलती भी है उन बच्चो की देखभाल का जिम्मा भी भगवान भरोसे है। विभाग की माने तो अति कुपोषित बच्चों की तीस प्रतिशत देखभाल का जिम्मा स्वास्थ्य विभाग करता है।
जून 2023 से सितम्बर 2023 के ई कवच पोर्टल पर मौजूद आंकड़ो के अनुसार 28131 बच्चों की स्कैनिंग कराई गयी थी जिसमें सैम श्रेणी मे 3161 बच्चे चिन्हित किए गये थे। इनमे144 अतिकुपोषित बच्चों को रेफर किया गया था और सामुदायिक प्रबन्धन के लिए 3017 बच्चों को स्वास्थ्य विभाग ने चिन्हित किया था। बाल विकास विभाग व स्वास्थ्य विभाग द्वारा आंगनवाड़ी वर्करो की मदद से क्षेत्रो मे सर्वे करा कर कुपोषित ( मैम श्रेणी ) व अति कुपोषित (सैम श्रेणी ) बच्चों का चिन्हीकरण कराया जाता है।अल्प वजन व कमजोर बच्चो को सैम श्रेणी मे कहा जाता है जबकि मैम श्रेणी के बच्चो को आंगनवाड़ी केन्द्रो पर पुष्ठाहार देकर स्वस्थ कर दिया जाता है।
स्वास्थ्य विभाग कैम्प के आयोजन द्वारा कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों का चिन्हीकरण करता है। जबकि बाल विकास विभाग मे आंगनबाड़ी केन्द्रों पर कार्यरत आंगनवाड़ी वर्करो द्वारा वजन दिवस जैसी गतिविधियो मे बच्चों का वजन करके सैम व मैम श्रेणी मे पता लगाया है। इन कैम्प में भी सैम श्रेणी के बच्चों को लाने की जिम्मेदारी आशा बहू व आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की होती है। इसके बाद इन सैम श्रेणी के बच्चों का इलाज किया जाता है। लेकिन अक्सर करीब पचास प्रतिशत बच्चें ही कैम्प में पहुंच पाते है।
जिलाधिकारी की अध्यक्षता में समय समय पर जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक का आयोजन होता रहता है। इस बैठक में विभिन्न योजनाओं के साथ कुपोषण की समीक्षा भी किया जाता है। साथ ही प्रभारी मंत्री के साथ विभागीय मंत्री भी लगातार इसकी समीक्षा करते रहते है। जिनमें कुपोषण को जड़ से खत्म करने के लिए सम्बंधित अधिकारियों को निर्देशित किया जाता है। लेकिन ये कार्यवाही सिर्फ कागजो तक सीमित रहती है।
इस संबंध मे अयोध्या जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी डा संजय जैन का कहना है कि कई बार नेटवर्क मे दिक्कत की वजह से आंकड़ों की फीडिंग में भी दिक्कतें आती है। लेकिन अब पहले से आंकड़े काफी बेहतर हुए है। और इन्हे और बेहतर करने की दिशा मे कार्य किया जा रहा है।