कौशाम्बी जनपद के मऊआइमा में आंगनवाडी वर्कर द्वारा विडिओ और प्रधान के खिलाफ मारपीट की शिकायत दर्ज करायी गयी है शनिवार शाम के समय पंचायत भवन में मीटिंग के दौरान पहुंचे आंगनबाड़ी कार्यकत्री के पति की वीडीओ से मारपीट हो गई। वीडीओ ने मारपीट का केस दर्ज कराया है। जबकि आंगनबाड़ी कार्यकत्री ने भी वीडीओ और प्रधान पर गंभीर आरोप लगाए हैं। गदियानी गांव के पंचायत भवन में मीटिंग के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकत्री के पति की प्रधान और वीडीओ से मारपीट हो गई। वीडीओ की तहरीर पर पुलिस ने केस दर्ज किया। रविवार को आंगनवाड़ी कार्यकत्री ने थाने पहुंचकर सेक्रेटरी मिथिलेश कुमार, ग्राम प्रधान गदियानी राज कपूर तथा उसके भतीजे मुनाऊ पुत्र अयोध्या प्रसाद पर पंचायत भवन में गलत आचरण करने और मारपीट का आरोप लगाया। और आंगनवाडी ने पुलिस को शिकायती पत्र देकर कार्रवाई की मांग की।
इस संबंध में थाना प्रभारी इंस्पेक्टर सुरेश सिंह का कहना है कि वीडीओ की शिकायत पर मारपीट का केस दर्ज किया गया है। आंगनबाड़ी कार्यकत्री की शिकायत भी मिली है, जांच के बाद नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
जिस परियोजना में पुष्टाहार पकड़ा उसके गोदाम की जांच नही
बदायूं बिसौली में पकड़ा गया अवैध बाल पुष्टाहार के मामले में मुकदमा भी दर्ज है पांच दिन से ज्यादा भी हो गये हैं। वहीं जिला प्रशासन और पुलिस ने बाल पुष्टाहार को लेकर संभल व मुरादाबाद से तार भी जोड़ दिये हैं। इतना ही नहीं जिले की देहात की परियोजना गोदाम सील करके एक-एक जांच करा लिये हैं। मगर चर्चा का विषय रहने वाली शहर परियोजना के गोदाम को ऐसे ही छोड़ दिया है। बाल विकास विभाग की 16 परियोजना हैं। मगर बाल विकास विभाग से डीएम दीपा रंजन को जानकारी दी गई थी कि बिसौली में पकड़ा गया अवैध बाल पुष्टाहार अगर जिले का होगा तो देहात का हो सकता है। डीएम ने भी इसी जानकारी पर देहात के गोदाम सील कराये थे और जिले में 15 गोदाम देहात के सील कराने की जानकारी दी गई थी। वहीं जांच भी देहात की परियोजना की हो पाई है।
जनपद अवैध बाल पुष्टाहार के लिये हब बन गया है। पिछले दिनों शाहजहांपुर का अवैध बाल पुष्टाहार बिल्सी में पकड़ा गया था अब बिसौली में 16 नवंबर की रात को पकड़ा गया था, जिसकी जांच आज भी चल रही है गैर जिलों से अफसर तार जोड़ने में लगे हैं। मगर जिले में देहात की परियोजना पर अफसरों ने भी निशाना साध लिया है लेकिन शहर परियोजना को साफ छोड़ दिया गया है। शहर परियोजना का आज तक न तो गोदाम सील किया गया नहीं जांच की गई कि स्टाक कम है या ज्यादा है। यहां तक कि जांच के दायरे से बाहर रखा है। पूरी तरह से शहर परियोजना को एक तरह से साफ छोड़ने का प्रयास किया है, जबकि पहले भी तमाम बार शहर परियोजना गड़बड़ी और शिकायतों को चर्चित रही है।
बलरामपुर में आंगनवाडी केन्द्रों की स्थिति दयनीय
बलरामपुर के महुआ बाजार में बच्चों व गर्भवती महिलाओं को कुपोषण से मुक्त रखने की जिम्मेदारी का निर्वहन करने वाले बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की स्थिति दयनीय है। लेकिन अधिकांश केंद्रों में ताले जड़े हैं।
गैड़ास बुजुर्ग विकास खंड में बाल विकास से जरूरतमंद काफी निराश हैं। यहां के अधिकतर केंद्र प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय के प्रांगण में संचालित किए जा रहे हैं। प्रभारी सीडीपीओ ममता गुप्ता ने बताया कि विकासखंड गैड़ास बुजुर्ग में कुल 164 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। जिसमें से 60 आंगनवाड़ी केंद्र भवन में व 85 परिषदीय विद्यालय में चल रहे हैं। पंचायत भवन, एनम सेंटर व अन्य स्थानों पर छह केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। चार आंगनवाड़ी केंद्र निर्माणाधीन हैं। परिषदीय विद्यालयों में संचालित केंद्र के अलावा अन्य किसी केंद्र में बिजली, शौचालय, पेयजल आदि की व्यवस्था नहीं है। 37 आंगनवाड़ी केंद्र भवन जर्जर स्थिति में हैं। भूमि उपलब्ध न होने के कारण लगभग नौ आंगनवाड़ी केंद्र भवन का निर्माण नहीं हो सका है। विकासखंड अंतर्गत कुल 31 आंगनवाडी कार्यकर्ता व 52 सहायिकाओं का पद रिक्त है। कुल 164 आंगनबाड़ी केंद्र में लगभग 25 हजार बच्चे पंजीकृत हैं।
आठ माह में मिले 86 कुपोषित बच्चे
भदोही ज्ञानपुर में कुपोषित बच्चों की संख्या जिले में बढ़ती जा रही है। केंद्र के चिकित्सक डा. रोहित शर्मा ने बताया कि आठ माह में कुल 86 कुपोषित बच्चे मिले थे। इन बच्चों का केंद्र में उपचार हुआ और 77 स्वास्थ हो गए हैं। जो बच्चे स्वास्थ हुए हैं उनका भी केंद्र पर नियमित बुलाकर वजन किया जा रहा है। जबकि तीन कुपोषित बच्चों को मां संग भर्ती किया गया है। केंद्र में कुपोषित बच्चा व उनकी मां को 14 दिन रखा जाता है।कुपोषण की त्रासदी से जूझ रहे तीन मासूम बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में रखकर इलाज चल रहा है। महाराजा चेतसिंह जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के ऊपर चल रहे केंद्र में तीनों बच्चे मां संग भर्ती हैं। कुपोषित बच्चों का नियमित वजन चेक कर दूध व पौष्टिक आहार संग जरुरी दवाइयां दी जा रही है। जो बच्चे पतले हों, पेट निकला हो, चेहरे पर सुस्ती व उम्र के हिसाब से ज्यादा कमजोर दिखें तो कुपोषण का शिकार हो सकते हैं। पर्याप्त पोषण न मिलने से बच्चे शारीरिक संग मानसिक रुप से कमजोर हो जाते हैं। बताया कि गरीब परिवार के मुखिया रोजी-रोटी के इंतजाम में लगे रहते हैं। यहीं कारण है कि बच्चों को पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता है जिससे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं।
डॉक्टर ने बताया कि आशा व आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां कुपोषित बच्चों की पहचान कर केंद्र पर लाने का काम कर रही हैं। नगर समेत ग्रामीण अंचलों में कुपोषण की समस्या से जूझ रहे बच्चों को बेहतर स्वास्थ सुविधा मुहैया कराया जा रहा है।