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विधवा पेंशन मे सरकारी साइट सरकारी नौकर बताता है। आंगनवाड़ी ने सुनाई व्यथा

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आंध्र प्रदेश राज्य की लगभग 1.06 लाख आंगनवाड़ी कार्यकत्री सहायिका और मिनी आंगनवाड़ी लगभग एक माह से वेतन वृद्धि, पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभ की मांग को लेकर हड़ताल कर रही हैं। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने एस्मा लागू करने और उनके राज्यव्यापी विरोध को विफल करने के लिए पुलिस बल का उपयोग करने के लिए राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की है।

मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने 2019 में अपने चुनाव अभियान के दौरान सत्ता संभालने के बाद आंगनवाड़ी के मानदेय , सेवानिवृत्ति और पेंशन लाभों को बढ़ाने और अन्य मांगों को पूरा करने का वादा किया था। इन हड़ताली आंगनवाड़ी वर्करो का कहना है कि सरकार अपना वादा निभाएं।

सीटू से संबद्ध आंध्र प्रदेश आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स यूनियन के राज्य महासचिव के. सुब्बारावम्मा ने बताया कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा किया गया संघर्ष अब तक का सबसे लंबा आंदोलन है। उन्होंने कहा कि लगभग 1.06 लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हड़ताल में भाग ले रही हैं। सुश्री सुब्बारावम्मा ने आरोप लगाया कि सरकार शांतिपूर्ण विरोध कर रहे कार्यकर्ताओं को भड़काने की कोशिश कर रही है। साथ ही सरकार पुलिस बल का प्रयोग कर रही है जिसकी हम निंदा करते है।

विजयवाड़ा में रिले उपवास में भाग लेने वाली आंगनवाड़ी सहायिका सुश्री विजयलक्ष्मी ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री जगन मोहन रेड्डी ने हमें तेलंगाना राज्य के समकक्ष वेतन से अधिक वेतन देने का वादा किया था। लेकिन अब सरकार मुख्यमंत्री से अपनी बात रखने की मांग करने पर अलग-अलग तरीकों से हमारी आलोचना कर रही है और धमका रही है।

आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स यूनियन की राज्य महासचिव वीआर ज्योति ने कहा जब तक सरकार सभी मांगों का समाधान नहीं करती आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अपनी हड़ताल जारी रखेंगी। सरकार ने जल्दबाजी में आंगनवाड़ी वर्करो की सेवाओं को एस्मा के तहत क्यों लाया गया है?

विरोध प्रदर्शन में भाग ले रही कुरनूल जिले की तलारी कांतम्मा ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि “मैंने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में 23 साल की सेवा दी है। मेरे पति की 20 साल पहले एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी, लेकिन मैं विधवा पेंशन के लिए पात्र नहीं हूं क्योंकि सरकारी वेबसाइट बताती है कि मैं एक सरकारी कर्मचारी हूं। तलारी कांतम्मा ने पूछा “मैं सिर्फ ₹11,500 प्रति माह में अपने बच्चों का पालन-पोषण कैसे कर सकती हूं?” “मैं पिछले 12 वर्षों से आंगनवाड़ी सहायिका के रूप में काम कर रही हूं। मैं एक माँ की तरह आंगनवाड़ी केंद्र में कई बच्चों की देखभाल करती हूँ, लेकिन मैं अपने बच्चों के लिए एक अच्छी माँ नहीं बन पा रही हूँ क्योंकि मैं अपने बच्चो को पर्याप्त समय और वित्तीय सहायता देने में असमर्थ हूँ,”

विशाखापत्तनम जिले की के.सुश्री कांतम्मा ने कहा, हजारों आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं और मिनी-आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को कम वेतन के कारण गुजारा करने में गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है सरकार लंबित बिलों का भुगतान नहीं कर रही है इतने कम वेतन में हमारे बच्चों के लिए घर का किराया और स्कूल की फीस का भुगतान हम कैसे कर सकते हैं और कैसे परिवार चला सकते है।

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